जन्मकुण्डली में जातक मांगलिक है तो घबराने की जरूरत नही: पण्डित अंकित दुबे।
सेंट्रल डेस्क – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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मांगलिक व्यक्ति अपनी जन्मकुण्डली के कई दोषों को स्वयं ही समाप्त करने में सक्षम होता है : पण्डित अंकित दुबे।
मध्यप्रदेश उज्जैन :- श्री अवंतिका वैदिक कर्मकांड एवं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पण्डित अंकित दुबे ने जातक की जन्मकुंडली में मांगलिक दोष के विषय मे जानकारी देते हुए बताया की मंगल दोष यानि मांगलिक जातक की ज्यादातर ज्योतिष मंगल की स्तिथि कुंडली मे देखते ही घोषणा कर देते हैं की जातक मांगलिक हैं जब की बहुत योग ऐसे होते हैं की मंगल दोष समाप्त हो जाता हैं सो ज्योतिषगण को उन पर भी ध्यान देना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पं अंकित दुबे के अनुसार, मंगल दोष का निवारण होता हैं यदि
चतुर्थ और सप्तम भाव में मंगल मेष, कर्क वृश्चिक अथवा मकर राशि में हो और उसपर क्रूर ग्रहों की दृष्टि नहीं हो तो मांगलिक दोष का समाधान होता है।
मंगल राहु की युति होने से मंगल दोष का निवारण हो जाता है।
लग्न स्थान में बुध व शुक्र की युति होने से इस दोष का परिहार हो जाता है!
कर्क और सिंह लग्न में लगनस्थ मंगल केन्द्र व त्रिकोण का स्वामी होता हैं, यह राजयोग बनाता है जिससे मंगल का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।
वर की कुण्डली में मंगल जिस भाव में बैठकर मंगली दोष बनाता हो कन्या की कुण्डली में उसी भाव में सूर्य, शनि अथवा राहु हो तो मंगल दोष का शमन हो जाता है।
जन्म कुंडली के 1,4,7,8,12,वें भाव में स्थित मंगल यदि स्व, उच्च मित्र आदि राशि नवांश का, वर्गोत्तम, षड्बली हो तो मांगलिक दोष नहीं होगा।
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ज्योतिषाचार्य पं अंकित दुबे
( सर्वपूजन व कुंडली विशेषज्ञ ) उज्जैन म.प्र
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