रोगों के निदान में पैथोलॉजिस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका : डॉ. रूची अग्रवाल।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
कुरुक्षेत्र : श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के रोग निदान एवं विकृति विज्ञान विभाग द्वारा छः दिवसीय सीएमइ कार्यशाला के दूसरे दिन कार्यक्रम की अध्यक्षता खानपुर बीपीएस राजकीय महाविद्यालय की पैथोलॉजी विभाग की प्रो. डॉ. रूचि अग्रवाल ने की। उनके द्वारा प्रयोगात्मक और व्यवहारात्मक दोनों तरह से प्रशिक्षुओं को पैथोलॉजी चिकित्सा से अवगत कराया गया। रोग निदान एवं विकृति विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ. दिप्ति पाराशर ने उपस्थित वक्ताओं का स्वागत किया।
डॉ. रूचि अग्रवाल ने देशभर से आए प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा कि पैथोलॉजी चिकित्सा विज्ञान की महत्वपूर्ण शाखा है। जिसमें विषय विशेषज्ञ रोग के कारण, रोग द्वारा शरीर में पैदा संरचनात्मक असमानता व परिवर्तनों का अध्ययन करते हैं। आज के समय में मनुष्य को कई प्रकार की बीमारियों ने घेर रखा है। रोगों के निदान में पैथोलॉजिस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कई तरह की क्लीनिकल और एनाटॉमिकल जांच के बाद ही सटीक रूप से बीमारी का पता लगाकर ही सही उचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पैथॉलोजी की नई टेक्नॉलजी द्वारा गंभीर से गंभीर बीमारी जैसे ट्यूमर, थैलेसीमिया और कैंसर को भी डिटेक्ट किया जा सकता है। पैथोलॉजी मुख्य रूप से दो होती हैं क्लिनिकल पैथोलॉजी में मुख्य रूप से ब्लड और यूरिन की जांच की जाती है और एनाटॉमिकल पैथोलॉजी में रोगी के शरीर में मौजूद टिशू का टेस्ट किया जाता है। इसमें कई सारी गंभीर बीमारियों का भी अध्ययन किया जाता है। कैंसर इसमें मुख्य रूप से शामिल है। इस तरह की पैथोलॉजी में शरीर के उत्तकों को निकाल कर उसकी सही जानकारी और टेस्ट किया जाता है। कार्यशाला के दूसरा सत्र खानपुर एमएसएम इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद रोग निदान एवं विकृति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. विवेक अग्रवाल द्वारा संबोधित किया गया। उन्होंने स्किन और एनिमिया से संबंधित बीमारियों के बारे में प्रशिक्षुओं को जानकारी दी। इस अवसर पर डॉ. रणधीर सिंह और सुनिल गोदारा मौजूद रहे।