अंजुमन-ए-इस्लामिया पूर्णियां में शाहिद रज़ा की अध्यक्षता वाली अवामी एडहॉक कमेटी ही कराएगी चुनाव और उसकी कारवाई को ही माना जाएगा अवामी फैसला।
▪️जनाब हाशिम रज़ा साहब ने 3 सितंबर 2023 को (अंजुमन-ए-इस्लामिया, पूर्णियां) में वोटिंग कराने का एलान कराया है,जो सरासर बेबुनियाद और दस्तूर-ए-अंजुमन के खिलाफ है, दस्तूर के अनुच्छेद 3.3 के तहत बगैर वोटिंग लिस्ट प्रकाशित हुए और चुनाव कमेटी के गठन किए वोटिंग का एलान नहीं किया जा सकता है।
इस हड़बड़ी और जल्दी की असल वजह को अवाम अच्छी तरह जानती है कि जनाब हाशिम रज़ा साहब और उसके सहयोगी मौलाना अब्दुल क़य्यूम,इबरार इस्माइल हाशमी एवं वसी अहमद का किसी भी तरह से अंजुमन पर कब्ज़ा करना मक़सद है। इसके लिए उक्त लोगों ने पहले चुपके से 4 सदस्यों वाली एक कमेटी जनाब मुख़्तार अहमद वकील साहब की अध्यक्षता में बनाई थी लेकिन उस कमेटी को अवाम ने रद्द करके उसी अवामी मीटिंग में आम सहमति से चार सुन्नी और एक शीया मकतब-ए-फिक्र के पांच सदस्यों वाली कमेटी को मंजूरी दे दी,जिसका अध्यक्ष जनाब शाहिद रज़ा को चुना गया। जिसने अवामी विश्वास को अपनी पूंजी बनाकर पहले दिन से ही काम शुरू कर दिया और आज तक कर रही है।
अवाम के फैसले में अपने सपनों को साकार ना होता हुआ देखते हुए निजी स्वार्थ के लिए हाशिम रज़ा गैर दस्तूरी ढंग से मुंह बोली अपनी एक नई कमेटी बनाकर अवाम को गुमराह करने में जुट गए, घूम घूम कर अवाम में यह भ्रम फैलाने लगे कि हम ही अंजुमन की अवामी विश्वास प्राप्त कमेटी हैं और हम ही वोटिंग भी कराएंगे,लेकिन जब लोगों ने उनकी रसीद पर अंजुमन का नाम देखा तो सब चौंक गए कि शाहिद रज़ा की रसीद पर Anjuman Islamia लिखा है मगर इनकी रसीद पर तो Anjuman Aslamia है, पकड़ने वाली नज़रों के सामने इनका असली चेहरा जब बेनका़ब होगया तो इन्होंने यह तरीक़ा निकाला कि घर में बैठे बैठे फर्ज़ी ढंग से अपनी रसीदें अपने विचार के लोगों के नाम की काट ली है, ताकि अपने इच्छा अनुसार अंजुमन का जन प्रतिनिधि का झूठा मुखौटा लगाकर अपने मन की प्रतिनिधित्व कर सकें।
मास्टर हाशिम रज़ा के ग्रुप का असल मास्टरमाइंड मो इबरार इस्माइल हाशमी जिसने वर्ष 2012 में तत्कालीन कार्यकारिणी समिति को भंग करके डा जेड बी रज़ा साहब की अध्यक्षता में एक एडहॉक कमेटी बनाई थी जिसमें इबरार इस्माइल हाशमी खूद मदरसा अंजुमन इस्लामिया का सचिव बने एवं जुलाई 2012 से जनवरी 2013 तक में 3,86,833/- (तीन लाख छयासी हज़ार आठ सौ तैंतीस रूपए) का गलत ढंग से खर्च दिखाया,इस मामले के प्रकाश में आने के बाद अंजुमन से जुड़े सभी लोगों में बेचैनी पैदा होने और अवाम में आक्रोश दिखने के बाद इस बहुचर्चित भ्रष्टाचार के विरुद्ध 2016 को तीन सदस्यों की एक जांच कमेटी बनाई गई। जिसमें इसी मास्टर हाशिम रज़ा साहब को कन्वीनर एवं पुर्व सचिव जनाब महफूज़ुर्हमान,एजाज़ साहब और वसी अहमद को सदस्य के रूप में रखा गया था। हाशिम रज़ा साहब ने 2 सितंबर 2016 को अपनी जांच रिपोर्ट पेश की और बैंक से मदरसा के रूपए की निकासी को संदिग्ध बताते हुए उस वक्त के कर्ताधर्ता पर अपने पद का दुरुपयोग करने का गंभीर आरोप लगाया है। मौलाना अब्दुल क़य्यूम के लिखित आवेदन के मुताबिक़ इबरार इस्माइल हाशमी की पत्नी यास्मीन बेग़म ने भी मदरसा अंजुमन का 52000/- (बावन हज़ार रुपए) का खर्च दर्शाया था।
लेख में शामिल आरोप अंजुमन के रिकार्ड में मौजूद होने के साथ हम जैसे अंजुमन के अनेक शुभचिंतकों के पास दस्तावेज के रूप में मौजूद हैं।
उक्त साक्ष्यों के आलोक में समझदारों के लिए यह समझना काफी है कि आख़िर कौन ऐसी मजबूरी या कमज़ोरी है जो जांच कर्ता और आरोपी आज एक साथ मिलकर हर हाल में अंजुमन पर कब्ज़ा करने और उसकी गरिमा को तहस-नहस करने पर उतारू हैं।
अंजुमन-ए-इस्लामिया के रिकार्ड में मौजूद सुबूत रहने के बावजूद जो लोग यह कहते हैं कि अंजुमन में कोई एडहॉक कमेटी बनी है और ना आगे स्वीकार की जाएगी उनको मालूम होना चाहिए कि 2012 में यही विद्वान लोगों ने ही एक एडहॉक कमेटी बनाकर सारा कारनामा अंजाम दिया है।
अतः मिल्लत-ए-इस्लामिया पूर्णियां के सभी साथियों से अनुरोध है कि किसी की बातों में न आएं और इस तरह की झूठी और भ्रामक घोषणा के प्रति आगाह रहें एवं अवामी एडहॉक कमेटी द्वारा वास्तविक और सार्वजनिक रूप से होने वाले अवामी चुनाव की तारीख की घोषणा का इंतजार करें और अंजुमन में निष्पक्ष और स्वच्छ वातावरण में चुनाव कराने में साथ दें। शुक्रिया
शुभचिंतक
अंजुमन-ए-इस्लामिया, पूर्णियां