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आयुर्वैदिक विश्वविद्यालय का नाम गुलजारीलाल नंदा के नाम से रखा जाए : कृष्ण राज

आयुर्वैदिक विश्वविद्यालय का नाम गुलजारीलाल नंदा के नाम से रखा जाए : कृष्ण राज

कुरुक्षेत्र, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक 21 सितंबर : गुलजारीलाल नंदा फाउंडेशन के चैयरमेन कृष्ण राज अरुण ने मांग की है कि श्री कृष्ण आयुर्वैदिक विश्वविद्यालय का नाम गुलजारीलाल नंदा के नाम से रखा जाए। नन्दा ने ही कुरुक्षेत्र में आयुर्वैदिक कॉलेज की स्थापना की थी। जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल इस बाबत राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री से मुलाकात करेगा। अरुण ने बताया कि कुरुक्षेत्र को 23 जनवरी, 1973 में हरियाणा का जिला बनने का गौरव प्राप्त हुआ था। कुरुक्षेत्र को जिले का रूप धारण करने के 44 वर्ष पूरे हो गए। इन वर्षों में धर्मनगरी के बाशिंदों की जीवनशैली में काफी अंतर आया। कुरुक्षेत्र ने हर क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। जो अहम कमी रह गई, वह औद्योगिक दृष्टि से 43 वर्ष बाद भी पिछड़ने की है। इससे पूर्व कुरुक्षेत्र तथा कैथल करनाल जिले के अंग थे। तब कुरुक्षेत्र थानेसर के रूप में हालांकि सब-डिवीजन था। इसके चलते लोगों को प्रशासनिक कार्य करवाने हेतु करनाल जाना पड़ता था।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. गुलजारी लाल नंदा के प्रयासों से कुरुक्षेत्र को जिले का दर्जा 23 जनवरी, 1973 को प्राप्त हुआ। तब कैथल कुरुक्षेत्र के अधीन सब-डिवीजन बन गया। वर्ष 1973 से पहले कुरुक्षेत्र में बस अड्डा रेलवे स्टेशन के पास खाली जमीन पर होता था। बसों की संख्या कम होने के कारण लोग तांगे की सवारी का आनंद लेते थे। कुरुक्षेत्र जिला बनने के पश्चात स्वतंत्रता दिवस पर पुरानी तहसील में तत्कालीन कृषि मंत्री भजन लाल ने तिरंगा फहराया था। उस समय संसदीय सीट कुरुक्षेत्र न होकर कैथल थी जहां से गुलजारी लाल नंदा सांसद चुने गए थे। थानेसर के तत्कालीन विधायक ओमप्रकाश गर्ग थे।
शाहाबाद से बतौर तहसीलदार सेवानिवृत्त हुए अर्जुन दास सचदेवा के अनुसार नंदा जी शुरू से ही कुरुक्षेत्र को विकसित रूप देने की दिशा में प्रयासरत थे। उन्हीं के प्रयासों से वर्ष 1968 में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड का गठन हुआ और 1973 में कुरुक्षेत्र को जिला बनने का गौरव प्राप्त हुआ। तब रेलवे रोड स्थित मार्कीट कमेटी के भवन में लघु सचिवालय का काम आरंभ नहीं हुआ था। 43 वर्षों में कुरुक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर का अभूतपूर्व विकास हुआ। ज्योतिसर तीर्थ, शेख चेहली का मकबरा, भद्रकाली मंदिर, स्थाणवीश्वर मंदिर, दुखभंजन मंदिर की कायाकल्प हुई। रेलवे ओवरब्रिज, कल्पना चावला तारामंडल, पैनोरमा, श्रीकृष्ण संग्रहालय जैसे सौगातें मिलीं।
हालिया वर्षों में भी धर्मनगरी को ऐसी ही कई सौगातें मिली हैं जिससे जहां कुरुक्षेत्र को हर क्षेत्र में लाभ पहुंचेगा, वहीं शहर की ख्याति देश-विदेश में फैलेगी। इनमें धर्मनगरी में मल्टी आर्ट केंद्र के ठीक सामने बनने वाले भगवान तिरुपति बालाजी के मंदिर, एन.आई.एफ.डी. के रूप में फैशन डिजाइनिंग संस्थान, इस्कॉन मंदिर के रूप में है। वर्षों से तिरुपति बाला जी के दर्शन करने के लिए आंध्र प्रदेश की ओर रुख करने वाले श्रद्धालुओं को आगामी वर्ष तक भगवान वैंकटेश्वर के दर्शन कुरुक्षेत्र की भूमि पर ही होने सम्भव होंगे। ब्रह्मपुरी अन्न क्षेत्र आश्रम ट्रस्ट की ओर से निर्माणाधीन 18 मंजिली गीता ज्ञान मंदिर भी निकट भविष्य में श्रद्धालुओं का केंद्र बिंदु बनेगा। अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती समारोह ने विश्वभर में पहचान स्थापित की है। भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा और कर्मभूमि कुरुक्षेत्र को गीता जयंती एक्सप्रैस ट्रेन से जोड़ने का काम किया गया है।
कृष्ण राज अरुण।

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