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चक्रधर समारोह-2025छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोकगायिका आरू साहू की सुरमयी प्रस्तुति से देर रात तक झूमते रहे श्रोता आरू साहू ने लोकगीतों से सजाया मंच, भक्ति और संस्कृति से सराबोर हुआ सजा सांस्कृतिक महफिल

चक्रधर समारोह-2025छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोकगायिका आरू साहू की सुरमयी प्रस्तुति से देर रात तक झूमते रहे श्रोता आरू साहू ने लोकगीतों से सजाया मंच, भक्ति और संस्कृति से सराबोर हुआ रायगढ़भवप्रीता डांस एकेडमी रायगढ़ ने अपनी गरिमामयी प्रस्तुतियों से दर्शकों को किया मंत्रमुग्धगुरू श्रीमती बाला विश्वनाथ भरतनाट्यम ने दी भावपूर्ण प्रस्तुतिपं.योगेश शम्सी के तबला वादन से मंत्रमुग्ध हुए श्रोतादेश-प्रदेश के सुप्रसिद्ध कलाकारों ने दी मनमोहक प्रस्तुतियाँ, दर्शक हुए भावविभोरचक्रधर समारोह का तीसरा दिन कथक, भरतनाट्यम, तबला और लोकगीतों से सजा सांस्कृतिक महफिल

रायगढ़, 30 अगस्त 2025/ चक्रधर समारोह के तीसरे दिन संगीत की विभिन्न विधाओं की झलक देखने को मिली। छत्तीसगढ़ की बेटी और सुप्रसिद्ध लोकगायिका आरू साहू ने अपनी सुरमयी प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। उनके देर रात तक चले कार्यक्रम में श्रोता झूमते रहे। तबला वादक श्री योगेश शम्सी ने भी अपनी शानदार प्रस्तुति दी। सारंगी के साथ उनके तबले की संगत ने माहौल में एक रूहानी मिठास घोल दी।
कार्यक्रम की शुरुआत में स्थानीय बाल कलाकारों ने अपनी मनोहारी प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया। इसी कड़ी में रायगढ़ की प्रतिभावान कलाकार कुमारी नव्या सिंह ने मंच पर कथक की विविध विधाओं की उत्कृष्ट प्रस्तुति दी। बाल कलाकार सुश्री कृष्णवी सिंह और अविका मोटवानी ने अपनी मनमोहक कत्थक नृत्य प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। भवप्रीता डांस एकेडमी रायगढ़ ने अपनी गरिमामयी और ऊर्जावान प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। दक्षिण भारत की शास्त्रीय परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हुए बेंगलुरु की गुरु श्रीमती बाला विश्वनाथ ने भरतनाट्यम की गरिमामयी प्रस्तुति दी। वहीं जबलपुर (मध्यप्रदेश) से पहुंचे संस्कार भारती महाकौशल प्रांत की टीम ने अपनी ऐतिहासिक नृत्य नाटिका से दर्शकों के हृदय को गहराई तक छू लिया। छत्तीसगढ़ के रजत जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ शासन संस्कृति विभाग, पर्यटन मंडल एवं जनसहयोग से जिला प्रशासन द्वारा आयोजित चक्रधर समारोह के तीसरे दिन कला, संस्कृति और परम्परा का जीवंत संगम देखने को मिला।
रायगढ़ की बाल कलाकार कुमारी नव्या सिंह ने कथक में दी मनमोहक प्रस्तुति
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चक्रधर समारोह का तीसरे दिन कार्यक्रम की शुरुआत में स्थानीय बाल कलाकारों ने अपनी मनोहारी प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया। इसी कड़ी में रायगढ़ की प्रतिभावान कलाकार कुमारी नव्या सिंह ने मंच पर कथक की विविध विधाओं की उत्कृष्ट प्रस्तुति दी। उनकी सुन्दर भाव-भंगिमाएँ, सधे हुए पदचाप और नृत्य लय की लयबद्धता ने समारोह की गरिमा को और बढ़ा दिया।
