भारत रत्न बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर जयंती पर महंत राजेंद्र पुरी ने किया नमन।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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भारत रत्न डा. भीमराव अंबेडकर पूरा जीवन संघर्ष करते रहे : महंत राजेंद्र पुरी।
कुरुक्षेत्र, 14 अप्रैल : जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी ने भारत रत्न बाबा साहेब डा. भीम राव अंबेडकर जयंती पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए और नमन किया। उन्होंने कहा कि सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत और समतामूलक समाज के निर्माणकर्ता डा. भीमराव अंबेडकर की जयंती है। डा. भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माता के तौर पर जाना जाता है। उनका जन्म 14 अप्रैल को हुआ था। बाबा साहेब की जयंती को पूरे देश में लोग उत्साह से मनाते हैं।
महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि भारत रत्न डा. भीमराव अंबेडकर पूरा जीवन संघर्ष करते रहे हैं। भेदभाव का सामना करते हुए उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की। आजादी की लड़ाई में शामिल हुए और स्वतंत्र भारत को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाने के लिए संविधान निर्माण में अतुलनीय भूमिका निभाई। बाबा साहेब ने पिछड़े और कमजोर वर्ग के अधिकारों के लिए पूरा जीवन संघर्ष किया।
बाबा साहेब के जीवन बारे जानकारी देते हुए महंत राजेंद्र पुरी ने बताया कि शिक्षा के समय बाबा साहेब विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त की तथा विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में शोध कार्य भी किए थे। व्यावसायिक जीवन के आरम्भिक भाग में ये अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवं वकालत भी की। बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में अधिक बीता। इसके बाद अंबेडकर भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और चर्चाओं में शामिल हो गए। पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत की। भारत के निर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।
महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि हिंदू पंथ में व्याप्त कुरीतियों और छुआछूत की प्रथा से तंग आकर सन 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था। सन 1990 में उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। 14 अप्रैल को उनका जन्म दिवस अंबेडकर जयंती के तौर पर भारत समेत दुनिया भर में मनाया जाता है। भारत का संविधान निर्माण करते हुए बाबा साहेब ने सभी को शिक्षा पर ध्यान लगाने का जरूरी संदेश दिया और कहा कि शिक्षित बनो, संगठित बनो शिक्षा से ही उज्वल भविष्य की नींव रखी जा सकती है।
डा. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष नमन करते हुए महंत राजेंद्र पुरी।