संवाददाता :खुशहाल अहमद महराजगंज
वर्ष 2020 में 28:50 लाख, वर्ष 2022 में 34 लाख पौधे लगाए गए, सुरक्षा के प्रति नहीं दिखी गंभीरता
वैशवारा न्यूज एजेंसी
महराजगंज। पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस है। हरियाली बढ़ाने के लिए साल दर साल पौधरोपण का लक्ष्य तो बढ़ा, लेकिन पौधों की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिए गए। सरकारी विभागों के अलावा समाज के जागरूक लोगों ने भी पर्यावरण संरक्षण के लिए हर संभव कोशिश की। वनों से आच्छादित जनपद को हरा-भरा रखने की कोशिश की जा रही है। किसी को अपने जन्मदिन पर पौधे लगाने का जुनून है तो कोई हर अवसरों पर पौधा लगाकर पर्यावरण को सुरक्षित करने में योगदान दे रहा है। इसके बावजूद पौधे सूख जा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2020 में 28.50 लाख पौधे लगाए गए। वर्ष 2021 में पौधे लगाने की संख्या में बढ़ोत्तरी दर्ज करते हुए 29 लाख पौधे लगाए गए। वर्ष 2022 में यह संख्या बढ़ा दी गई। जिले को हरा-भरा रखने के लिए 34 लाख पौधे लगाए गए। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार साल दर साल हरियाली का दायरा बढ़ाने की पूरी कोशिश की गई, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि पौधों की सुरक्षा के लिए ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया।
ज्यादातर स्थानों पर पौधे आज दिखते ही नहीं हैं। उन स्थानों पर सिर्फ कागजों में हरियाली दिखती है। घुघली क्षेत्र के पिपरियां करजहां गांव के दिनेश गिरी उर्फ पेड़ बाबा ने वर्ष 1991 से ही पौधे लगा रहे हैं। उनके मुताबिक करीब एक लाख पौधे लगा चुके हैं। वह कहते हैं कि कहीं भी जाता हूं तो लोगों को पौधरोपण के लिए प्रेरित करता हूं। पर्यावरण को सुरक्षित रखना है तो समाज के प्रत्येक व्यक्ति को पौधा लगाना होगा। सुभाष नगर मोहल्ले के नवनीत शुक्ल को भी पेड़-पौधों से प्यार करते हैं। वह अपने हर जन्मदिन पर पौधा लगाते हैं। शुभंचितकों, दोस्तों को जन्मदिन पर पौधा भेंट करना नहीं भूलते हैं। उन्होंने बताया कि युवाओं को पर्यावरण संरक्षण करने के लिए प्रेरित करता हूं।
जनपद 342 वर्ग किमी क्षेत्र वन से घिरा हुआ
जनपद 342 वर्ग किमी क्षेत्र वन से घिरा हुआ है, जो जिले के करीब 11.59 प्रतिशत क्षेत्र के बराबर है। यह जिला वन से घिरे होने के कारण काफी हरा-भरा रहता है। गोरखपुर वन क्षेत्र से 1987 में अलग होकर वन्य जीव अभ्यारण्य बना सोहगीबरवा सेंचुरी नेपाल के चितवन पार्क और बिहार के वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व के वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर में शामिल है। तीनों वन क्षेत्र एक-दूसरे से सटे हैं। नेपाल के चितवन पार्क से गैंडा, भालू यहां आते रहते हैं। वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व के बाघों की यहां साइटिंग होती रहती है।कोट
वन क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। पौधरोपण के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण पर विशेष जोर दिया जा रहा है। आने वाले दिनों में अधिक से अधिक पौधे लगाकर जिले को हरा-भरा रखने की हर संभव कोशिश की जाएगी।
पुष्प कुमार कांधला, प्रभागीय वनाधिकारी, सोहगीबरवां वन्य जीव प्रभाग