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किशोरावस्था में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य की अधिक जरूरत:डा.ए.के. जाटव
जिले में स्थापित नौ साथियां केन्द्र जिनके माध्यम से लगभग 16 हजार किशोर -किशोरियों को मिला समस्या का समाधान
कन्नौज .
किशोरावस्था में शारीरिक और मानसिक परिवर्तन तेजी से होते हैं। इस दौरान उन्हें विभिन्न समस्याओं और उलझनों को सुलझाने के लिए किसी ऐसे साथी की आवश्यकता होती है जिस पर वह भरोसा कर सकें। उनसे सलाह ले सकें। अपने जीवन के अच्छे व बुरे और डरावने अनुभवों को साझा कर सकें। यह कहना है राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा.ए.के.जाटव का।
डॉ जाटव ने बताया कि इसी को ध्यान में रखकर जिला अस्पताल व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर साथिया केन्द्र स्थापित कर प्रशिक्षित परामर्शदाता उचित परामर्श की सुविधा दे रहे हैं।
उन्होंने ने बताया कि किशोरावस्था वह अवधि है। जिसमें बहुत अधिक समझ,धैर्य और परिवार के समर्थन की आवश्यकता होती है। बचपन की तुलना में किशोरावस्था में नई खोज करने की प्रवृत्ति अधिक होती है। क्योंकि बचपन में बच्चों को अभिभावकों का डर होता है। जबकि किशोरावस्था में वह स्वतंत्रता की खोज करते है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार की जैसे मानसिक व शारीरिक बदलाव, भविष्य की भूमिका का निर्माण, खुद की पहचान बनाना आदि चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उनकी समस्याओं को धैर्यपूर्वक सुनें और उचित सलाह दें न कि नजरंदाज करें। टालने और नजरदांज करने से माता-पिता और युवाओं की प्रतिक्रियाएं उनके आपसी स्नेहपूर्ण तथा जिम्मेदार संबंधों में स्वस्थ लैंगिक विकास के विषय में संवाद को मुश्किल बनाते हैं। जिससें किशोर-किशोरियां तनाव में आकर डिप्रेशन का भी शिकार हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि अभिभावकों को बच्चों के साथ सहानुभूति रखना सीखना चाहिए। उनकी कमियों या गलतियों पर चिडिचिड़ाने के बजाय उनका मददगार बनना चाहिए।
जिला समन्वयक आर.के. एस.के. रागिनी सचान ने बताया कि किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक व मानसिक बदलाव के बीच 10 से 19 वर्ष आयु के बीच सही शिक्षा, बेहतर पोषण और उचित सलाह मिले तो वह अधिक तेजी से विकास कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है। इसी मकसद के साथ जिले में 960 पियर एजुकेटर्स की मदद ली जा रही है।
उन्होंने बताया कि पीयर एजुकेटर अपने क्षेत्रों में शारीरिक बदलाव, मानसिक स्थिति, भावनात्मक परिवर्तन, त्वचा संबंधी समस्या, पोषक आहार, यौन संबंधी दिक्कतों, नशा मुक्ति, आदि के बारे में किशोर-किशोरियों को जागरूक करते हैं। किसी किशोर किशोरी को कोई भी परेशानी होने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाते हैं, वहां उनकी काउंसलिंग की जाती है।
जिला समन्वयक- आर. के. एस.के. रागिनी सचान ने बताया कि इस समय जिले में कुल 9 साथिया केंद्र क्रियाशील है। ये केंद्र जिला अस्पताल सहित जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर स्थापित हैं। इन साथिया केंद्रों पर अप्रैल 2021 से अब तक लगभग 9150 किशोरियों व 7035 किशोरों द्वारा परामर्श कर अपनी समस्याओं के समाधान की जानकारी ली गई।
उमर्दा ब्लाक के ग्राम मदारीपुर के रहने वाले 18 वर्षीय संजू राजपूत(काल्पनिक नाम) बताते है कि उसे एक साल पहले कुछ समस्या थी। जिसे लेकर वह बहुत परेशान रहता था। और किसी को परेशानी बता भी नहीं सकता था। ऐसे में मेरे एक मित्र जिसके पिता स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारी है वह मुझे साथियां केन्द्र तिर्वा लेकर आया। वहां पर काउंसलर से अपनी समस्या बताई तो उन्होंने सारी बात सुनकर समझाया तथा दवा भी दी। अब मैं पूरी तरह से ठीक हूं और समस्या का बेहतर समाधान भी मिला।