       नव्या सिंह ने नागेंद्र हराये… और मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो… जैसे गीतों पर भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत कर भक्ति और नृत्यकला का अनोखा संगम दर्शाया। बता दे कि कुमारी नव्या सिंह आयात कथक डांस एकेडमी रायगढ़ में अपनी गुरु तब्बू परवीन से कथक की शिक्षा प्राप्त कर रही। कुमारी नव्या सिंह कई बड़े मंचों में कथक नृत्य का प्रस्तुति भी दे चुकी है। 02 सितंबर को प्रणवम में अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी होने वाली है। उनकी प्रस्तुति के दौरान दर्शकदीर्घा तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठी। उपस्थित दर्शकों ने इस युवा कलाकार की प्रतिभा और साधना को सराहते हुए उत्साहवर्धन किया।
बाल कलाकार कृष्णवी सिंह और अविका मोटवानी की मनमोहक प्रस्तुति ने दर्शकों का मोहा मन
बाल कलाकार सुश्री कृष्णवी सिंह और अविका मोटवानी ने अपनी मनमोहक कत्थक नृत्य प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। बाल प्रतिभा के रूप में मंच पर उतरी वैष्णवी ने अपनी भाव-भंगिमा, नृत्य की लय और सधी हुई ताल से ऐसा समां बांधा कि उपस्थित जनसमूह तालियों की गडग़ड़ाहट से सभागार गुंजायमान करता रहा।
कार्यक्रम में वैष्णवी ने कत्थक की परंपरागत बंदिशों और भावपूर्ण मुद्राओं के साथ नृत्य प्रस्तुत किया। उनकी नन्ही उम्र में दिखाई दी परिपक्वता और नृत्य की निपुणता देखकर हर कोई आश्चर्यचकित रह गया। दर्शकों ने बार-बार तालियों की गूँज से उनका उत्साहवर्धन किया। बाल कलाकार के इस अद्भुत प्रदर्शन जैसी प्रतिभाएँ ही भारतीय शास्त्रीय नृत्य परंपरा को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं। समारोह में बड़ी संख्या में कला-प्रेमी और स्थानीय नागरिक उपस्थित थे। कत्थक नृत्य की यह शानदार प्रस्तुति निश्चित ही चक्रधर समारोह के तीसरे दिन का मुख्य आकर्षण रही। सुश्री कृष्णवी सिंह और अविका मोटवानी अभी कत्थक की शिक्षा -गुरु तब्बू परवीन से प्राप्त कर रही है। कृष्णवी और अविका वर्तमान में कक्षा तीसरी में  पढ़ाई कर रही है । इनकी रुचि बचपन से ही नृत्य में रही है। इन्होंने कलावत 2024, नाद मंजरी 2025, नटरंग 2025, चक्रधर समारोह (ग्रुप डांस) 2024, कलासंगम 2024, कौशल महोत्सव 2024, नाट्य नर्तन 2024, सरस मेला 2025 जैसे बड़े मंचों (राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय) पर नृत्य प्रस्तुत किया है।
भवप्रीता डांस एकेडमी रायगढ़ ने अपनी गरिमामयी प्रस्तुतियों से दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चक्रधर समारोह के मंच पर आज भवप्रीता डांस एकेडमी रायगढ़ ने अपनी गरिमामयी और ऊर्जावान प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत श्री गणेश स्तुति एवं यशकीर्ति से हुई, जिसके पश्चात् दर्शकों ने भोले बाबा के आनंद तांडव का अद्भुत आनंद लिया। विशेष आकर्षण रहा अनंता पाण्डेय का शानदार 25 चक्कर जिसने दर्शकों का विशेष ध्यान आकृष्ट किया। अनंता पाण्डेय, जो बारहवीं कक्षा की छात्रा हैं, पिछले छह वर्षों से नृत्य के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राष्ट्रीय मंचों पर कई पुरस्कार जीत चुकी हैं, जिनमें कटक नेशनल डांस फेस्टिवल, जयपुर नेशनल कॉम्पीटिशन, अहमदाबाद नेशनल डांस फेस्टिवल, दिल्ली नेशनल डांस फेस्टिवल और काशी अस्सी घाट अंतरराष्ट्रीय डांस महोत्सव प्रमुख हैं। अनंता न केवल एक नृत्यांगना हैं, बल्कि क्रिकेट, बास्केटबॉल और ताइक्वांडो में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर चुकी हैं।
