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अखंड गीता पीठ शाश्वत सेवाश्रम में गीता प्रवचनों का 17 वां दिन,तीसरे अध्याय के 21वें श्लोक तक प्रवचन।
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
कुरुक्षेत्र, 11 अगस्त : अखंड गीतापीठ शाश्वत सेवाश्रम परिसर रमें चल रहे सम्पूर्ण गीता प्रवचन अनुष्ठान के 17 वें दिन वीरवार सायं गीता के तीसरे अध्याय में 21वें श्लोकों तक विस्तारपूर्वक व्याख्यान दिया गया। आश्रम प्रवक्ता डॉ.पुनित कुमार एवं संत कुमार ने बताया कि ब्रह्मलीन डॉ.हिम्मत सिंह सिन्हा और ब्रह्मलीन चित्रा नागरकट्टे की मधुर यादगार में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रोमिला देवी और सुनीता भारद्वाज को आशीर्वाद दिया। मंच पर प्रोमिला देवी ने आह्वान किया कि जो वस्तु अपने लिए न मांग सको वह किसी अन्य के लिए भी न मांगो। श्रीमद्भगवद्गीता प्रवचनों में डॉ.शाश्वातानंद गिरि ने कहा कि गीता पढ़ने वाले व्यक्ति को सच और झूठ, ईश्वर और जीव का ज्ञान हो जाता है। उसे अच्छे और बुरे की समझ आ जाती है। गीता पढ़ने से व्यक्ति का आत्मबल बढ़ता है और व्यक्ति साहसी और निडर बनकर अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ता है। रोजाना गीता पढ़ने से शरीर और दिमाग में सकारात्मक ऊर्जा विकसित होती है। उन्होनें कहा कि वस्तुतः कर्मों से कोई भी मुक्त नहीं हो सकता। कर्म प्रकृति से उत्पन्न होते हैं और उन्हें यज्ञ के रूप में किया जाना चाहिए, जिससे हमें मुक्ति मिलेगी और हम सुखी जीवन जी सकेंगे। श्री गीता का पाठ करने से व्यक्ति जीवन की कई परेशानियों से छुटकारा पा सकता है। कार्यक्रम में आयोजन समिति सदस्य एवं भाजपा की प्रदेश पूर्व प्रवक्ता डॉ. शकुन्तला शर्मा,श्वेता दीदी,कुसुम सैनी,परीक्षित कौशिक, नारायण सिंह, मुकुल शरण,विजय कुमार, भूपेन्द्र धर्माणी, प्रेम नारायण शुक्ल,मन्नु दत्त कौशिक,गो सेवक सतपाल शेरा,मास्टर कृपाल सिंह,शिव कुमार कोलापुर, बलदेव सैनी,पवन भारद्वाज,शिव शंकर शास्त्री,भूपेन्द्र शर्मा,विष्णु दत्त,इन्दु शर्मा,ऊषा रानी, मीना शर्मा,कुसुम चौहान, नीलम रानी, सुनीता , परमजीत कौर, दर्शना, सुलोचना, प्रकाश रानी, बिमला,राज रानी, विवेक आन्नद, सतपाल शर्मा,जयपाल मलिक, आनंद कुमार, सुभाष, राजेन्द्र,सुरेन्द्र गुप्ता,आर डी शर्मा,जय प्रकाश, सुरेश कुमार और मुकेश मित्तल आदि उपस्थित रहे।