आज़मगढ़: लोक अदालत ऐसा माध्यम है, जिसमें किसी पक्ष की हार नहीं होती – सौरम श्याम शमशेरी


आजमगढ़ 11 फरवरी– जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, आजमगढ़ के तत्वाधान में आज जनपद न्यायालय परिसर आजमगढ़ में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन माननीय न्यायमूर्ति श्री सौरभ श्याम शमशेरी माननीय प्रशासनिक जज, जनपद आजमगढ़ की अध्यक्षता में एवं माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, आजमगढ़ श्री संजीव शुक्ला व समस्त सम्मानित न्यायिक अधिकारीगण, बैक पदाधिकारीगण की उपस्थिति में राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारम्भ किया गया।
माननीय न्यायमूर्ति द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीपाचन एवं पुष्पार्चन किया गया। तत्क्रम में माननीय जनपद न्यायाधीश एवं न्यायिक अधिकारीगण द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीपाचन एवं पुष्पार्चन किया गया। माननीय न्यायमूर्ति श्री सौरम श्याम शमशेरी मा0 प्रशासनिक जज ने कहा कि लोक अदालत आम आदमी के लिए उपलब्ध एक महत्वपूर्ण वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र है। यह एक मंच है जहाँ अदालत में लम्बित विवादों या ऐसे मामले जो अदालत तक पहुँचे नहीं है, को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया जाता है। कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत लोक अदालत द्वारा किए गए अवार्ड को सिविल अदालत की डिकी समझा जाता है और यह अंतिम और सभी दलों पर बाध्यकारी है तथा इसके खिलाफ किसी भी अदालत के समक्ष अपील वर्जित है।
मा0 जनपद न्यायाधीश ने लोक अदालत की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह एक ऐसा माध्यम है, जिसमें किसी पक्ष की हार नहीं होती और सिविल मामलों में कोर्ट फीस भी सम्बन्धित पक्ष को वापस हो जाती है। इस अवसर पर माननीय न्यायमूर्ति द्वारा जनपद न्यायालय, आजमगढ़ परिसर में पौधरोपण किया गया।
माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, आजमगढ़ द्वारा कुल 02 वादों का निस्तारण किया गया। श्री अशोक कुमार VII, प्रधान न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय द्वारा 27 वादों का, श्रीमती पारूल अत्री, अपर प्रधान न्यायाधीश, पारिवारिक न्यायालय संख्या-02 द्वारा 35 वादों का एवं श्री शेषबहादुर निषाद, अपर प्रधान न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय संख्या-01 द्वारा 61 वादों सहित कुल 123 वादों का पारिवारिक न्यायालय द्वारा निस्तारण किया गया। न्यायालय मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण से कुल 38 वादों का निस्तारण किया गया। श्री बीडी भारती, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा कुल 02 वादों का, श्री सतीश चन्द्र द्विवेदी, विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी) एक्ट द्वारा कुल 07 वादों का, श्री ओमप्रकाश वर्मा तृतीय, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश / नोडल अधिकारी राष्ट्रीय लोक अदालत द्वारा कुल 03 वादों का, श्री राम नरायन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश, ईसी एक्ट द्वारा कुल 106 वादों का, श्री रवीश कुमार अत्री अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश, पाक्सो एक्ट द्वारा कुल 05 वादों का निस्तारण किया गया। पारिवारिक न्यायालय द्वारा अलग रह रहे दम्पत्तियों के वादों का निस्तारण कराकर उनको एक साथ रहने का तथा दम्पत्तियों को आशीर्वाद देकर व माला पहनाकर विदा किया गया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा कुल 1036 वादों का निस्तारण किया गया तथा 351500 रु0 की धनराशि का अर्थदण्ड आरोपित किया गया।
इसके साथ ही राष्ट्रीय लोक अदालत में विभिन्न बैंकों तथा बी.एस.एन.एल. द्वारा भी स्टाल लगाकर प्री-लिटिगेशन के 977 वादों का तथा जिला प्रशासन द्वारा प्रीलिटिगेशन स्तर पर 44404 वादों का निस्तारण किया गया। इस प्रकार इस राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 80348 वादों में से 53007 वादों का निस्तारण किया गया।

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