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महिलाए भारत की मौन शक्ति, जो हमें भविष्य की और ले जा रही है

उत्तराखंड देहरादून
महिलाए भारत की मौन शक्ति, जो हमें भविष्य की और ले जा रही है,
सागर मलिक

डॉ. किरण मजूमदार-शॉ

जब हम अपने प्रधानमंत्री के जीवन के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, तो हमें उनकी यह प्रतिज्ञा याद आती है कि महिलाओं की पूरी भागीदारी के बिना भारत एक विकसित राष्ट्र नहीं बन सकता। उनका ‘स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार’ अभियान एक गहरी सच्चाई को दर्शाता है:“अगर मां स्वस्थ रहती है तो पूरा घर स्वस्थ रहता है। अगर मां बीमार पड़ जाती है, तो पूरा परिवार बिखर जाता है।”यह मानना कि महिलाओं का स्वास्थ्य ही हमारे राष्ट्रीय प्रगति की नींव है, भारत की विकास यात्रा का मुख्य आधार है।

भारत की विकास गाथा के केंद्र में महिलाएं

महिलाएं सिर्फ इस यात्रा की भागीदार नहीं हैं, बल्कि इसकी असली संवाहक हैं। प्रयोगशालाओं, अस्पतालों, खेतों और बायोटेक स्टार्ट-अप्स में उनके मौन लेकिन प्रभावशाली कार्य हमारे भविष्य को गढ़ रहे हैं। उन 10 लाख आशा कार्यकर्ताओं के बारे में सोचें, जो भारत की प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की रीढ़ हैं, जो अक्सर प्रकोप के दौरान सबसे पहले मदद पहुंचाती हैं या फिर आईसीएमआर, एनआईवी और एम्स की महिला वैज्ञानिकों पर विचार करें, जिन्होंने 2020 में SARS-CoV-2 वायरस को अलग करने में मदद की और भारत के स्वदेशी टीकों का मार्ग प्रशस्त किया, जिसके कारण दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में 2 अरब से अधिक टीकाकरण किए गए।

भारत की 62.9% महिला कार्यकर्ता कृषि में हैं, और अब इनमें से कई को सूखा-रोधी व फसल सुरक्षा जैसे बायोटेक समाधान अपनाने का प्रशिक्षण दिया गया है।2 बायोटेक उद्यमिता में भी महिलाएं सस्ते डायग्नोस्टिक, जीनोमिक्स और वैक्सीन नवाचार जैसे क्षेत्रों में स्टार्ट-अप्स की अगुवाई कर रही हैं। ये कोई अकेली कहानियां नहीं हैं, ये भारत की नारी शक्ति का जीता जागता सबूत हैं।

नीतिगत और संस्थागत समर्थन

महिलाओं की क्षमता को उभारने में सरकारी पहल निर्णायक रही हैं। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ से लेकर ‘मिशन शक्ति’ तक, संसद में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने वाला ऐतिहासिक ‘नारी शक्ति वंदन’ अधिनियम हो, या प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, स्टैंड-अप इंडिया और जन धन योजना के जरिए आर्थिक सशक्तिकरण- महिला-प्रधान विकास की मजबूत रूपरेखा तैयार हो चुकी है,

54 करोड़ से अधिक जन धन खाते खोले गए हैं, जिनमें लगभग 56% खाते महिलाओं के हैं। वित्तीय समावेशन का ऐसा स्तर दुनिया भर में शायद ही कभी देखा गया हो।3

*मुद्रा योजना के तहत 43 करोड़ ऋणों में से लगभग 70% ऋण महिला उद्यमियों को दिए गए हैं।4

*नारी शक्ति वंदन अधिनियम जल्द ही यह सुनिश्चित करेगा कि संसद की एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हों। जिससे नीति निर्माण में उनकी आवाज़ सुनिश्चित होगी।

विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार: वैश्विक संदर्भ में भारत

विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीय महिलाएं सचमुच सितारों तक पहुंच रही हैं। इसरो में महिलाओं ने चंद्रयान-2 और मंगलयान जैसी मिशनों में निदेशक की भूमिका निभाई, जिससे भारत की अंतरिक्ष शक्ति के रूप में उभरती छवि सामने आई। महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत, एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी के मामले में दुनिया में अग्रणी है:

भारत में 43% एसटीईएम स्नातक महिलाएं हैं, जबकि अमेरिका में 34%, यूरोपीय संघ में 32% और ओईसीडी देशों में औसतन 33%
फिर भी, वैज्ञानिक संस्थानों में केवल 19% वैज्ञानिक, इंजीनियर और टेक्नोलॉजिस्ट ही सीधे अनुसंधान और विकास से जुड़े हैं, जिससे यह ज़रूरी हो जाता है कि शिक्षा में मिली सफलता को कार्यस्थलों पर भी प्रतिनिधित्व में बदला जाए।5
सरकार के बायोकेयर (BioCARe) और वाइज किरण (WISE-KIRAN) जैसे कार्यक्रमों ने करियर ब्रेक के बाद लौटीं महिला वैज्ञानिकों को फिर से नवाचार शुरू करने का अवसर दिया है। हाल ही में बीआईआरएसी ने 75 से अधिक महिला बायोटेक उद्यमियों को सम्मानित किया, जो नई पीढ़ी की महिला नेतृत्व का संकेत है। वैश्विक स्तर पर बायोटेक नेतृत्व पदों पर महिलाएं 20% से भी कम हैं, ऐसे में भारत की यह प्रगति विज्ञान उद्यमिता में समावेशिता के नए मानक तय कर सकती है।

भविष्य की ओरः अग्रणी महिलाएं

विज्ञान-आधारित विकास का भविष्य उन महिलाओं द्वारा गढ़ा जाएगा जो जीनोमिक्स, मॉलिक्युलर डायग्नोस्टिक्स, बायोलॉजिक्स और सटीक उपचार को आगे बढ़ाएंगी। वे जैव प्रौद्योगिकी आपूर्ति श्रृंखलाओं, नियामक पारिस्थितिकी प्रणालियों और जमीनी स्तर के स्वास्थ्य वितरण नेटवर्क का नेतृत्व करेंगी और यह सुनिश्चित करेंगी कि किफायती चिकित्साएं दूर-दराज के गांवों तक भी पहुंचें। एक गैराज लैब से लेकर एक वैश्विक बायोलॉजिक्स कंपनी बनाने तक की मेरी अपनी यात्रा ने मुझे सिखाया है कि नवाचार केवल बोर्डरूम में ही जन्म नहीं लेता। यह जमीनी स्तर से जन्म लेता है और मेहनत व धैर्य से आगे बढ़ता है, चाहे वह तकनीशियन हो, शोधकर्ता (पोस्ट-डॉक) या स्वास्थ्यकर्मी। जब उन्हें अवसर और पहचान मिलती है, तो उनका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

भारत के लिए एक अहम मोड़

जैव प्रौद्योगिकी क्रांति, स्वास्थ्य सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा बनाए रखने और अंतरिक्ष व डिजिटल तकनीक के नए आयाम आने वाले दशकों में भारत की प्रगति को परिभाषित करेंगे। प्रधानमंत्री की दृष्टि स्पष्ट है: महिलाओं को केवल लाभार्थी नहीं, बल्कि इस भविष्य की सह-निर्माता के रूप में देखा जाना चाहिए।

आह्वान

अब समय आ गया है कि सभी क्षेत्रों में नेतृत्व यह सुनिश्चित करे कि महिला वैज्ञानिक, नर्सें, स्वास्थ्यकर्मी और उद्यमी पूरी तरह से दिखाई दें, उन्हें पर्याप्त संसाधन मिलें और वे पूरी तरह सशक्त हों। जब ऐसा होगा, तो भारत न केवल अपना वादा पूरा करेगा बल्कि दुनिया की उम्मीदों से भी आगे बढ़ जाएगा। क्योंकि हम सभी द्वारा निर्मित और महिलाओं के नेतृत्व वाला भविष्य अजेय होगा।

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