कष्टों व रोगों के निवारण में सूर्य नारायण की आराधना का विशेष महत्व

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161- 91877

शक्ति और आरोग्य के देवता सूर्य देव।

कुरुक्षेत्र :- सूर्यदेव की साधना – आराधना का अच्छा फल मिलता है। सच्चे मन से की गई साधना से प्रसन्न होकर सूर्यदेव अपने भक्तों को सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
हिन्दू धर्म में भगवान सूर्य की पूजा होती आ रही है। सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा और ईश्वर का नेत्र बताया गया है। सूर्य को जीवन, स्वास्थ्य और शक्ति के देवता के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि सूर्यदेव की कृपा से ही पृथ्वी पर जीवन बरकरार है।
हमारे ऋषि-मुनियों ने उदय होते हुए सूर्य को ज्ञान रूपी ईश्वर बताते हुए सूर्य की साधना – आराधना को अत्यंत कल्याणकारी बताया है। प्रत्यक्ष देवता सूर्य की उपासना शीघ्र ही फल देने वाली मानी जाती है। इनकी साधना स्वयं प्रभु श्री राम ने भी की थी। आपको बता दें कि भगवान श्रीराम के पूर्वज भी सूर्यवंशी थे। भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब भी सूर्य की उपासना करके अपना कुष्ठ रोग दूर कर पाए थे।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य को नवग्रहों में प्रथम ग्रह और पिता के भाव कर्म का स्वामी माना गया है। जीवन से जुड़े तमाम दुखों और रोगों को दूर करने के साथ-साथ जिन्हें संतान नहीं होती उन्हें सूर्य साधना से लाभ मिलता है। पिता – पुत्र के संबंधों में विशेष लाभ के लिए सूर्य की साधना पुत्र को करनी चाहिए।
हमारी सृष्टि के प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य के रथ में सात घोड़े होते हैं, जिन्हे शक्ति और स्फूर्ति का प्रतीक माना जाता है। भगवान सूर्य का रथ यह प्रेरणा देता है कि हमें अच्छे कार्य करते हुए सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए, तभी जीवन में सफलता मिलती है।

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