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तकनीक-संचालित उद्यमिता व नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कुवि प्रतिबद्ध : प्रो. सोमनाथ सचदेवा

तकनीक-संचालित उद्यमिता व नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कुवि प्रतिबद्ध : प्रो. सोमनाथ सचदेवा

कुवि ने स्टार्टअप इकोसिस्टम को किया सशक्त, कुटिक के तहत तीन स्टार्टअप्स के साथ त्रिपक्षीय समझौता।

कुरुक्षेत्र, (संजीव कुमारी) 26 दिसंबर : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने नवाचार एवं उद्यमिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए शुक्रवार को तीन उभरते हुए स्टार्टअप्स तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रौद्योगिकी ऊष्मायन केंद्र (केयूटीआईसी) के साथ त्रिपक्षीय ऊष्मायन (इन्क्यूबेशन) समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस पहल का उद्देश्य विश्वविद्यालय में स्टार्टअप संस्कृति को सुदृढ़ करना तथा तकनीक आधारित नवाचारों को प्रोत्साहित करना है। इस अवसर पर स्टार्टअप्स के लिए बधाई देते हुए कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तकनीक-संचालित उद्यमिता को बढ़ावा देने और वास्तविक जीवन की चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करने वाले नवाचारों के पोषण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने स्टार्टअप्स से आह्वान किया कि वे नवाचार, ईमानदारी और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना के साथ अपने उद्यमों को आगे बढ़ाएं। कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय शिक्षा के साथ-साथ नवाचार, अनुसंधान और उद्यमिता को समान रूप से महत्व देता है। विश्वविद्यालय का उद्देश्य विद्यार्थियों एवं युवा उद्यमियों को ऐसा मंच प्रदान करना है, जहां वे अपने अभिनव विचारों को व्यावहारिक उत्पादों और सेवाओं में परिवर्तित कर सकें। उन्होंने कहा कि आज का युग स्टार्टअप्स और तकनीकी नवाचारों का है, और ऐसे में विश्वविद्यालयों की भूमिका केवल डिग्री प्रदान करने तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि उन्हें समाज और राष्ट्र की समस्याओं के समाधान में सक्रिय भागीदारी निभानी चाहिए।
कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि कुटिक के माध्यम से विश्वविद्यालय स्टार्टअप्स को न केवल तकनीकी एवं शैक्षणिक सहयोग प्रदान कर रहा है, बल्कि उन्हें उद्योग जगत से जोड़ने, बाजार की आवश्यकताओं को समझने और आत्मनिर्भर बनने में भी सहायता कर रहा है। कुलसचिव लेफ्टिनेंट (डॉ.) वीरेन्द्र पाल ने बताया कि इस समझौते के तहत स्टार्टअप्स को केयूटीआईसी में दो वर्षों की अवधि के लिए औपचारिक रूप से शामिल किया गया है। इस दौरान उन्हें संरचित ऊष्मायन सहयोग, विशेषज्ञ मार्गदर्शन तथा विश्वविद्यालय के संस्थागत संसाधनों तक पहुंच उपलब्ध कराई जाएगी। कुटिक के समन्वयक लेफ्टिनेंट (डॉ.) अजय जांगड़ा ने जानकारी दी कि नव-प्रवेशित स्टार्टअप्स कृषि नवाचार, स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी और पर्यावरण संरक्षण जैसे विविध एवं उच्च प्रभाव वाले क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुटिक द्वारा इन स्टार्टअप्स को मेंटरशिप, आधारभूत संरचना, उद्योग से जुड़ाव तथा रणनीतिक मार्गदर्शन के रूप में व्यापक सहयोग प्रदान किया जाएगा, ताकि वे सतत रूप से अपने उद्यमों का विस्तार कर सकें। इस अवसर पर डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. राकेश कुमार, प्रो. प्रदीप कुमार, डॉ. विशाल अहलावत, डॉ. प्रियंका जांगड़ा, डॉ. रीता देवी एवं इन्क्यूबेशन कंसल्टेंट मनोज शर्मा, अशोक धीमान सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
त्रिपक्षीय समझौता।
समझौते के अंतर्गत जिन स्टार्टअप्स को शामिल किया गया है, उनमें जोइटा बायोसीडएआई प्राइवेट लिमिटेड शामिल है, जो नैनो जिंक एवं नैनो आयरन आधारित उर्वरकों के माध्यम से कृषि उत्पादकता एवं मृदा स्वास्थ्य में सुधार पर कार्य कर रहा है। वहीं सुक्समा मेडटेक प्राइवेट लिमिटेड माइक्रोनीडल आधारित ड्रग डिलीवरी पैच विकसित कर रहा है, जो कम दर्द और न्यूनतम हस्तक्षेप वाली स्वास्थ्य सेवा का समाधान प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त वनरक्षएआई सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड आईओटी आधारित तकनीकों के माध्यम से अवैध वृक्ष कटान की रोकथाम, वन अग्नि की पहचान तथा पर्यावरण निगरानी को सुदृढ़ करने पर कार्य कर रहा है।

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