छोटे-छोटे बच्चों के हाथों कलम की जगह कबाड़
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गरीबों का कोई पुरसाहाल नहीं है। कोरोना संक्रमण काल के बाद गरीबों के बच्चे कबाड़ बीनकर घर का खर्च चला रहे हैं। बिना मास्क और सफाई के यह बच्चे गलियों-कूचों में थैला लटकाए देखे जा सकते हैं
जलालाबाद जवाहर नवोदय विद्यालय की ओर जाने वाली सड़क पर छोटे-छोटे 3 नाबालि वच्चे प्लास्टिक की बोतल, लोहा, गत्ता इकट्ठा करने में मशगूल रहे। बच्चों ने बताया वे बिहार के रहने वाले हैं उनमें से एक बच्चे ने बताया कि उसकी मां अब इस दुनिया में नहीं है बच्चों ने बताया गरीबी के कारण उनके परिवार वाले बिहार से चलकर यूपी में मजदूरी करने आए हैं और उनके पास पहनने को कपड़े और जूते नहीं हैं इसलिए बच्चे कबाड़े में कपड़े और जूते बीन रहे है सभी बच्चों के माता-पिता मजदूरी करते हैं। इन तीनों बच्चों की टोली पिछले सात महीने से लगातार सुबह घरों से निकलकर कबाड़ इकट्ठा करने का काम करते हैं। इसे बेचकर राशन सामग्री के लिए पैसे का इंतजाम करते हैं। अनुसूचित जाति के इन बच्चों ने बताया कि न चाहते हुए उन्हें कबाड़ बीनना पड़ता है। घर की रोजी-रोटी चलाने के लिए वह यह करने को मजबूर हैं।