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रंग पंचमी उत्सव अनुष्ठान की समाप्ति के लिए सभी तैयारियां पूर्ण : महंत जगन्नाथ पुरी

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

होली के रंग पंचमी उत्सव का है विशेष महत्व, रंग पंचमी भगवान श्रीकृष्ण और राधा की लीलाओं से जुड़ी है।

कुरुक्षेत्र, 18 मार्च : होली के पांच दिन बाद तक चलने वाले रंग पंचमी उत्सव को लेकर अखिल भारतीय श्री मारकंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी द्वारा विशेष अनुष्ठान किया जा रहा है। इस अनुष्ठान की 19 मार्च को भगवान शिव व भगवान विष्णु के पूजन के साथ ही समाप्ति है। पांच दिन तक चले रंग पंचमी उत्सव में श्रद्धालुओं की मस्ती देखते ही बनती थी। श्रद्धालुओं ने रंग पंचमी उत्सव भजनों का भी खूब आनंद लिया। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि होली का पर्व उत्साह और रंगों का पर्व है, जो कि पारंपरिक तौर पर आठ दिन मनाया जाता है। होली के पांच दिन बाद रंग पंचमी उत्सव मनाते हैं। उन्होंने कहा कि रंग पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने होली खेली थी। इस अवसर पर देवी-देवता पृथ्वी पर आए और इस पर्व का आनंद उठाया। इस कारण इसे रंग पंचमी कहा जाता है। रंग पंचमी 19 मार्च को मनाई जा रही है। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि होली के त्यौहार पर तो रंग लगाया जाता है लेकिन रंग पंचमी के दिन रंगों की बौछार, गुलाल उड़ाने और विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि रंग पंचमी भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की लीलाओं से जुड़ी मानी जाती है। उन्होंने कहा कि रंग पंचमी के दिन खासतौर पर मथुरा-वृंदावन, बरसाना और नंदगांव में आकर्षण का केंद्र होता है। इस दौरान बांके बिहारी मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर और गोकुल के मंदिरों में विशेष रंग उत्सव होते हैं। इस दिन जोश व भक्ति भाव के साथ भजन-कीर्तन होते हैं।
महंत जगन्नाथ पुरी।

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