डॉ. भीमराव अम्बेडकर एक अवतार जिन्होंने समाज को नई दिशा प्रदान की : डॉ. रविन्द्र बलियाला।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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युवा पीढ़ी डॉ. अम्बेडकर की शिक्षाओं को जीवन में अपनाएं : प्रो. सोमनाथ सचदेवा।
कुवि के आईआईएचएस के इतिहास विभाग तथा सेंटर फार डॉ. बीआर अम्बेडकर स्टडीज़ के संयुक्त तत्वावधान में डॉ. अम्बेडकर जी की 132 वीं जयंती पर ‘डॉ. अम्बेडकर और भारतीय राष्ट्रवाद’ विषय पर एक दिवसीय शैक्षणिक सेमिनार आयोजित।
कुरुक्षेत्र, 12 अप्रैल : हरियाणा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष डॉ. रविन्द्र बलियाला ने बतौर मुख्यातिथि कहा कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर एक अवतार थे जिन्होंने समाज को नई दिशा प्रदान दी। उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर की वेटिंग फॉर वीजा बॉयोग्राफी पुस्तक में उनको कक्षा से बाहर बैठकर पढ़ने, पानी न पिलाने, तांगे वाले से अस्पृश्यता के चलते दोगुना किराया लेने, सामाजिक दुरव्यवहार, मौलिक अधिकारों का हनन के बारे में बताया गया है। उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर चाहते तो जीवन में उच्च पद प्राप्त कर अच्छा जीवन व्यतीत कर सकते थे लेकिन स्वयं के जीवन में दुःखों एवं संघर्षों का सामना करते हुए उन्होंने सामाजिक समरसता लाने के लिए समाज को एक नई दिशा देने का कार्य किया। वे बुधवार को केयू के डॉ. आरके सदन में आईआईएचएस के इतिहास विभाग तथा सेंटर फॉर डॉ. बीआर अम्बेडकर स्टडीज़ के संयुक्त तत्वावधान में डॉ. अम्बेडकर जी की 132 वीं जयंती पर ‘डॉ. अम्बेडकर और भारतीय राष्ट्रवाद’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय शैक्षणिक सेमिनार तथा हिस्ट्री एसोसिएशन के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इस अवसर पर कार्यक्रम का शुभारम्भ विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ हुआ। कार्यक्रम के मुख्यातिथि डॉ. रविन्द्र बलियाला, कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा, राजेश कुमार गोयल, केन्द्र के निदेशक प्रो. गोपाल प्रसाद व सहायक निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह व प्रो. कुसुमलता द्वारा डॉ. भीमराव अम्बेडकर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया।
उन्होंने बाबा साहेब के अर्थशास्त्र के मॉडल के बारे में कहा कि वे अपने समाज में पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी की। उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर का मानना था कि यदि भारत कृषि क्षेत्र को विकसित करेगा तो निश्चित रूप से भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा तथा खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। भारत सरकार एवं हरियाणा राज्य की सरकार कृषि क्षेत्र को विकसित करने के लिए कार्य कर रही है। इसके साथ ही डॉ. अम्बेडकर ने वित्त को बुद्धिमता एवं ईमानदारी से लोकहित में उपयोग करने के बारे में कहा था।