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उत्तराखंड: पंचायत चुनाव के पात्र दावेदारों को लेकर फ़िर एक और आदेश जारी,

तो निकाय के ‘दावेदारों’ की खुशी हुई काफूर

आयोग ने कहा, दावेदारों की पात्रता पर फैलाई जा रही भ्रामक सूचना

उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 (यथासंशोधित) के प्रावधानों का होगा पालन

चौपालों पर हो रही राज्य निर्वाचन आयोग के विभिन्न आदेशों की व्याख्या,

देहरादून। नामांकन पत्रों की जांच के आखिरी दिन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दावेदारी को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग का एक और पलट आदेश सामने आया है। बीते दो हफ्ते में यह तीसरा आदेश है।

राज्य निर्वाचन आयोग के ये सभी तीनों आदेश चर्चा का विषय बने हुए है। गांव की चौपाल से सत्ता के गलियारों में चुनावी चकल्लस में लगे लोग सभी आदेशों की अलग अलग व्याख्या कर रहे हैं।

राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल गोयल के आदेश के क्रम में विभिन्न मीडिया प्लेटफार्म में वॉयरल हुई खबरों को भ्रामक बताया जा रहा है। और नए आदेश में कहा गया है कि उत्तराखंड में पंचायत चुनाव पूर्ण रूप से उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 (यथासंशोधित) के प्रावधानों के अनुसार ही संपन्न कराए जाते हैं।

ताजे आदेश में कहा गया है कि
विशेष रूप से, यह गलत प्रचार किया जा रहा है कि यदि किसी उम्मीदवार का नाम शहरी और ग्रामीण दोनों मतदाता सूचियों में है, तो उसकी उम्मीदवारी को लेकर विभिन्न अपात्रताएँ लागू होती हैं। यह भी भ्रम फैलाया जा रहा है की राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पात्रता के संबंध में नए निर्देश जारी किए हैं।

गौरतलब है कि राज्य निर्वाचन आयोग के जून के आखिरी सप्ताह में यह आदेश जारी किया गया था कि निकाय/शहरी क्षेत्र के मतदाता का पंचायत चुनाव नामांकन पत्र निरस्त किया जाय। यह आदेश नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य व कांग्रेस संगठन की ओर से राज्य निर्वाचन आयोग को लिखे पत्र के क्रम में जारी किया गया था।

इस आदेश के बाद मचे हो हल्ले के बाद जुलाई के पहले हफ्ते में नया आदेश किया। राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी आदेश में साफ कहा गया कि गांव व शहरी निर्वाचक नामावली में दर्ज मतदाता के लिए पंचायत चुनाव लड़ने में कोई बाधा नहीं है।

इधऱ, नौ जुलाई को सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग ने राज्य निर्वाचन आयोग का एक नया आदेश जारी किया है। इस आदेश में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पात्रता के संबंध में कोई नए निर्देश जारी नहीं किए हैं, जो निर्देश हैं वे पूर्व से पंचायती राज अधिनियम में प्राविधानित हैं।

यह भी कहा गया है कि व्यक्ति जिसका नाम ग्राम पंचायत के किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में सम्मिलित हो, उस ग्राम पंचायत में मत देने और किसी भी पद पर निर्वाचन, नाम-निर्देशन या नियुक्ति के लिए पात्र होगा।

बहरहाल, प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में नामांकन पत्रों की जांच हो चुकी है। इस जांच में चुनावी ड्यूटी में लगे अधिकारियों ने शहरी क्षेत्र के कितने ‘दावेदारों’ के नामांकन पत्र रद्द किए ,यह गम्भीर जांच का विषय है..नौ जुलाई को नामांकन पत्रों की जांच का आखिरी दिन है।

देखें आदेश

प्रेषक:
सचिव,
राज्य निर्वाचन आयोग,
उत्तराखंड।

विषय: पंचायत चुनाव में उम्मीदवारी की पात्रता के संबंध में भ्रामक सूचना का खंडन।

राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखंड के संज्ञान में आया है कि विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों पर आगामी पंचायत चुनावों में उम्मीदवार की पात्रता के संबंध में भ्रामक सूचनाएं फैलाई जा रही हैं।

विशेष रूप से, यह गलत प्रचार किया जा रहा है कि यदि किसी उम्मीदवार का नाम शहरी और ग्रामीण दोनों मतदाता सूचियों में है, तो उसकी उम्मीदवारी को लेकर विभिन्न अपात्रताएँ लागू होती हैं। यह भी भ्रम फैलाया जा रहा है की राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पात्रता के संबंध में नए निर्देश जारी किए हैं।

इस संबंध में, जनसाधारण, संभावित उम्मीदवारों और मीडिया सहित सभी हितधारकों को सूचित एवं स्पष्ट किया जाता है कि उत्तराखंड में पंचायत चुनाव पूर्ण रूप से उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 (यथासंशोधित) के प्रावधानों के अनुसार ही संपन्न कराए जाते हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग स्वयं इस अधिनियम के प्रावधानों से निर्देशित है और अन्य सभी को भी इन्हीं प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य है। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पात्रता के संबंध में कोई नए निर्देश जारी नहीं किए हैं, जो निर्देश हैं वे पूर्व से पंचायती राज अधिनियम में प्रविधानित हैं।
अधिनियम में किसी भी उम्मीदवार के निर्वाचन हेतु मतदाता सूची में पंजीकरण, मताधिकार, और निर्वाचित होने के अधिकार के संबंध में स्थिति स्पष्ट रूप से वर्णित है:

मत देने और निर्वाचित होने का अधिकार:

अधिनियम की धारा 9(13) के अनुसार, व्यक्ति जिसका नाम ग्राम पंचायत के किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में सम्मिलित हो, उस ग्राम पंचायत में मत देने और किसी भी पद पर निर्वाचन, नाम-निर्देशन या नियुक्ति के लिए पात्र होगा । इसी प्रकार के स्पष्ट प्रावधान क्षेत्र पंचायत के लिए धारा 54(3) और जिला पंचायत के लिए धारा 91(3) में दिए गए हैं।

इसके अतिरिक्त, पंचायत चुनावों में किसी उम्मीदवार की निरर्हता (Disqualifications) से संबंधित प्रावधान केवल उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 की धारा 8 (ग्राम पंचायत के लिए), धारा 53 (क्षेत्र पंचायत के लिए), और धारा 90 (जिला पंचायत के लिए) में विस्तृत रूप से दिए गए हैं।
अतः, सभी से अनुरोध है कि वे ऐसे निराधार प्रचार पर विश्वास न करें और केवल उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 के आधिकारिक प्रावधानों तथा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी सूचनाओं पर ही भरोसा करें। किसी भी प्रकार के संशय की स्थिति में, अधिनियम का अवलोकन करें अथवा जिला निर्वाचन अधिकारी एवं आयोग से संपर्क करें।
भवदीय,
(सचिव)
राज्य निर्वाचन आयोग,
उत्तराखंड।

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