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गीता के ज्ञान के साथ बच्चों में संस्कार एवं भक्ति का होना आवश्यक : ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
राक्षसी आत्माओं के विनाश के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गीता का संदेश दिया : ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी।
हरियाणा में संस्कृत गुरुकुलों का आधुनिकीकरण हो रहा है : दिनेश शास्त्री।
जयराम विद्यापीठ में अंतर्विद्यालय सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का हुआ शुभारम्भ।
विद्यापीठ में अंतर्विद्यालय सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में राज्य के 80 स्कूलों की 120 टीमों में करीब 7 हजार विद्यार्थी ले रहे हैं भाग। गीता को जानने के लिए संस्कृत भाषा का होना बहुत जरूरी है, सभी राज्यों में सरकार संस्कृत भाषा को अनिवार्य विषय बनाया जाए : ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी।
कुरुक्षेत्र, 28 नवम्बर : भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से उत्पन्न हुई पावन गीता के जन्मोत्सव गीता जयंती महोत्सव 2022 के अवसर ब्रह्मसरोवर के तट पर श्री जयराम विद्यापीठ परिसर में सोमवार को अंतर्विद्यालय सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं के शुभारम्भ अवसर पर देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि बच्चों और युवाओं में आधुनिकीकरण के बाद भी संस्कारों एवं भक्ति का होना भी जरूरी है। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से सृष्टि को गीता का संदेश दिया। राक्षसी आत्माओं के विनाश के लिए ही भगवान श्री कृष्ण ने गीता का संदेश दिया था। राक्षसी आत्माओं के विनाश के लिए ही भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। ब्रह्मचारी ने बच्चों द्वारा किए जा रहे गीता के श्लोकोच्चारण की सराहना की और कहा कि बच्चों को श्लोकोच्चारण के साथ अर्थ पता होगा तो धर्म के साथ भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों का भी ज्ञान होगा। उन्होंने कहा कि भारत संस्कृति एवं संस्कारों के साथ धनाढ्य है। इसी अवसर पर कार्यक्रम में हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक दिनेश शास्त्री भी मौजूद थे। उन्होंने जयराम विद्यापीठ द्वारा संस्कृत के प्रोत्साहन के लिए आयोजित की जा रही प्रतियोगिताओं की सराहना की। उन्होंने कहा कि परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी द्वारा दिए संकल्प एवं सहयोग के साथ अकादमी राज्य में संस्कृत के विकास के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि हर युवा एवं बच्चे को संस्कृत को अपनाना चाहिए। चाहे हमें हर भाषा का ज्ञान होना चाहिए लेकिन संस्कृत का ज्ञान अवश्य होना चाहिए क्योंकि विश्व की हर भाषा की जननी संस्कृत भाषा ही है। ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने गीता जयंती के अवसर पर श्रीमती केसरी देवी लोहिया जयराम पब्लिक स्कूल द्वारा आयोजित अंतर्विद्यालय सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं की सराहना की। उन्होंने कहा कि गीता पूरे मानव समाज के लिए भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिया गया संदेश है तो इस में सर्वजन को शामिल होना चाहिए। बच्चों में गीता के भावना पैदा करना ही हमारा उद्देश्य है। पूरे विश्व में गीता से बढ़कर कोई ग्रंथ नहीं है। उन्होंने कहा कि यह महान ग्रंथ घर घर पहुंचे और बच्चों के दिल में उतरे यही हमारा प्रयास है। लेकिन गीता को जानने के लिए संस्कृत भाषा का होना बहुत जरूरी है। ब्रह्मचारी कहा कि उनकी मांग है कि भारत सरकार सभी राज्यों में कक्षा 10वीं तक संस्कृत भाषा को अनिवार्य विषय बनाये। जिससे बच्चे भी संस्कृत भाषा से गीता को पूरी तरह से जानें। इस अवसर पर श्री जयराम शिक्षण संस्थान के उपाध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त आयुक्त टी.के. शर्मा, राजेंद्र सिंघल, के.के. कौशिक, श्रवण गुप्ता, कुलवंत सैनी, खरैती लाल सिंगला, टेक सिंह लौहार माजरा, ईश्वर गुप्ता, सुनील गर्ग, राजेश सिंगला, प्राचार्य रणबीर भारद्वाज, आचार्य प. राजेश प्रसाद लेखवार, चंद्रभान कमोदा, जयपाल शर्मा, सतबीर कौशिक व रोहित कौशिक इत्यादि भी मौजूद थे।
श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी सम्बोधित करते हुए और उपस्थिति।