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शंखनाद की ध्वनि के साथ सरस व शिल्प मेले के उद्घाटन से हुआ अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का भव्य शुभारंभ

शंखनाद की ध्वनि के साथ सरस व शिल्प मेले के उद्घाटन से हुआ अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का भव्य शुभारंभ

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 के शिल्प व सरस मेले की सबसे सुंदर शुरूआत, ढोल-नंगाड़ो, शिल्पकारों और कलाकारों का अद्भुत संगम, राज्यपाल ने स्वयं कलाकारों से की मुलाकात।

कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक 15 नवंबर : राज्यपाल प्रोफेसर असीम कुमार घोष ने शंखनाद की ध्वनि के बीच कुरुक्षेत्र में सरस और शिल्प मेले के उद्घाटन किया और इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2025 का भव्य शुभारंभ हुआ। इस सरस और शिल्प मेले के शुभारंभ के साथ ही प्रदेश के विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों और शिल्पकारों की खुशी का ठिकाना ना रहा। इन कलाकारों ने अपने- अपने प्रदेश की संस्कृति की छटा बिखेर कर उदघाटन समारोह को यादगार बनाने के साथ-साथ चार चांद लगाने का काम किया। इस सरस और शिल्प मेले के साथ राज्यपाल प्रोफेसर असीम कुमार घोष ने मंत्रौच्चारण के बीच महोत्सव के मीडिया सेंटर का भी उदघाटन किया।


राज्यपाल प्रोफेसर असीम कुमार घोष ने शनिवार को ब्रहमसरोवर के पावन तट पर अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2025 में दीपशिखा प्रज्जवलित करके परंपरा अनुसार सरस और शिल्प मेले का शुभारंभ किया और श्रीमदभगवद गीता की प्रति पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्घा को व्यक्त किया। इसके पश्चात राज्यपाल ने ब्रह्मसरोवर के तट पर शिल्प और सरस मेले का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने ढोल-नंगाड़ा पार्टी, करतब दिखा रहे कलाकार, नृत्य कर रहे कलाकार और बीन पार्टी से बातचीत की। इतना ही नहीं राज्यपाल ने सरस मेले में विभिन्न प्रदेशों से शिल्पकारों से उनकी शिल्पकला के बारे में विस्तार से पूछा। इन स्टॉलों पर राज्यपाल ने कुछ मिनट बिताए और शिल्पकला और सेल्फ हेल्प ग्रुप के बारे में भी जानकारी हासिल की। राज्यपाल ने इन स्टॉलों पर हाथ से बने उत्पादों की जमकर प्रसंशा की है। इसके अलावा राज्यपाल ने शिल्पकारों के साथ अपने मन की भावनाओं को भी साझा किया।
उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए ऐतिहासिक अवसर है। इस शिल्प और सरस मेले की सुंदर और भव्य शुरूआत शिल्पकारों के लिए सार्थक होगी। इस ब्रहमसरोवर के पावन तट पर दूर-दराज से आने वाले लाखों पर्यटकों के लिए एक मंच पर विभिन्न राज्यों के शिल्पकारों और सरस मेले में पहुंचे सेल्फ हेल्प ग्रुप के सदस्यों की कला देखने को मिलेगी। यह दृश्य पर्यटकों के लिए अदभुत और अनोखा होगा। इस मेले के लिए केडीबी और प्रशासनिक अधिकारी बधाई के पात्र है, सभी के साझे प्रयासों से इस मेले का परंपरा अनुसार आगाज हुआ है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 का आयोजन 15 नवंबर से 5 दिसंबर 2025 तक किया जाएगा और मुख्य कार्यक्रम 8 दिवसीय होंगे और यह कार्यक्रम 24 नवंबर से 1 दिसंबर 2025 तक चलेंगे। इस महोत्सव में संत सम्मेलन, दीपोत्सव, गीता सेमिनार, वैश्विक गीता पाठ मुख्य आकर्षण का केंद्र रहेंगे। इन कार्यक्रमों से युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलेंगी और प्राचीन संस्कृति से आत्मसात होने का अनोखा अवसर भी मिलेगा।
केडीबी सीईओ पंकज सेतिया ने मेहमानों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि तीर्थ यात्रियों के लिए प्रशासन की तरफ से पुख्ता इंतजाम किए गए है। इस मौके पर थानेसर के विधायक अशोक अरोड़ा, केयूके के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा, केडीबी मानद सचिव उपेंद्र सिंघल, जिला परिषद के सीईओ शंभू राठी, प्राधिकरण के सदस्य सौरव चौधरी, केडीबी सदस्य विजय नरुला, अशोक रोसा, डा. ऋषिपाल मथाना, कैप्टन परमजीत सिंह, सैनी समाज के प्रधान गुरनाम सैनी, भाजपा नेता हरमेश सिंह सैनी, डा. संजय छाबड़ा, डा. अलकेश मोदगिल, सुभाष पाली, राजेश शांडिल्य आदि उपस्थित थे।
गीता का संदेश जितना पहले उपयोगी था, उतना आज भी उपयोगी
राज्यपाल प्रोफेसर असीम कुमार घोष ने कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के शुभारंभ का ऐतिहासिक अवसर है। हजारों साल पहले कुरुक्षेत्र की भूमि पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। यह गीता ज्ञान उस वक्त जितना उपयोगी था, आज भी उतना ही उपयोगी है। कुरुक्षेत्र भी उस वक्त जितना उपयोगी था, आज भी उतना ही उपयोगी है। गीता का यह संदेश युगों-युगों तक याद रखा जाएगा। राज्यपाल ने कहा कि गीता महोत्सव न केवल कुरुक्षेत्र की भूमि पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर भी मनाया जा रहा है। आज विधिवत रूप से सरस मेले के उद्घाटन के साथ इसका शुभारंभ हुआ है।
देश और विदेशों से पहुंचेंगे लोग।
राज्यपाल ने कहा कि देश और विदेश से लोग अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में पहुंचेंगे। इस बार भी लाखों की संख्या में लोग पहुंचेंगे। इसके साथ-साथ विभिन्न प्रांतों से कलाकार, शिल्पकार, कारीगर व सामान बेचने वाले स्वयं सहायता समूह महोत्सव में पहुंचे हैं। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है और लोगों को हमारी संस्कृति जानने का अवसर भी मिलता है।

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