Uncategorized

दिव्या ज्योति जागृती संस्थान के आश्रम में साप्ताहिक सत्संग कार्यकर्म का किया गया आयोजन

दिव्या ज्योति जागृती संस्थान के आश्रम में साप्ताहिक सत्संग कार्यकर्म का किया गया आयोजन

(पंजाब) फिरोजपुर 21 नंबर [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]=

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के स्थानीय आश्रम में सप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्या साध्वी सुश्री प्रीति भारती जी ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मानव जीवन में मन का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। मन ही हमारे प्रत्येक विचार, कर्म और जीवन की दिशा निर्धारित करता है। यदि मन कामनाओं और माया के मोह में फँस जाता है, तो यह व्यक्ति को दुःख, चिंता और अशांति की ओर धकेलता है। लेकिन जब यही मन सत्संग और भक्ति के मार्ग पर चलता है, तो यह आंतरिक शांति, सुख और आनंद का स्रोत बन जाता है।
सत्संग वह पवित्र मंच है जहाँ व्यक्ति हमारे धर्मग्रंथों और शास्त्रों के अमूल्य वचनों को सुनकर अपने मन को नियंत्रित करना सीखता है। सत्संग मन को उच्च विचारों से भर देता है, भटकते मन को रोककर भक्ति के माध्यम से उसे ईश्वर से जोड़ देता है। यहाँ व्यक्ति को यह ज्ञान होता है कि सच्चा सुख बाहरी वस्तुओं में नहीं, बल्कि अपने आंतरिक मन की शांति और भक्ति में निहित है।
साध्वी जी ने कहा कि भक्ति मन को शुद्ध करने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका है। जब व्यक्ति ईश्वर के नाम का ध्यान करता है, उनकी दया का स्मरण करता है और अपने हृदय में विनम्रता का विकास करता है, तो वही मन ईश्वर के चरणों में स्थिर हो जाता है। भक्ति किसी विशेष स्थान या समय तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसा अनुभव है जो व्यक्ति के जीवन के प्रत्येक कार्य में समाहित हो सकता है—चाहे वह गृहस्थी का कार्य हो, सेवा का कार्य हो या सांसारिक कार्य।

सत्संग का सानिध्य व्यक्ति के जीवन को एक नई दिशा प्रदान करता है। यहाँ व्यक्ति को यह बोध होता है कि जीवन का वास्तविक उद्देश्य केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति नहीं, बल्कि मन को अध्यात्म के मार्ग पर लाना है। जैसे ही व्यक्ति का मन गुरु की भक्ति में स्थिर होता है, वह सभी प्रकार के दुःख, भय और विकर्षणों से मुक्त होकर सच्चे आनंद को प्राप्त करता है।
अतः मन और भक्ति का मिलन मानव जीवन को सुंदर, सार्थक और आध्यात्मिक रूप से सुदृढ़ बनाता है। सत्संग इस मिलन की कुंजी है, जो व्यक्ति को आंतरिक प्रकाश, शांति और ईश्वर के साथ एकता का अनुभव कराता है।

साध्वी जी ने कहा कि यह स्पष्ट है कि भक्ति की सच्ची प्राप्ति पूर्ण सतगुरु की कृपा से ही संभव है। पूर्ण सतगुरु मन को सही दिशा देकर भक्ति पथ पर अग्रसर करते हैं और उसे ईश्वर से मिलाते हैं। वे ब्रह्म ज्ञान के माध्यम से हमारी तीसरी आँख अर्थात दसवाँ द्वार खोलते हैं और हमारे भीतर विद्यमान ईश्वर से मिलन कराते हैं। तभी सच्ची भक्ति प्रारंभ होती है और हम आत्मिक शांति की प्राप्ति की ओर अग्रसर होते हैं। अंत में साध्वी करमाली भारती जी ने भजन कीर्तन प्रस्तुत किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
plz call me jitendra patel