ब्यूरो चीफ सैयद हामिद अलीङ
कलंदरों का जत्था महरौली से अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स में छड़ियों के रस्म अदा करने के लिए रवाना
आठ सौ साल से कलंदर निभाते आ रहे छड़ियों की रस्म दरग़ाह के निजाम गेट ओर पेश करते है छड़िया की रस्म अदा करने के लिए रवाना हो गया दरग़ाह के गद्दी नशीन खादिम खुशतर चिश्ती ने जानकरी देते हुए कहा ख्वाज़ा साहब के उर्स की होती है शुरुआत करने के लिए महरौली से कलंदरों जत्था रवाना हो गया है इस बार 600 या 700 मलंगों अलग अलग देशों से आ रहे है यह सब एक जगह इकट्ठा होते है जहां अजमेर शरीफ से रवाना हो गया है। दिल्ली स्थित ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह से रवाना होता ओर पैदल ही जगह जगह ख्वाज़ा गरीब नवाज के उर्स का पैगाम देते आते हैं 800 सो साल से इस रस्म को अदा करने के लिए महरौली से पैदल हाथो में छडिय निकले है जहां लोगों को सन्देश देते है हजरत ख्वाजा गरीब नवाज की उर्स शरू हिने वाला है यह कलंदरों का जत्था उड़िसा, अलीगढ़, बरेली, कलियर बाग्लादेश सहित अन्य राज्य स पैदल आते है