        वहीं ऑजनेय पाण्डेय, जो ओ.पी. जिंदल यूनिवर्सिटी में बीबीए अंतिम वर्ष के विद्यार्थी हैं, ने भी अपनी दमदार प्रस्तुति से दर्शकों को भावविभोर किया। वे चक्रधर समारोह 2023 के साथ-साथ काशी अस्सी घाट अंतरराष्ट्रीय आयोजन और ओ.पी. जिंदल टेक्नो नेशनल फेस्टिवल में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुकी हैं। भवप्रीता डांस एकेडमी की स्थापना वर्ष 2020 में हुई थी और आज यह संस्था सैकड़ों बच्चों को नृत्य, फोक, वेस्टर्न, हिप-हॉप, स्टंट, सेल्फ-डिफेंस और पर्सनालिटी डेवलपमेंट की शिक्षा दे रही है। नृत्य निर्देशन एवं कोरियोग्राफी दिव्या साकेत पाण्डेय द्वारा किया गया। प्रस्तुति देने वाले कलाकारों में आँजनेय पाण्डेय, सौम्या भारती, संस्कृति दुबे, सिया दुबे, सजदीप सलूजा, शौर्य मिश्रा, देवांशी ठेठवार, आशिता गुप्ता, चारु खिलवानी, प्रिंसेस कुमारी और अनंता पाण्डेय शामिल रहे।इस भव्य प्रस्तुति ने दर्शकों को भारतीय संस्कृति और कला के अद्भुत संगम का अनुभव कराया।
संस्कार भारती महाकौशल प्रांत की टीम द्वारा दी गई नाटिका की जीवंत प्रस्तुति
जबलपुर (मध्यप्रदेश) से पहुंचे संस्कार भारती महाकौशल प्रांत की टीम ने अपनी ऐतिहासिक नृत्य नाटिका से दर्शकों के हृदय को गहराई तक छू लिया। नाट्य विधा प्रमुख कमलेश यादव के नेतृत्व में प्रस्तुत गोंडवाना की वीरांगना रानी दुर्गावती पर आधारित नृत्य नाटिका समारोह का आकर्षण का केंद्र बनी। मंचन में रानी दुर्गावती के जन्म से लेकर विवाह और मुगल साम्राज्य के विरुद्ध उनके शौर्यपूर्ण संघर्ष को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया। वीरांगना की अदम्य साहस, पराक्रम और बलिदान को कलाकारों ने अपनी सजीव भाव-भंगिमाओं और भावपूर्ण संवादों के माध्यम से इस तरह चित्रित किया कि दर्शकगण भाव-विभोर हो उठे। नृत्य, संगीत और नाट्य का अद्भुत संगम इस प्रस्तुति में दिखाई दिया। विशेष रूप से युद्ध के प्रसंग और रानी की वीरता के दृश्यों ने दर्शकों में देशभक्ति और गौरव की भावना का संचार किया।
गणेश वंदना, दुर्गा स्तुति और शिव पंचाक्षर स्त्रोत में अंजली शर्मा ने किया कथक का अद्भुत प्रदर्शन
रायपुर की प्रतिभाशाली कथक नृत्यांगना सुश्री अंजली शर्मा ने अपनी नृत्य प्रतिभा से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने गणेश वंदना, दुर्गा स्तुति और शिव पंचाक्षर स्त्रोत पर आधारित कथक की भावपूर्ण एवं मनमोहक प्रस्तुति दी। इसके साथ ही तिहाई और तोड़े-टुकड़ों की बारीक पेशकश ने कार्यक्रम की गरिमा को और भी बढ़ा दिया। उनकी प्रस्तुति में भारतीय संस्कृति की गहराई और शास्त्रीय नृत्यकला की समृद्ध परंपरा का सजीव दर्शन हुआ।
