बेटियां परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण के लिएअग्रसर हों : राज्यपाल आचार्य देवव्रतजी

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

सार्वदेशिक आर्य वीरांगना दल के राष्ट्रीय शिविर समापन समारोह में राज्यपाल
की वर्च्युअल उपस्थिति : नौ राज्यों की 400 आर्य वीरांगनाओं ने भाग लिया।

कुरुक्षेत्र : गुजरात की युनिवर्सिटियों में प्रथम 100 क्रमांक में 80 बेटियां होती हैं, प्रत्येक क्षेत्र में बेटियों ने नये कीर्तिमान स्थापित किए हैं।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आज कहा कि बेटियां घर के वातावरण को संस्कारित करके परिवार, समाज और राष्ट्रनिर्माण के लिए अग्रसर हों। उन्होंने कहा कि पुरुषों की तुलना में माताएं- बहन-बेटियां विशेष जिम्मेदारी, मनोयोग और आत्मीयता से अपना कर्तव्य निभाती हैं। भारत देश आर्थिक और औद्योगिक क्षेत्र में अग्रसर है तब, नैतिक मूल्यों के जतन और संवर्धन के लिए भी उनको आगे आना चाहिये। आचार्य आज वीडियो कॉंफ़्रेसिंग से शिविर में आई आर्य वीरांगनाओ को संबोधित कर रहे थे!
ज्ञात रहे सार्वदेशिक आर्य वीरांगना दल के राष्ट्रीय शिविर का आयोजन हरियाणा के गुरुकुल कुरुक्षेत्र में हुआ। दस दिवसीय शिविर में हरियाणा के साथ ही पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु और छतीसगढ़ सहित नौ राज्यों की 400 आर्य वीरांगनाओं ने भाग लिया। इस राष्ट्रीय शिविर के समापन समारोह में राजभवन-गांधीनगर से वर्च्युअली शामिल हुए राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि साम्प्रत वातावरण में महर्षि दयानन्द सरस्वतीजी के चिंतन और आर्य समाज की विचारधारा की प्रबल आवश्यकता है। आर्य वीरांगना दल की बेटियों से उन्होंने देश की युवापीढ़ी के निर्माण में सामाजिक जागृति में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की।

एक समय ऐसा था जब बहन-बेटियों को यज्ञ-वेदाभ्यास का अधिकार तक नहीं था। परंतु समाज सुधारक महर्षि दयानन्द सरस्वती जैसे महापुरुषों के प्रयासों से परिस्थितियां बदल गईं। आज तो चित्र सम्पूर्णतया बदल गया है, इसका उल्लेख करते हुए राज्यपालश्री ने कहा कि “आज एक भी क्षेत्र ऐसा नहीं है कि जहां बहन-बेटियों ने नये कीर्तिमान स्थापित ना किए हों। गुजरात की युनिवर्सिटियों में दीक्षांत समारोहों में मैं देखता हूं कि प्रथम 100 क्रमांक में 80 बेटियां होती हैं।” उन्होंने बेटियों को मन से दृढ़ और तन से सक्षम बनने का आह्वान किया।
सार्वदेशिक आर्य वीरांगना दल के राष्ट्रीय शिविर के दौरान मिले शिक्षण और प्रशिक्षण को जीवन की पूंजी बनाने की प्रेरणा देते हुए राज्यपाल ने कहा कि भारतीय मूल्यों और वेदों में विश्व कल्याण का चिंतन है। शिविर में से आत्मसात किए गए विचारों का विस्तार करके उनका उपयोग समाज को जोड़ने में करें और राष्ट्र की एकता बढ़ाने में भी बेटियां योगदान दें। राज्यपालश्री ने संस्कार सिंचन के लिए इस शिविर में भाग लेने के लिए बेटियों और उनके माता-पिता को अभिनन्दन दिया।

गुरुकुल कुरुक्षेत्र में आयोजित इस शिविर में आर्य वीर दल न्यास के अध्यक्ष स्वामी डॉ. देवव्रत सरस्वती के मार्गदर्शन में अनुभवी प्रशिक्षकों द्वारा आर्य वीरांगनाओं को शारीरिक, बौद्धिक शिक्षण के साथ ही आत्मरक्षा का प्रशिक्षण भी दिया गया। वीरांगनाओं को व्यायाम, आसन, प्राणायाम, षट्कर्म, ध्यान, संध्या और यज्ञ के साथ ही सैनिक शिक्षा और प्राथमिक चिकित्सा की तालीम भी दी गई।

समापन समारोह में सार्वदेशिक आर्य वीरांगना दल की प्रधान संचालिका श्रीमती व्रतिका आर्या ने स्वागत सम्बोधन किया। अंत में स्वामी डॉ. देवव्रत सरस्वती ने आभार विधि की।

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

अतीत से शिक्षा लें आपात काल के 50 वर्ष : डा. महेंद्र शर्मा

Wed Jun 26 , 2024
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक। वक्त की हर शय गुलामवक्त का हर शय पर राज। प्रस्तुति – डा. महेंद्र शर्मा। पानीपत : कौन जाने किस घड़ी वक्त का बदले मिजाज़ धर्म नियम संविधान संस्कृति और कानून आदि से शिक्षा लें और अपने इतिहास को याद रखें कि जो उपजे सो बिनस […]

You May Like

advertisement