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वृंदावन से पधारे आचार्य राम जी महाराज ने परमार्थ भवन में चल रही छठे दिन की श्रीमद्भागवत कथा में भोले भगत और साहूकार के लेन देन का विवरण प्रस्तुत किया अपने भक्तों की लाज रखते हुए जॅज से बाइज्जत बरी करवाया
श्री कृष्ण की बाल लीला व रुकमणी मंगल का वर्णन किया
फिरोजपुर 14 अप्रैल [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]:=
वृंदावन से पधारे आचार्य स्वामी राम जी महाराज ने परमार्थ भवन में चल रहे छठे दिन की श्रीमद् भागवत कथा में भोले भगत और साहूकार के लेनदेन का, श्री कृष्ण की बाल लीला व रुक्मणी मंगल का विवरण प्रस्तुत करते हुआ बतया कि
भोले भगत ने साहूकार से कर्ज लिया साहूकार की नियत बद होने के कारण साहूकार ने भोले भगत पर मुकदमा कर दिया। जब जज के आगे सुनवाई हुई तो जज ने प्रमाण मांगे तब भोले भक्त ने कहा कि उस समय मौके पर रघुनाथ जी थे सुनवाई के दौरान रघुनाथ जी को बुलाया गया कहते हैं ना कि हम भगवान की ओर एक कदम बढ़ाए तो भगवान हजार कदम चलकर भगत के पास आता है । ऐसे में भगवान ने सादा वस्त्र पहनकर गवाह के तौर पर भोलेनाथ के पक्ष में सबूत दिए और बाइज्जत भोलेनाथ को बरी कराया। श्री आचार्य ने भोले भगत और रघुनाथ जी का विवरण देते हुए श्रद्धालुओं को समझाया कि हमें में रघुनाथ जी की दिल से तपस्या और सेवा करनी चाहिए। श्री कृष्ण की बाल लीला गोपियो को परेशान करना राधा के संग रास रचना यंहा तक की मुख से पुरी पृथ्वी को मईया यशौदा को दिखाना, मॉ के सामने रूठने जैसी कई बाल लीलाओ का वर्णन किया गया । रूक्मनी मंगल की वर्रण करते हुए कहा कि श्री कृष्ण की वीरता का डंका चारो तरफ गुंज रहा था बज़े बड़े महारथी भी उंके आगे सिर झुकाते थे । विदर्भ देश राजा विष्भक की बेटी रूकमणी जिस्मे देवी लक्षमी के समांन दिव्य लक्षण थे वह भी विवाह योग्य हो गई । रूकमणी के पास जो कोई भी आता वह कृष्ण की प्रशंसा करता ओर कहते की श्री कृष्ण एक अलौकिक पुरूष है,इस समय संपूर्ण विश्व में उनके सदृश अन्य कोई पुरूष
नही। भगवान श्री कृष्ण के गुणो ओर सुंदरता पर मुग्ध होकर रूकमणी ने मन ही मन में प्रेम कर सोचा कि वह श्री कृष्ण के बिना किसी ओर से विवाह नही करेगी । दूसरी तरफ भगवान कृष्ण को भी इस बात पता चल चुका था कि रूकमणी परम रूपवती तो है ही परम सुलक्षण भी है । रूकमणी के पिता उसका विवाह शिशुपाल से करना चाहते थे जब रूकमणी को इस बात का पता चला तो वह बहुत दुखी हुई । उसने अपना निश्च्य प्रगट करने के लिए एक ब्राह्मण को द्वारका में श्री कृष्ण के पास संदेश भेजा ।हे नंद-नंदना आपको मै पति रूप में वरण कर चुकी हूँ । मै,आप को छोड़कर किसी अन्य पुरूष से विवाह नही कर सकती मेरे पिता मेरी इच्छा के विरूध विवाह करना चाहते है । मै नगर बाहर गिरिजा मंदिर में दुलहन के रूप में जाऊंगी आप वहा पहुँच कर मुझे पत्नी रूप में सवीकार करे यदि आप नही पहुचे तो मै अपने प्राणो का प्ररित्याग कर दूंगी। इस प्रकार श्री कृष्ण व रूकमणी का मंगल हुआ।
मुख्य जजमान मुनीष शर्मा , निर्मल जीत अरोड़ा , सुरिंदर अग्रवाल ने बताया कि कथा सफलतापूर्वक चल रही हैं और श्रद्धालु सैकड़ों की तरह कथा सुनने के लिए उमड़ रहे हैं प्रबंधको ने सभी के बैठने के लिए व्यवस्था की है सभी को तिलक लगाकर अंदर जाने की अनुमति है। वापसी पर सभी को प्रसाद वितरण करने के उपरांत लंगर की व्यवस्था भी की हुई है।