त्रासदी के बाद विस्थापितों से नहीं हुआ नैतिक न्याय : अशोक बिश्नोई

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

इतिहास को जीवन देने को महापुरुषों को जीवंत करना होगा : अशोक बिश्नोई।
कागजों की खानापूर्ति करती थी तत्कालीन सरकार।
प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम खुला पत्र देकर संस्था ने दिए सुझाव।
विभिन्न शहरों व संस्थानों के नाम महापुरुषों के नाम रखने की उठाई मांग।

हिसार, 21 जनवरी : ब्रांडेड थॉट्स संस्था द्वारा सांस्कृतिक पहलुओं से जुड़े विभिन्न सामाजिक मुद्दों को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री व भारत के प्रधानमंत्री के नाम खुला पत्र सौंपा गया है। यह जानकारी ब्रांडेड थाट्स के प्रमुख अशोक बिश्नोई ने शहर के निजी रेस्तरों में पत्रकार वार्ता के दौरान दी। प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद अशोक बिश्नोई ने कहा कि हमारा प्रमुख मुद्दा यह है कि विभाजन के समय जब हिन्दुस्तान के दो टुकड़े हुए थे उस समय जो त्रासदी हुई थी जब दूसरे टुकड़े का नाम पाकिस्तान रखा गया। वहां से आए लोगों को जिनके पास वहां जमीनें भी थी लेकिन उन्हें यहां पर जमीने भी नहीं दी गई। उसकी त्रासदी आज भी विस्थापित झेल रहे हैं और आज तक उन्हें नैतिक न्याय नहीं मिल पाया है।
कांफे्रंस में संस्था अध्यक्ष अशोक बिश्नोई व सदस्य अंकित राज शर्मा ने बताया कि आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे देश के लिए भारत की आजादी जितना सुखद सपना थी उससे कहीं अधिक इसका बंटवारा त्रासदी लेकर आया था। आजादी के समय विस्थापित समुदाय अनंत कष्टों से गुजरा था। आज भले ही वह यादें और वह लोग धूमिल हो चुके हैं लेकिन एक नैतिक न्याय आज भी अधूरा है। तत्कालीन सरकारों ने कागजों की खानापूर्ति तो करदी लेकिन वास्तविकता से मुंह मोड़ लिया। इस नैतिक न्याय को अब सरकारों और समाज को मिलकर ही इस समुदाय के साथ करना होगा। प्रेस वार्ता में सांस्कृतिक पहलुओं से जुड़े हुए विभिन्न सामाजिक विषयों को रखा गया और देश के प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम खुला पत्र रखा गया।
सदस्य अंकित राज शर्मा ने बताया कि हमारे देश की संस्कृति और इतिहास के साथ जो खिलवाड़ हुआ, जो बदलाव हुआ उसके चलते हमारी आने वाली नस्लें खुद को और खुद के स्वाभिमान को भूल चुकी हैं, लेकिन अब जागरूकता की आवश्यकता है। यदि कुछ छोटे-छोटे परिवर्तनों से हमारा यह लक्ष्य संभव हो सके तो इसके लिए एक खुले पत्र के माध्यम से कुछ सुझाव हम सरकार और समाज को प्रेषित कर रहे हैं। इस प्रेस वार्ता के माध्यम से फतेहाबाद का नाम वीर शहीद साहिब जादे फतेह सिंह के नाम पर फतह नगर, हांसी का नाम वीर हकीकत राय नगर, बरवाला सैयद का नाम महर्षि वाल्मीकि नगर और हिसार का नाम महाराजा अग्रसेन के नाम पर रखने का प्रस्ताव रखा गया।
सदस्य गौरव सिंह गिरधर ने बताया इसके साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी आईआईटी और आईटीआई जैसे संस्थानों के नाम प्रजापति दक्ष और विश्वकर्मा के नाम पर वहीं एम्स और आईआईएम जैसे संस्थानों के नाम भगवान धन्वंतरि, महर्षि चरक, सुश्रुत, च्यवन, चाणक्य, कौटिल्य आदि के नाम पर रखने का सुझाव पत्र के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजा गया है।
प्रेस वार्ता में आए पत्रकारों का धन्यवाद करते हुए संस्था सदस्य अशोक बिश्नोई ने कहा कि हमारा उद्देश्य नाम बदलना कतई नहीं है लेकिन यदि नाम बदलकर हमारे इतिहास के महापुरुषों को बच्चे बच्चे की जुबान पर लाया जाए, उनकी जीवनी को जीवंत किया जाए और समाज में उपेक्षित हो चुके लोगों को गर्व व स्वाभिमान की भावना का आभास कराया जाए तो यह नाम बदलना घाटे का सौदा तो कतई नहीं है। इसलिए हमारी सरकार और समाज से ये गुजारिश है कि देश में विसंगति पैदा करने के लिए लगे लोगों के मनसूबों को ध्वस्त कर विश्व को भी हमारे महापुरुषों के नाम से परिचित कराएं और शायद हमारा ये सुझाव इस इमारत की नींव और उद्देश्य की पूर्ति की पहली सीढ़ी साबित होगा। प्रैस वार्ता में संस्था के प्रमुख अशोक बिश्नोई, गौरव सिंह गिरधर, अंकित राज शर्मा के अलावा अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे।

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