हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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हांसी : गांव रोशन खेड़ा हांसी की पंचायत में माननीय निदेशक अभियोजन व जिला न्यायवादी डॉ. दीपक लेघा रणजीत हिसार के आदेश पर तीन नए कानून में हुए संशोधन के बारे में श्रीमती नीलम राय, सहायक जिला न्यायवादी द्वारा भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 व भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023, इन तीन नए आपराधिक कानूनों में हुए संशोधनों पर जागरूक किया गया। साइबर क्राइम ब्रांच से हेड कांस्टेबल जंग जीत सिंह ने इंटरनेट द्वारा होने वाले क्राइम के बारे में विस्तार से बताया तथा बताया कि किस प्रकार आम आदमी साइबर क्राइम ब्रांच से सहायता ले सकता है। उन्होंने बताया कि साइबर क्राइम की हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करके सहायता ली जा सकती है। एडवोकेट अनिल वर्मा ने भी तीन नए कानूनों के अन्य पहलुओं पर अपनी बात रखी। श्रीमती नीलम राय ने विस्तार से बताया कि तीन नए आपराधिक कानून, अर्थात् भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, के आने से भारत की न्याय प्रणाली में क्रांति आ गई है। 1 जुलाई, 2024 भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण तारीख है, क्योंकि तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। देशभर में फोन छिनने के अपराध हर दिन बढ़ रह रहे थे. लेकिन अब कानून में बदलाव के बाद पुलिस ने बदमाशों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है. पुलिस अब नए कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 112 और 112 (2) के तहत केस दर्ज करना शुरू कर दिया है. बता दें कि लूटपाट, चोरी, स्नैचिंग के अलावा अन्य किसी भी तरह के अपराध को अंजाम देने पर इन कानून के मुताबिक सजा होगी. एक अधिकारी ने बताया कि बीएनएस की धारा 112 काफी मजबूत है. इसके लगने के बाद आरोपी लंबे समय तक जेल में रहेगा। बीएनएस ने सामुदायिक सेवा को भी सजा के तौर पर शामिल किया है। यह सजा इस तरह के अपराधों पर लागू होती है: (i) 5,000 रुपये से कम कीमत की संपत्ति की चोरी, (ii) किसी सरकारी कर्मचारी को रोकने के इरादे से आत्महत्या करने का प्रयास, और (iii) नशे में धुत होकर सार्वजनिक स्थान पर आना और लोगों को परेशान करना। बीएनएस यह परिभाषित नहीं करता है कि सामुदायिक सेवा में क्या शामिल होगा और इसे कैसे संचालित किया जाएगा। ब्रिटिश सरकार द्वारा पुराने आपराधिक कानून लागू किए गए थे जो ब्रिटिश राष्ट्रों के अनुसार बनाए गए थे, और व्यावहारिक कार्यान्वयन में कठिनाइयाँ थीं और नए कानून भारत और भारत के नागरिकों की स्थिति के अनुसार लाये गए है। न्यायालय को 45 दिनों के भीतर अपना निर्णय सुनाना होता है, लेकिन पहले इसके लिए समय निर्धारित नहीं था । इस अवसर गांव रोशन खेड़ा की सरपंच पूनम, उनके पति सतबीर सिंह मलिक, अन्य पंच व ग्रामीण मौजूद रहे। जिन्होंने इस विषय को बड़ी गंभीरता से सुना व अपने प्रश्नों के उत्तर भी विशेषज्ञ से जाने।