सास का बेटा पत्रिका का विमोचन
दीपक शर्मा (संवाददाता)
बरेली: समाज की कुरीतियों और बुराइयों पर व्यंग*
दिव्यांग, अनाथ बालकों की* दुर्दशा पर बेबाक टिप्पणी***
’सास का बेटा’ पत्रिका का विमोचन लेखिका मधु चतुर्वेदी की लघु कहानी संकलन का विमोचन-समीक्षा कार्यक्रम साहित्य संस्था द्वारा आयोजित की गई। जिस के मुख्य अतिथि प्रख्यात शिक्षाविद एवं हिंदी जगत के सशक्त हस्ताक्षर, प्रो.(डॉ) एन.एल. शर्मा रहे। उनहोंने अपने संबोधन में समीक्षा करते हुए कहा कि इस आधुनिक युग की रूढ़िवादी कुरीतियों, अशिक्षित समाज उनके दुषपरिणामों पर कढ़ा प्रहार बताया। सभी लघु कथाएं अत्यंत मौलिक दिलों को छूने वाली तथा हृदयस्पर्शी हैं। उनके पात्र समाज के हर कोने में टहलते हुए मिल जाएंगे जैसे रेलवे स्टेशन हो या मॉल के बाहर के फुटपाथ या कोई अनाथालय अथवा सरकारी अस्पताल सभी में कहानियों के पात्र चाहे वह किरदार ’कुंती बुआ’, श्यामल फूफा, ’देव’ समिधा समिधि कथा यू टर्न कोरोना त्रासदी का भयाभय, चित्रण है, जो बकौल प्रो. वसीम जी के इस शेर से करीब जुड़ा हुआ लगता है।
’’आँखों से सामने से वा मंज़र ना जायेगा, वो देखना पढ़ेगा जो देखा ना जायेगा’’। लेखिका के कुछ संवाद पाठकों को गुदगुदाते भी है और सोचने को मजबूर भी करते हैं, जैसे-’’नौकर मैने अपने को समझानहीं, मालिक मै हो नहीं सकती, मैं तो खुद पैसों की खातिर देहदान को तैयार थी परन्तु अंगदान में कुछ ज्यादा गुजाईश की संभावना है। लघु कथाओं में ’सास का बेटा’, ’देहदान’, इस कुवारीं से…., जूता, ह्रदय स्पर्शी के साथ-साथ समाज पर तीखे व्यंग भी हैं। कुल मिलाकर कहानी लेखिका अपनी पूरी छाप पाठकों पर छोड़ जाती है। क्योंकि उनकी पृश्ठ भूमि झांसी के राष्ट्रीय कवि स्व. मैथली शरण गुप्त और स्व. व्रदावनलाल वर्मा जी की नगरी का पुठ विद्यमान है। समारोह में नगर में प्रतिष्ठित लेखकों, समालोचकों में डॉ. इंद्रदेव त्रिवेदी, डॉ. आर के सिंह, डॉ. आदर्श शर्मा, सहित कई साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।
(राकेश चतुर्वेदी)
प्रशासनिक अधिकारी