कुवि के आईआईएचएस एवं हंसराज कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में ’भारतीय परम्परा में नैतिकता एवं जीवन मूल्य’ विषय पर एक दिवसीय शैक्षणिक परिसंवाद आयोजित।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र, 03 फरवरी : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में शुक्रवार को आईआईएचएस संस्थान एवं हंसराज कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में ’भारतीय परम्परा में नैतिकता एवं जीवन मूल्य’ विषय पर एक दिवसीय शैक्षणिक परिसंवाद का आयोजन किया गया। कुवि के आईआईएचएस के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ. रामचन्द्र ने बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित करते हुए वैदिक परम्परा, पुरुषार्थ चतुष्टय, बुद्धिस्ट, जैनिज्म, श्रमण परम्परा तथा जम्बूद्वीप, आर्यावर्त, भारत एवं इंडिया जैसे आधारभूत विषयों के व्यावहारिक, दार्शनिक एवं ऐतिहासिक सन्दर्भों को प्रतिभागियों के समक्ष विस्तार से रखा। उल्लेखनीय है कि हंसराज कॉलेज के दर्शन विभाग के शिक्षक एवं विद्यार्थी शैक्षणिक परिभ्रमण के अन्तर्गत इस परिसंवाद में सहभागी हुए।
डॉ रामचन्द्र ने कहा युगों-युगों से प्रवाहित होने वाली भारतीय ज्ञान गंगा की सरिता वर्तमान समय में सम्पूर्ण विश्व में शांति स्थापना का प्रमुख आधार है। आज विचार, दर्शन एवं परम्परा संक्रमण के दौर से गुजर रही हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय ऋषि परम्परा एवं सत्य सनातन वैदिक धर्म के नैतिक जीवन मूल्यों से ही अज्ञान अंधकार को दूर किया जा सकता है। वेद में प्राणिमात्र को मित्र की दृष्टि से देखने एवं भूमि को माँ के रूप में सम्बोधित किया गया है। आज का मानव क्षणिक सुखों के लिए धरती माँ का दोहन कर रहा है तथ यह तथाकथित उपभोक्ता संस्कृति का दुष्परिणाम है। मुख्य वक्ता ने जोर देकर कहा कि सम्पूर्ण विश्व में शान्ति से युक्त एवं समरसता से परिपूर्ण स्वस्थ समाज के लिए उपनिषदों एवं गीता में प्रतिपादित दर्शन विद्या एवं संस्कृत भाषा को अनिवार्य करना होगा।
हंसराज कॉलेज के दर्शन विभाग की अध्यक्ष डॉ. शर्मा भानु भूपेन्द्र ने इस सुन्दर आयोजन के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रशासन का धन्यवाद किया। अंगराज ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। इस अवसर पर डॉ. राजेश त्रिपाठी, डॉ. दीपक कुमार सेठी, सुरभि उनियाल सहित बड़ी संख्या में छात्र एवं शोधार्थी सम्मिलित हुए