![](https://vvnewsvaashvara.in/wp-content/uploads/2023/04/IMG-20230410-WA0010-1024x1024.jpg)
परमार्थ भवन में श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन वृंदावन से पधारे आचार्य रामजी महाराज ने अपने प्रवचनों में शिव पार्वती विवाह और माता सती का किया वर्णन
परमार्थ भवन में सैकड़ों की तादाद से पहुंच रहे कथा सुनने के लिए श्रद्धालु
फिरोजपुर 10 अप्रैल [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]:=
पारमार्थ भवन में शुरू हुई श्रीमद् भगवत कथा के दूसरे दिन वृदांवन से पहुचे आचार्य रामजी महाराज ने अपने प्रवचनो मे शिव विवाह और माता सती का वर्णन किया ।
भगवान शिव का विवाह में कई कठिन परिस्थितियां आई भगवान शिव का पहले विवाह सती से हुआ था । सति के पिता दक्ष भी इस विवाह के पक्ष मे नही थे ।हालांकि उन्होने बृह्मा जी के कहने से विवाह तो कर दिया लेकिन राजा दक्ष ने शंकर जी अपमान किया जिससे दुखी होकर सति ने यग्य में कूदकर आत्महत्य कर ली । इस घटना के बाद भगवान शिव तपस्य मेम लीन हो गये ।दूसरी तरफ माता सति ने,हिमवान के यहा पार्वती के रूप में जन्म लिया । एक चरफ तारकासूर नाम के राक्षस ने भी आंतक मचा रखा था । देवता भी उससे भयभीत थे तारकासुर को वरदान प्राप्त था कि उसका वध भगवान शिव की संतान ही कर सकसी है । राक्षस के,आतंक के वक्त भी भगनान शिव अपनी तपस्य में लीन थे । तब सभी देवताओ ने महादेव व पार्वती के विवाह की योजना बनाई तो उनकी तपस्य भंग करने के लिये उन्होंने काम देव को भेजा और भगवान शिव को तपस्य से जगया और देवताओ की विनती से भगवान शिव पार्वती से विवाह करने के लिए राजी हुए । भगवान शिव और पार्वती की शादी बड़े भव्य तारिके हुई । पार्वती की तरफ से कई राजा महाराजा और शाही रिशतेदार शामिल हुए परंतु भौले बाबा पशुपति नाथ थे वह जीवो के भी देवता है उंकी तरफ से सभी जीव ,जानवर यंहा तक कि भूत पिशाच और विपक्षित लोग भी शादी में शामिल हुए । इसलिए विवाह समारोह एहम था । आचर्य श्री राम जी के प्रवचन सुनने में श्रधालुओ में लगातार रुची पैदा हो रही है । पारमर्थ भवन भी भवय समारोह जैसा लग रहा है ।