विद्यालय शिक्षा के केंद्र के साथ-साथ विद्यार्थियों के समग्र विकास का सशक्त मंच: विनोद कौशिक

एनीमिया मुक्त भारत एवं सुरक्षित विद्यालय नीति पर ऐतिहासिक जिला स्तरीय कार्यशाला का सफल आयोजन।
कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक 14 जुलाई : जिला शिक्षा अधिकारी विनोद कौशिक ने कहा कि विद्यालय केवल शिक्षा के केंद्र नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के समग्र विकास का सशक्त मंच हैं। यदि हम बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं देंगे तो हम उनके उज्ज्वल भविष्य के साथ न्याय नहीं कर सकते। एनीमिया मुक्त भारत अभियान हो या सुरक्षित विद्यालय नीति, इन दोनों मिशनों को तभी सफलता मिलेगी जब प्रत्येक विद्यालय प्रमुख अपनी जिम्मेदारी को कर्मठता से निभाए।
जिला शिक्षा अधिकारी विनोद कौशिक सोमवार को राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कुरुक्षेत्र स्थित केशव सदन में एनीमिया मुक्त भारत अभियान एवं सुरक्षित विद्यालय नीति पर केंद्रित एक विशेष कार्यशाला में बोल रहे थे। बैठक में कुरुक्षेत्र जिले के सभी निजी विद्यालयों के प्राचार्य एवं प्रतिनिधि सम्मिलित हुए और उन्होंने विद्यालयों में स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संबंधी पहलों को सशक्त बनाने के लिए सक्रिय भागीदारी निभाई।
उन्होंने सभी विद्यालय मुखियों से आग्रह किया कि वे एचबी टेस्टिंग, आयरन टेबलेट वितरण और सुरक्षा मानकों को पूरी निष्ठा और संवेदनशीलता से लागू करें ताकि कोई भी बच्चा स्वास्थ्य और सुरक्षा की दृष्टि से उपेक्षित न रहे। कार्यशाला में विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम में डॉ. मनीषा व डॉ. प्रदीप कुमार नागर ने एनीमिया मुक्त भारत अभियान की पृष्ठभूमि, वैज्ञानिक पहलू, क्रियान्वयन रणनीति एवं विद्यालयों की भूमिका पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। वहीं सुरक्षित विद्यालय नीति पर डॉ. शीशपाल जांगड़ा, शेर सिंह एवं जोगिंदर ढुल ने बाल संरक्षण, आपदा प्रबंधन, इमरजेंसी रिस्पांस, संरचनात्मक सुरक्षा, मनोसामाजिक सहायता जैसे विषयों पर गहन विचार साझा किए।
जिला शिक्षा अधिकारी विनोद कौशिक ने सभी प्रतिभागियों से आह्वान किया कि अपने अपने विद्यालय में आंवला तथा अमरूद के पौधे जरूर रोपित करें ताकि एनीमिया मुक्त भारत की अवधारणा को कुरुक्षेत्र जिले में एक जन-आंदोलन का रूप दिया जा सके।
इस अवसर पर उप जिला शिक्षा अधिकारी श्री इंदु कौशिक, सभी खंड शिक्षा अधिकारी, जिला विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. तरसेम कौशिक, सतबीर कौशिक, राजेंद्र कुमार, अरुण गोयल सहित जिला शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारी तथा बड़ी संख्या में निजी विद्यालयों के प्राचार्य व प्रतिनिधि उपस्थित रहे।