       बता दे कि सुश्री अंजली शर्मा पिछले 12 वर्षों से शास्त्रीय कथक का अभ्यास कर रही हैं और अब तक देशभर के 50 से अधिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियाँ दे चुकी हैं। उनकी नृत्य शैली में भाव, ताल और लय का ऐसा अद्भुत संगम देखने को मिलता है, जो दर्शकों के हृदय को गहराई तक स्पर्श करता है। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया है और अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से सम्मान अर्जित किया है। कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित दर्शकों ने तालियों की गडग़ड़ाहट से उनका उत्साहवर्धन किया।
भरतनाट्यम की मनमोहक प्रस्तुति ने दर्शकों को किया आनंदित
बेंगलुरु से पहुंची भरतनाट्यम गुरु श्रीमती बाला विश्वनाथ और उनकी टीम ने मंच पर दक्षिण भारत, तमिलनाडु के भरतनाट्यम की भव्य प्रस्तुति दी। भाव-भंगिमाओं और सधी हुई मुद्राओं से सजे इस नृत्य ने उपस्थित दर्शकों को आनंद और सौंदर्य का अद्भुत अनुभव कराया। श्रीमती बाला विश्वनाथ और उनकी टीम द्वारा आज चक्रधर समारोह में भगवान शिव, मां दुर्गा, मां महिषासुर मर्दानी की स्तुति पर आधारित भक्तिमय प्रदर्शन से लोगों को भाव विभोर किया। श्रीमती बाला विश्वनाथ और उनकी टीम ने भरतनाट्यम की परंपरागत शैली में विभिन्न रचनाओं को प्रस्तुत किया। नृत्य की लय, गति और भाव-प्रदर्शन ने दर्शकों को भारतीय शास्त्रीय नृत्य की गहराई से जोड़ दिया। मंच पर जब एक-एक भाव और मुद्रा सजीव हुई तो पूरा मैदान तालियों से गूंज उठा।
        गौरतलब है कि श्रीमती बाला विश्वनाथ और उनकी टीम ने भरतनाट्यम की प्रस्तुतियों से अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उनकी कला ने विभिन्न मंचों पर भारतीय शास्त्रीय नृत्य की गरिमा को बढ़ाया है। गुरु श्रीमती बाला विश्वनाथ दूरदर्शन की ग्रेडेड कलाकार हैं। उदया टी वी, जया टी वी, चंदन टी वी आदि दक्षिण भारतीय चैनलों पर उनके नृत्य कार्यक्रम निरंतर प्रसारित होते हैं। ऐसे कला निपुण कलाकार भारतीय संस्कृति और शास्त्रीय नृत्य की परंपरा को आगे बढ़ाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। दर्शकों ने भी इस अद्भुत प्रस्तुति को अविस्मरणीय बताते हुए मुक्तकंठ से प्रशंसा की। तीसरे दिन की यह संध्या निश्चित रूप से 40वें चक्रधर समारोह के इतिहास में आज एक सुनहरा अध्याय बनकर दर्ज हुई।
तबला वादक पं. योगेश शम्सी ने तबले की थाप से बांधा समां, बिखेरा कला का जादू
देश के सुप्रसिद्ध तबला वादक पंडित योगेश शम्सी और उनके साथी कलाकार की सारंगी की जुगलबंदी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। समारोह में पंडित योगेश शम्सी ने अपनी उंगलियों के जादू से तीन ताल की लयकारी प्रस्तुत की। वहीं, उनके साथी कलाकार ने सारंगी की दिल छू लेने वाली धुनों से समारोह में एक मधुरता घोल दी। तबले और सारंगी का यह अनोखा मिलन समारोह को उत्साह और ऊर्जा से भर गया। कलाकारों की इस अद्भुत प्रस्तुति ने सभी श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। समारोह स्थल में दर्शकों ने जोरदार तालियों की गडग़ड़ाहट से कलाकारों का अभिनंदन किया।
