गोरखपुर के ग्रामीण क्षेत्र गगहा के अंतर्गत ग्राम सभा हाटा बाजार
आत्मसंयम नहीं तो पुरुष के पुरुषार्थ की कल्पना असम्भव: महामंडलेश्वर
इस समय पुरुष खास कर युवा अनियंत्रित इच्छाओं व अमर्यादित चरित्र के कारण रास्ते से भटक रहा है। सांसारिक पदार्थों में, इन्द्रिय विषयों की प्राप्ति में आनन्द ढूंढ़ रहा है। परिणाम दुःखों के सागर में डूबता जा रहा है। ऐसे व्यक्ति लोगों से सद्गुण व प्रेम करना छोड़कर, दूसरों से द्रोह और दुसरे की स्त्री पर कुदृष्टि रखने वाले लोग चाहे जितना पूजा-अर्चना करें। दिखावा करके यज्ञ करालें, उससे उनको कोई लाभ मिलने वाला नहीं है। पर, स्त्री पर कुदृष्टि लंकापति रावण ने डाली थी, जिसका समूल नाश हो गया।
उक्त बातें गगहा क्षेत्र के हाटा बाजार हाटेश्वेरी माता मंदिर में आयोजित श्री श्री शतचंडी प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ में महामंडलेश्वर सिद्ध पीठाधीश्वर विद्या कुण्ड श्री धाम अयोध्या से पधारे महंत प्रेम शंकर दास जी महाराज समापन के दिन श्रोताओं को कथा का रसपान कराते हुए, राम विवाह प्रसंग पर चित्रण कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विवाह सिर्फ संतान प्राप्ति के लिए नहीं होती है। यह व्यक्ति को आध्यात्मिक विकास और जीवन-मृत्यु चक्र से मुक्ति दिलाती है। इस समय अधिकांश लोगों के अंदर रावण का चरित्र पनप रहा है। दुनिया का कोई पिता रावण व कंस जैसे चरित्र वाला बेटा नहीं चाहता। माता पिता के आंखों में दो बार आंसू आता है, एक जब बेटा मुंह मोड़ता है और दूसरा जब बेटी विदा होती है तब। लेकिन आज का बेटा अपने ही पिता से पूछता है कि तूं हमरे खातीं का कईला। बेटियों को भी पिता के पगड़ी का ख्याल नहीं रह गया है। याद रखो एक पिता के लिए अगर लड़का स्वाभिमान है तो बेटीयां अभिमान है। पिता चाहता है कि जो लक्ष्य वह अपने जीवन मे प्राप्त नही कर पाया वह उसका पुत्र जरूर पूरा करे। यानी पिता को खुशी जब मिलती है जब पुत्र पिता के स्वयं के जीवन मे पूरे न हो पाए सपने को पुत्र प्राप्त कर लेता है। कथा दौरान के भजनों श्रद्धालु नाचते थिरकते लुत्फ उठाते रहे।
जिला रिपोर्टर सुषमा वर्मा