बीते तीन दशक से सुश्री मायावती को छोड़ किसी बाहरी के सिर पर नहीं रखा ताज
तीन दशक से बदल गया है आलापुर सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं का मिजाज
भाजपा के त्रिवेणी राम को वर्ष 1991 मे जिताकर हुई थी स्थानीय को जिताने की शुरुआत
आलापुर अंबेडकरनगर — जहांगीरगंज सुरक्षित अब परिवर्तित आलापुर सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र का मिजाज तीन दशक से काफी बदला हुआ है पहले यहां के लोगों ने बाहरी लोगों को सिर माथे पर बिठाया लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती को छोड़ दिया जाए तो तीन दशक से किसी भी बाहरी नेता को गले नहीं लगाया। जहांगीरगंज सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र की नुमाइंदगी विधानसभा क्षेत्र के बाहर यानी गैर विधानसभा क्षेत्रों के लोग ही वर्ष 1991 के पहले किया करते थे। कांग्रेस नेत्री रामरती देवी जहांगीरगंज से दो बार विधायक निर्वाचित हुई रामरती के अलावा कृष्ण कुमार भी कांग्रेस पार्टी से जहांगीरगंज सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। पूर्व विधायक रामरती देवी के पुत्र कुंवर अरुण वर्ष 1989 में जनता दल के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे वर्ष 1991 के चुनाव में जहांगीरगंज सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र के लोगों का बाहरी लोगों से मोहभंग हो गया। राम लहर के दौरान जहांगीरगंज सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र के ही सोल्हवां गांव निवासी भाजपा प्रत्याशी त्रिवेणी राम 1991 में जहांगीरगंज सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित होने में कामयाब हुए उसके बाद वर्ष 1993 में सपा बसपा के संयुक्त प्रत्याशी के रूप में जहांगीरगंज सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र के ही सुल्तानपुर पहाड़पुर गांव निवासी घामूराम भास्कर विधायक निर्वाचित हुये। वर्ष 1996 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी जहांगीरगंज सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र के राजेसुलतानपुर (बलरामपुर) गांव निवासी भीम प्रसाद सोनकर विधायक निर्वाचित होने में कामयाब हुये। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में एक बार पुनः बाहरी उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री मायावती जी को जहांगीरगंज की जनता ने मौका दिया लेकिन विधायक निर्वाचित होने के माह भर बाद ही सुश्री मायावती ने जहांगीरगंज सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र से इस्तीफा देकर हरौड़ा सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र अपने पास रख लिया। 2002 में ही हुए विधानसभा के उपचुनाव में जहांगीरगंज विधानसभा क्षेत्र के ही मूसेपुर कला गांव निवासी भाजपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार जयराम विमल विधायक निर्वाचित होने में कामयाब हो गये। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में इसौरी नसीरपुर गांव निवासी त्रिभुवन दत्त विधायक निर्वाचित हुये। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में एक बार पुनः समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी भीम प्रसाद सोनकर को विधायक बनने का मौका मिला। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सोल्हवां गांव निवासी पूर्व विधायक त्रिवेणी राम की पुत्र वधू अनीता कमल बतौर भाजपा प्रत्याशी विधायक निर्वाचित होने में कामयाब हो गयी। लिहाजा तीन दशक से आलापुर का मिजाज बदला हुआ है अब यहां स्थानीय लोगों को ही सिर माथे पर बिठाने की मतदाताओं की आदत सी बन चुकी है।