पं. योगेश शम्सी का जन्म संगीत घराने से जुड़ा है। उनके पिता प्रख्यात गायक पं. दिनकर कैकिनी थे। उन्होंने बचपन से ही पंडित एच.तारानाथ राव से तबला सीखना आरम्भ किया। तदोपरांत उन्होंने देश के महान तबला वादक उस्ताद अल्लारखा खाँ से शिक्षा प्राप्त की और 23 वर्षों तक लगातार उनके साथ संगति की। पं.शम्सी ने देश के प्रख्यात तबला वादक उस्ताद विलायत खां, पंडित शिवकुमार शर्मा, पं. हरिप्रसाद चौरसिया, उस्ताद राशिद खान, पं. भीमसेन जोशी सहित देश के दिग्गज कलाकारों के साथ मंच साझा किया है। साल 2017 में उन्हें तबला वादन के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
        पंडित योगेश शम्सी ने हिंदुस्तान के पंजाब घराने से ताल्लुक रखते है। उनकी संगत हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के हर मंच पर विशेष आकर्षण का केंद्र रहती है। उनकी संगत में उत्साह, जोश, लयकारी और निखार श्रोताओं को अद्भुत अनुभूति प्रदान करती है। पिछले 34 वर्षों से पं.शम्सी तबला वादन की साधना में निरंतर सक्रिय हैं और अनेक प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी कला का जादू बिखेरते आ रहे हैं। चक्रधर समारोह के मंच पर जब उन्होंने तबले की थाप से समां बांधा तो समारोह स्थल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा।
छत्तीसगढ़ की बेटी आरू साहू ने लोकगीतों से सजाया मंच, भक्ति और संस्कृति से सराबोर हुआ रायगढ़
छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध लोकगायिका आरू साहू ने अपनी मधुर आवाज़ और मनमोहक प्रस्तुतियों से ऐसा संगीतमय वातावरण बनाया कि दर्शक झूम उठे। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान श्रीगणेश की वंदना से हुआ। इसके बाद आरू साहू ने हे मईया झुप-झूप महु ला नचाई दे, मेरे राम आयेंगे, सुवा, गौरी-गौरा, राउत नाचा.. मटकी म बासी और चुटकी म नून और बस्तरिया जैसे पारंपरिक गीत प्रस्तुत किए, जिनसे पूरा वातावरण लोक-सुगंध से भर उठा। वहीं हरे रामा, हरे कृष्णा, जो भी दिल से पुकारे दिल से तुझको, उसकी विपदा पल में कटी… सेवा में बाग लगाए हो मां जैसे भक्ति गीतों ने समारोह को आध्यात्मिक रंग प्रदान किया। दर्शकों ने जय-जौहार और तालियों की गूंज से आरू साहू का स्वागत किया। उनके साथी कलाकारों ने भी बजरंग बली गली-गली में नाम हे.. और अन्य भक्तिमय गीतों की प्रस्तुति कर दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
         बता दे कि धमतरी जिले की बेटी आरू साहू ने अपने जीवन की शुरुआत से ही संगीत के प्रति गहरी रुचि दिखाई। आरू ने मात्र 11 वर्ष की उम्र में ईटीवी भारत जैसे मंच पर प्रस्तुति देकर सबका ध्यान आकर्षित किया। इसके बाद उनकी आवाज़ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गूंजने लगी। वर्ष 2022 में आयोजित बर्न टू शाइन प्रतियोगिता में वे शीर्ष 30 में स्थान प्राप्त कर विजेता बनीं। अब तक वे 45 से अधिक पुरस्कार अपने नाम कर चुकी हैं। हाल ही में 2 जुलाई 2025 को रिलीज़ हुए उनके भजन सेवा में बाग लगाए मईया… को अपार लोकप्रियता मिली है। साथ ही, उन्होंने टीईडीएक्स जैसे प्रतिष्ठित मंच पर भी अपनी संगीत यात्रा और संस्कृति के प्रति समर्पण को साझा कर छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाया है। आरू साहू ने अपनी प्रस्तुतियों से चक्रधर समारोह के मंच को भक्ति और संस्कृति के रंगों से सराबोर कर दिया।

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