प्रिया वल्लभ कुंज में धूमधाम से चल रहा है अष्ट दिवसीय श्रीराधा जन्म महा-महोत्सव

सेंट्रल डेस्क संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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महोत्सव के चौथे दिन हुआ मंगल बधाई समाज गायन।
वृन्दावन : छीपी गली/पुराना बजाजा स्थित प्रिया वल्लभ कुंज में श्रीहित उत्सव चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में अष्ट दिवसीय श्रीराधा जन्म महा-महोत्सव एवं अष्टयाम सेवा सुख विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के मध्य अत्यन्त श्रद्धा व धूमधाम के साथ चल रहा है। जिसके अंतर्गत ठाकुर विग्रहों का भव्य श्रृंगार करके उनकी मंगला आरती की गई।साथ ही सेवक वाणी, हित चतुरासी एवं राधा सुधानिधि आदि ग्रंथों का संगीतमय गायन हुआ। तत्पश्चात रसभारती संस्थान के अध्यक्ष डॉ. श्यामबिहारी लाल खंडेलवाल एवं निदेशक डॉ. जयेश खंडेलवाल (हित जस अलि शरण) की मुखियाई में मंगल बधाई समाज गायन किया गया। जिसमें परमानंद दास महाराज द्वारा रचित पदों का संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य गायन हुआ। इसके अलावा ठाकुरजी को 56 भोग निवेदित किए गए।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए ठाकुरश्री प्रियावल्लभ मन्दिर के सेवायत आचार्य विष्णु मोहन नागार्च ने कहा कि0 श्रीप्रियावल्लभ कुंज 18वीं शताब्दी के रससिद्ध संत एवं प्रमुख वाणीकार श्रीहितपरमानंद दास महाराज की साधना स्थली है। जो कि श्रीधाम वृन्दावन की प्राचीन धरोहर है।हम सभी सनातन धर्मावलंबियों को ऐसे दिव्य स्थलों का सरंक्षण करना चाहिए।
महोत्सव के समन्वयक व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि ठाकुर प्रियावल्लभ कुंज का इतिहास 209 वर्ष पुराना है।जिसे स्वयं श्रीहित परमानन्ददास महाराज ने अंकित किया है। इस कुंज में दतिया की महारानी बखत कुंवरि (प्रिया सखी) के सेव्य ठाकुर प्रियावल्लभ लाल एवं श्रीहितपरमानंद दास जी महाराज के सेव्य ठाकुर विजयराधावल्लभ लाल विराजित हैं।
परम् हितधर्मी व शिक्षाविद् डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा ने कहा कि श्रीहित परमानंद दास महाराज श्रीराधा वल्लभ सम्प्रदाय की बहुमूल्य निधि थे।उनके साहित्य में ब्रज-वृन्दावन का विवेचन वृहद स्तर पर है।इसलिए उनका साहित्य ब्रज की अनमोल थाती है।
सायंकाल अष्टयाम सेवा सुख के अंतर्गत उत्थापन, संध्या, वनविहार, पावस ऋतु, झूलन महोत्सव एवं ठाकुरश्री प्रिया वल्लभ लाल का विवाह महोत्सव आदि के कार्यक्रम सम्पन्न हुए।तदोपरांत प्रख्यात रासाचार्य स्वामी अमीचंद शर्मा के निर्देशन में रासलीला का अत्यंत नयनाभिराम व चित्ताकर्षक मंचन किया गया।
इस अवसर पर आचार्य ललित वल्लभ नागार्च, आचार्य रसिक वल्लभ नागार्च, श्रीमती कमला नागार्च, हितलाल बिहारी शरण, हित श्यामा शरण, गोपाल सुल्तानिया, राधा वल्लभ शरण, मदन गोपाल शर्मा, गोवर्धन दास अग्रवाल, भरत शर्मा, रासबिहारी मिश्र, तरुण मिश्रा, पार्षद वैभव अग्रवाल, राजीव बंसल, जुगल किशोर शर्मा, डॉ. राधाकांत शर्मा, हित शरण, हितवल्लभ नागार्च, रामशंकर दुबे, हेमन्त, कीर्ति, हितानंद, रसानंद, प्रेमानंद, दिव्यानंद आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।




