दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा सात दिवसीय विशाल श्रीमद् भागवत कथा का किया गया आयोजन
फिरोजपुर 14 फरवरी [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]:=
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गौशाला श्री संत महेश मुनी जी(बोरवाले), सिखांवाला रोड़, कोटकपूरा में सात दिवसीय विशाल श्रीमद् भागवत कथा का अयोजन किया गया। कथा का शुभारम्भ विधिवत् पूजन से किया गया। जिसमें मुख्य रूप से कृष्ण गोयल ( प्रधान आडती एसोसिएशन कोटकपूरा) एवं मदन मलिक (प्रमुख समजासेवी)ने यजमान के रूप में भाग लिया। प्रथम दिवस की कथा में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या भागवत भास्कर कथा व्यास साध्वी सुश्री भाग्यश्री भारती जी ने कथा का माहात्म्य बताते हुए कहा कि हमारे वेद ग्रंथ एक अमूल्य निधि है और वेद व्यास जी द्वारा रचित श्रीमद्भागवत महापुराण एक ऐसा ही अनुपम ग्रंथ है॓॓। भीष्म पितामह प्रसंग सुनाते हुऐ साध्वी जी ने बताया कि भीष्म पितामह ने परमात्मा का ध्यान करते हुए अपनी देह का परित्याग किया और परमगति को प्राप्त किया। यह प्रसंग हमे संदेश देता है कि मृत्यु तो हर एक इंसान को आनी है, लेकिन मृत्यु वही सफल है जिसके आने पर जीवन भी सफल हो जाये। इसलिए इंसान को चाहिए कि समय रहते उस ईश्वर को जान ले तभी उसका जीवन व मृत्यु दोनो सफल हो सकते हैं।
परीक्षित प्रसंग सुनाते हुए साध्वी जी ने बताया कि उस समय तो कलिकाल का अभी प्रारंभ ही था, फिर भी राजा परीक्षित से इतना बडा़ अपराध हो गया। आज तो कलिकाल अपनी चरम सीमा पर है, तो क्या इसका प्रभाव हमारे ऊपर नहीं पड़ेगा? अवश्य पड़ेगा, आज समाज की हालत देखें, हर ओर अधर्म, अनाचार, पापाचार का बोलबाला है। हर मानव घृणा, द्वेष नफरत की आग में जल रहा है, ऐसे में आवश्यकता है , एक ऐसे पथप्रदर्शक की जो मानव को सही राह दिखा, उसके जीवन को सही दिशा दे सके। कथा में मुख्य मेहमान बाबा गगन दास जी (गोशाला कोटसुखिया), जय प्रकाश (ब्लॉक प्रधान कांग्रेस), रोशन लाल सिंगला (समाजसेवी), राजकुमार जी, एवं सरदार हरिंद्र सिंह छाबड़ा के द्वारा ज्योति प्रज्वलित की रस्म अदा की गई। कथा का समापन प्रभु की पावन पुनीत आरती से किया गया। मुख्य रूप से ओम प्रकाश गर्ग, हरि कृष्ण गोयल, प्रवीण गर्ग, ओपी गोयल, मुकेश गर्ग एवं महिला सत्संग मंदिर लाजपत नगर की महिलाओं ने पावन आरती में हिस्सा लिया। पहुंचे हुए श्रद्धालुओं को प्रसाद रूप में लंगर भी वितरित किया गया। इस अवसर पर संस्थान की ओर से साध्वी रितु भारती, साध्वी दुर्गा भारती, साध्वी हरिंदर भारती एवं साध्वी हरजोत भारती जी विशेष रूप से उपस्थित रहे।