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हम डॉ. अम्बेडकर को संविधान निर्माता के रूप जानते हैं इसके अलावा भी उनकी समाज को एक दिशा देने में बहुत बड़ी भूमिका रही है। डॉ. अम्बेडकर एक बहुत बड़े अर्थशास्त्री भी थे। उनके पास जितनी शिक्षा थी मैने अपने जीवन में इतनी शिक्षा वाला दूसरा व्यक्तित्व नहीं देखा। ऐसा व्यक्तित्व जीवन का कोई ऐसा पहलू हो चाहे वो समाज सुधार से जुड़ा हो, आर्थिक क्षेत्र से हो या राजनीतिक क्षेत्र से हो उनका हर जगह योगदान रहा है। उनकी शिक्षाएं हम अपने जीवन में अपनाएं और युवा पीढ़ी को भी प्रेरित करें। महात्मा ज्योतिबा फुले का जीवन काल 1827-1890 तक रहा इनके जाने के छह माह बाद ही महान विभूति का जन्म हुआ वर्ष 1891-1956 तक डॉ. अम्बेडकर का काल रहा जिस कार्य को ज्योतिबा फुले ने छोड़ा उस कार्य को डॉ. अम्बेडकर ने आगे बढ़ाया जैसे समाज सुधार, छुआछूत जैसी बुराई दूर करने का, नारी सशक्तिकरण पर इन्होंने कार्य किया जो संविधान के रूप में हमें मिला। डॉ. अम्बेडकर भविष्य दृष्टा थे जिसका लाभ हम सभी आज उठा रहे।
विशिष्ट अतिथि कुवि कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा ने आईआईएचएस संस्थान व डॉ. अम्बेडकर केन्द्र को सेमिनार की बधाई देते हुए कहा कि डॉ. अम्बेडकर को पढ़ने की वाकई में जरूरत है। अगर हम उन्हें पढ़े तो पता चलता है कि डॉ. अम्बेडकर अपनी पढ़ाई के दौरान बहुत कुछ सहा तथा उन्होंने उन सामाजिक विसंगतियों को दूर करने का प्रयास किया। डॉ. अम्बेडकर ने समाज के उत्थान व विकास के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। उनका मानना था कि अगर हमें पूरे राष्ट्र का निर्माण करना है तो शिक्षा को माध्यम बनाना होगा। उन्होंने नारी की शिक्षा के लिए प्रयास किया। उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर का मानना था कि जब मंदिरों में लगने वाली लाइन पुस्तकालय में लगनी शुरू हो जाएगी तो मैं मानूंगा कि सही मायनों में इस देश का विकास हो रहा है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राजेश कुमार गोयल, सामाजिक विचारक, पानीपत ने कहा कि युवा पीढ़ी को डॉ. भीमराव अम्बेडकर को पढ़ने की जरूरत है जिससे मन की बनी धारणाओं एवं शंकाए समाप्त हो जाएंगी। इसके साथ विद्यार्थियों के व्यक्तित्व एवं दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि छुआछूत का नमूना वर्तमान में देखने को नहीं मिलता क्योंकि इसे लेकर भारत के संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने इस बीमारी को समाप्त करने का कार्य किया। वहीं 50 वर्ष पूर्व गलत मानसिकता के कारण छुआछूत की धारणा प्रबल थी। उन्होंने कहा कि भारत के अन्य महापुरुषों भगत सिंह, गोपाल चन्द्र गोखले, विपिन चन्द्र ने भी अस्पृश्यता को कभी भी स्वीकार नहीं किया। डॉ. अम्बेडकर के अनुसार शिक्षा के प्रति सच्ची निष्ठा रखते थे। भारत की धरती पर हुए धर्म, सम्प्रदाय राष्ट्र विरोधी नहीं हो सकता। इसलिए उन्होंने धर्म परिवर्तन करते हुए बौद्ध धर्म को स्वीकार किया।
आईआईएचएस के प्राचार्य प्रो. संजीव गुप्ता ने युवाओं को सांस्कृतिक, मानवीय मूल्यों को आत्मसात करने का आह्वान किया। डॉ. भीमराव अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र के निदेशक प्रो. गोपाल प्रसाद ने थीम को प्रस्तुत करते हुए केंद्र में आयोजित होने वाली विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। इससे पहले केन्द्र के सहायक निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत व्यक्त किया तथा आयोजन सचिव प्रो. कुसुमलता ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर हरियाणा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष विजय बडबुजर, आयोग के सदस्य रवि तारांवली, निदेशक प्रो. गोपाल प्रसाद, सहायक निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह, प्रो. परमेश कुमार, कुटा प्रधान डॉ. आनन्द कुमार, डॉ. अश्वनी, डॉ. कुलदीप सिंह, डॉ. सुनील ढुल, इतिहास एसोसिएशन की अध्यक्षा विशाखा सहित शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।