वित्तीय सतर्कता पर आयोजित हुई कार्यशाला

वित्तीय सतर्कता पर आयोजित हुई कार्यशाला
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय एवं जम्मू एंड कश्मीर बैंक के संयुक्त तत्वावधान में हुआ आयोजन।
गुरुग्राम, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक : वित्तीय सतर्कता हम सबकी साझेदारी है। इसके लिए आत्म जागरूकता सबसे ज्यादा जरूरी है। यह उद्गार जम्मू एंड कश्मीर बैंक के मुख्य सतर्कता अधिकारी अंबरीश मिश्रा ने श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के ट्रांजिट कैंपस में आयोजित एक कार्यशाला में मुख्यातिथि के रूप में व्यक्त किए। सतर्कता–एक साझा जिम्मेदारी, विषय पर आयोजित इस कार्यशाला में उन्होंने विद्यार्थियों को वित्तीय सतर्कता के विविध आयामों से अवगत करवाया। कुलगुरु प्रोफेसर दिनेश कुमार ने इस सराहनीय पहल के लिए बैंक एवं विश्वविद्यालय के अधिकारियों को बधाई दी। कुलसचिव प्रोफेसर ज्योति राणा, अकादमिक अधिष्ठाता प्रोफेसर विक्रम सिंह एवं डीन प्रोफेसर आर एस राठौड़ ने इस प्रयास की सराहना की।
जम्मू एंड कश्मीर बैंक तथा एसवीएसयू के इंडस्ट्रियल रिलेशंस एंड अलुम्नी अफेयर्स विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यशाला में वाद-विवाद एवं भाषण प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया। विद्यार्थियों ने जम्मू एंड कश्मीर बैंक के अधिकारियों के साथ विमर्श कर अपनी शंकाओं का समाधान किया। मुख्यातिथि अंबरीश मिश्रा ने कहा कि सतर्कता एक मानसिकता और अभ्यास दोनों है तथा यह आत्म-जागरूकता से शुरू होती है। जब कोई हमें नहीं देख रहा है, तब भी हम ईमानदारी से कार्य करें और अपनी पसंद को वरीयता देने की बजाय जो उचित है, वही निर्णय लें। उन्होंने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की कार्यशाला में रुचि और सक्रिय भागीदारी की सराहना की।
विश्वविद्यालय के ट्रांजिट कैंपस की निदेशक प्रोफेसर सुजाता शाही ने कहा कि सतर्कता हममें से प्रत्येक से शुरू होती है। यह एक साझा राष्ट्रीय प्रतिबद्धता होनी चाहिए, जिसे हर नागरिक, संगठन और संस्थान अपनाए। जम्मू एंड कश्मीर बैंक के डिप्टी जनरल मैनेजर एवं जोनल हेड रोज़ी टिक्कू ने विद्यार्थियों को जागरूक करते हुए कहा कि हम समावेशी विकास के लिए प्रयासरत हैं, इसलिए सतर्कता और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। यह हमें याद दिलाती है कि सार्वजनिक तथा निजी जीवन में निष्पक्षता और ईमानदारी सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी कुछ कंधों पर अकेले नहीं टिकी हो सकती।
इंडस्ट्रियल रिलेशंस एंड अलुम्नी अफेयर्स विभाग की निदेशक चंचल भारद्वाज ने कहा कि सतर्कता न केवल एक नैतिक अनिवार्यता है, बल्कि एक आर्थिक आवश्यकता और सामाजिक जिम्मेदारी भी है। उन्होंने जोर दिया कि सतर्क रहना एक दोहरी प्रक्रिया है। बाहरी रूप से और अपने भीतर सतर्क रहना। न्यायपूर्ण और पारदर्शी समाज की दिशा में यह हमारी साझा जिम्मेदारी का हिस्सा है। निदेशक चंचल भारद्वाज ने इस संबंध में विद्यार्थियों को सतर्कता के प्रति शपथ भी दिलाई।
मनोविज्ञान एवं व्यवहार विज्ञान के विद्यार्थी आस्था, कंचन, अकांक्षा, सृष्टि, हिमांशी, रिया, प्रीति, अंशुमान एवं निकुंज ने कार्यशाला में भागीदारी की तथा अपने विचार साझा किए। इंडस्ट्री इंटीग्रेशन के उप निदेशक अमिष अमेय ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर जम्मू एंड कश्मीर बैंक की ओर से रविंदर सिंह, सुमित, विश्वविद्यालय के डिप्टी प्लेसमेंट एन्ड ट्रेनिंग ऑफिसर डॉ. विकास सिंह भदौरिया, डॉ. शिव कुमार, डॉ. गुरप्रीत कौर, कोमल, सुमन, अंजु, माधुरी, किरण, टीना, लोवी एवं सोनल सहित कई अन्य कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
कार्यशाला में प्रतिभागिता करने वाले विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते मुख्यातिथि अंबरीश मिश्रा एवं अधिकारीगण।




