जीवन में सफलता के लिए ज्ञान, कौशल और सकारात्मक दृष्टिकोण आवश्यक : प्रो. सोमनाथ सचदेवा

केयू में नवदीक्षा एवं विद्यार्थी स्वागत समारोह में विद्यार्थियों का किया अभिनंदन।
कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक 6 अगस्त : जीवन में सफलता के लिए ज्ञान, कौशल और सकारात्मक दृष्टिकोण आवश्यक है। शिक्षा और दीक्षा दोनों ही जीवन में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनका अर्थ और प्रक्रिया अलग-अलग है। शिक्षा का अर्थ ज्ञान और कौशल प्राप्त करने की प्रक्रिया है जो कहीं से भी प्राप्त की जा सकती है जबकि जबकि दीक्षा का अर्थ गुरुओं के सानिध्य में शिक्षा प्राप्त करना है। ये उद्गार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने बुधवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ इंटिग्रेटिड एण्ड आनर्स स्टडीज़ द्वारा नवदीक्षा एवं विद्यार्थी स्वागत समारोह में बतौर मुख्यातिथि व्यक्त किए। इससे पहले कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, कुलसचिव डॉ. वीरेन्द्र पाल, आईआईएचएस प्राचार्या प्रो. रीटा, प्रॉक्टर प्रो. अनिल गुप्ता, मुख्य सुरक्षा अधिकारी डॉ. आनंद कुमार, प्रो. कुसुमलता, डॉ. अश्विनी कुश ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इससे पहले आईआईएचएस की प्राचार्या प्रो. रीटा ने सभी अतिथियों व नए विद्यार्थियों का स्वागत किया।
कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हरियाणा की एकमात्र सरकारी यूनिवर्सिटी है जिसे नैक द्वारा उच्चतम ए-प्लस-प्लस ग्रेड प्राप्त हुआ है। देश में 1100 से ज्यादा सरकारी व प्राईवेट यूनिवर्सिटी हैं और जिनमें से 60 यूनिवर्सिटी के पास यह ग्रेड है। स्वायत्तता प्राप्त विश्वविद्यालयों की श्रेणी में विश्वविद्यालय देश में 8वें स्थान पर हैं। विश्वविद्यालय ने देश में खेलों के क्षेत्र में प्रदान की जाने वाली सबसे प्रतिष्ठित मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (माका) ट्रॉफी में पिछले दो साल में तीसरा स्थान हासिल किया है वहीं सांस्कृतिक गतिविधियों में भी कुवि सभी विश्वविद्यालयों में तीसरे स्थान पर तथा सरकारी विश्वविद्यालयों में पहले स्थान पर रहा है।
कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि शिक्षा वह है जो व्यक्ति के ज्ञान (नालेज), आत्मनिर्भरता (स्किल) को बढ़ाए व उसका चरित्र निर्माण (एटिटयूड) करे। इन तीनों को प्राप्त करना ही असली शिक्षा है। उन्होनें विद्यार्थियों को क्यूरोसिटी(जानने की इच्छा), क्रिटिकल थिंकिंग तथा जीवन में नवाचार करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि बिना इच्छा के कुछ नहीं होगा और आंख बंद कर किसी पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए। विद्यार्थी उद्यमी बने नौकरी के पीछे मत भागे तथा कुछ बड़ा करने की सोचे व हर परिस्थिति में बिना विचलित हुए अपना कार्य करें।
विशिष्ट अतिथि कुलसचिव डॉ. वीरेन्द्र पाल ने कहा कि आईआईएचएस संस्थान में दाखिला लेने वाले विद्यार्थी सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें यहां के कुशल शिक्षकों द्वारा शिक्षा दी जाएगी। विद्यार्थी अपने लक्ष्य निर्धारित कर मेहनत से अपना लक्ष्य प्राप्त करें। आपके द्वारा किए गए व्यवहार से ही पता लगेगा कि आप आईआईएचएस संस्थान के विद्यार्थी है। मंच का संचालन युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक प्रो. विवेक चावला ने किया।
इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. वीरेन्द्र पाल, प्राचार्या प्रो. रीटा, प्रो. अनिल गुप्ता, प्रो. कुसुम लता, प्रो. आनंद कुमार, प्रो. अश्विनी कुश, प्रो. अनिता दुआ, प्रो. विवेक चावला, प्रो. अनुपमा, डॉ. विनीत, प्रो. परमेश कुमार, डॉ. सुनीता, डॉ. ज्ञान चहल, प्रो. निरुपमा भट्टी, प्रो. हितेन्द्र त्यागी, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया, उप-निदेशक डॉ. जिम्मी शर्मा, डॉ. हरिओम फुलिया, सहित संस्थान के शिक्षक सहित करीब एक हजार विद्यार्थी मौजूद थे।
विद्यार्थियों को दी विभिन्न सुविधाओं की जानकारी।
नवदीक्षा एवं विद्यार्थी स्वागत समारोह में प्रो. अनिता दुआ, प्रो. परमेश कुमार व डॉ. अश्विनी कुश ने विद्यार्थियों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में पीपीटी के माध्यम से विस्तार से बताया।