कला कीर्ति भवन में गूंजी सारंगी की धुनें, सारंग्य वीणा कार्यक्रम का हुआ भव्य आयोजन

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
पृथ्वी के कण-कण में संगीत बसा है। डा. रामेंद्र सिंह।
सारंगीवादक विनोद पवार ने छेड़ी सारंगी की तार, विभिन्न रागों की दी प्रस्तुति।
कुरुक्षेत्र 04 जुलाई : हरियाणा कला परिषद द्वारा आयोजित होने वाले साप्ताहिक कार्यक्रमों में शुक्रवार को सारंग्य वीणा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें चण्डीगढ़ के सुप्रसिद्ध सांरगीवादक पंडित विनोद पवार ने सारंगी की धुनों पर लोगों को को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस मौके पर विद्या भारती संस्कृति शिक्षण संस्थान के निदेशक डा0 रामेंद्र सिंह बतौर मुख्यअतिथि पहुंचे। कला कीर्ति भवन की भरतमुनि रंगशाला में हरियाणा कला परिषद के निदेशक नागेंद्र शर्मा ने मुख्यअतिथि का स्वागत पुष्पगुच्छ भेंटकर किया। इस अवसर पर मंच का संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी शिवकुमार किरमिच ने किया। कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत अतिथियों द्वार दीप प्रज्वलित कर की गई। कार्यक्रम से पूर्व हरियाणा कला परिषद के निदेशक नागेंद्र शर्मा ने अतिथियों व कलाकारों का स्वागत करते हुए कहा कि हरियाणा कला परिषद सदैव कला और कलाकारों के हित में कार्य करती रही है। कला परिषद द्वारा प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखने के साथ-साथ युवा वर्ग को संस्कृति से जोड़ने का भी कार्य किया जा रहा है। वर्तमान का दौर आधुनिकता का दौर है जहां युवा वर्ग अपनी संस्कृति को पीछे छोड़ते हुए पाश्चत्य संस्कृति की ओर अग्रसर है। ऐसे में हरियाणा कला परिषद कलाकारों को मंच प्रदान समाज का संस्कृति के प्रति रुझान पैदा करने के लिए प्रयासरत है। वहीं मुख्य अतिथि डा0 रामेंद्र सिंह ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि पृथ्वी के कण-कण में संगीत बसा हुआ है। जहां पानी की लहरें संगीत उत्पन्न करती हॅै, वहीं पत्तों की सरसराहट में भी संगीत है। इसके अलावा पशुओं के रम्भाने तथा पक्षियों के चहकने में भी संगीत सुनाई देता है। मनुष्य भी जन्म से ही संगीत से जुड़ जाता है और जन्म लेते ही संगीतबद्ध रोना प्रारम्भ करता है। इसलिए संगीत का मानव जीवन में बहुत ही खात महत्व है। देश-प्रदेश के संगीतकार संगीत के माध्यम से ही आमजन को कला से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। कार्यक्रम में पंडित विनोद पवार न सारंगीवादन कर लोगों को सांरगी के गुणों से अवगत करवाया। इस मौके पर श्याम जंग थापा ने बांसुरी पर संगत दी तो वहीं रजनीश धिमान तथा दिव्याशु ठाकुर ने तबले की थाप दी। पंडित विनोद पवार ने सांरगी की धुने छेड़ते हुए विभिन्न रागों को सुनाया। राग यमन के साथ प्रस्तुति प्रारम्भ करते हुए उन्होंने कईं गीतों की धुन सुनाकर लोगों को मंत्रमुग्ध किया। वहीं आलापचारी ने अपनी एक अनूठी छाप छोड़ी। 14 मात्रा में विलम्बित झुमरा में बड़ा ख्याल, विलंबित तीन ताल में गत, दु्रत तीन ताल में छोटा ख्याल आदि ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। पंडित विनोद पवार ने कार्यक्रम के नाम सारंग्य वीणा पर भी प्रकाश डालते हुए बताया कि सारंगी का पुरातन नाम सारंग्य वीणा था, जो धीरे-धीरे सारंगी में परिवर्तित हो गया। एक अलग तरह के कार्यक्रम में सांरगी, बांसुरी और तबले की धुनें श्रोताओं के कानों में रस घोलती रही और कलाप्रेमी तालियों के साथ कलाकारों की हौसला अफजाई करते रहे। अंत में मुख्य अतिथि ने सभी कलाकारों को हरियाणा कला परिषद की ओर से सम्मानित किया। वहीं कला परिषद के निदेशक नागेंद्र शर्मा ने डा. रामेंद्र सिंह को स्मृति चिन्ह भेंटकर आभार जताया। इस अवसर पर हरियाणा कला परिषद के कार्यालय प्रभारी धर्मपाल गुगलानी, डा. तरुण जोशी सहित संगीत प्रेमी उपस्थित रहे।
11 जुलाई को कला कीर्ति भवन में होगी सूफी शाम, सूफी नगमों पर झूमेंगे श्रोता।
हरियाणा कला परिषद द्वारा साप्ताहिक संध्या में शुक्रवार को सूफी शाम का आयोजन किया जाएगा। जिसमें सूफी गायक विक्रम सिरोहीवाल अपनी मधुर गायकी से सूफी तराने छेडते हुए लोगों का मनोरंजन करेंगे। कार्यक्रम का समय शाम साढ़े 6 बजे रहेगा। इसके अलावा जुलाई माह में 18 जुलाई को स्वांग दम मस्त कबीरा तथा 25 जुलाई को नाटक मीरा की प्रस्तुति रहेगी।