वैशाखी सुख और समृद्धि का पर्व है : डॉ. सुरेश मिश्रा

वैशाखी सुख और समृद्धि का पर्व है : डॉ. सुरेश मिश्रा।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

कुरुक्षेत्र : श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली (कुरुक्षेत्र) के अध्यक्ष व माँ दुर्गा चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रधान डॉ. सुरेश मिश्रा ने संकीर्तन में बताया कि वैशाख माह में आने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है बैसाखी, जो इस वर्ष 14 अप्रैल 2023, उत्तराषाढा नक्षत्र और मकर चंद्रमा राशि में मनाया जा रहा है। बैसाखी पर्व को सुख और समृद्धि का पर्व माना जाता है। इस दिन सूर्य देव मेष राशि में प्रवेश करते हैं, जिस कारण से इस दिन को मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है।
बैसाखी का आगमन प्रकृत्ति के परिवर्तन को दर्शाता है। बैसाखी वैशाख माह में मनाया जाने वाला त्यौहार है। वैसे तो भारत में साल भर अनेक त्यौहार मनाये जाते हैं। जिनमें कुछ त्यौहार पूरा देश एक साथ मनाता है तो कुछ त्यौहार देश के अलग-अलग हिस्सों में अपने-अपने धर्म, समुदाय व क्षेत्र की परंपरानुसार मनाये जाते हैं। बैसाखी एक ऐसा त्यौहार है जो मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा के साथ उत्तरी भारत में मनाया जाता है।
बैसाखी का यह खूबसूरत पर्व अलग अलग राज्‍यो में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। केरल में यह त्यौहार ‘विशु’ कहलाता है। बंगाल में इसे नब बर्षा, असम में इसे रोंगाली बिहू, तमिल नाडू में पुथंडू और बिहार में इसे वैशाख के नाम से पुकारा जाता है। बैसाखी का पर्व पंजाब के साथ-साथ पूरे उत्तर भारत में धूम-धाम से मनाया जाता है।
बैसाखी मनाने के मुख्य कारण –

  1. वैशाखी पर्व को हिंदू धर्म और सिख धर्म के लोग बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं। मान्यताओं के अनुसार हजारों सालों पहले गंगा इसी दिन धरती पर अवतरित हुई थी। इसी कारण बैसाखी पर स्नान-दान का विशेष महत्व माना गया है। बैसाखी के दिन उगते सूर्य को तांबे के लोटे में गुड और कुमकुम मिलाकर जल अर्पित किया जाता है। इस दिन से सौर वर्ष का आरंभ भी होता है। इस कारण से इस त्यौहार पर सूर्य देव की पूजा बहुत जरूरी मानी जाती है। आपको बता दें कि सूर्य राज को सत्ता, आरोग्य, हृदय, पिता, अधिकारी का कारक ग्रह माना गया है।
  2. बैसाखी और खालसा पंथ का संबंध-
    बैसाखी के दिन दिन सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी ने
    1699 को खालसा पंथ की स्थापना की थी।
    इस दिन गुरु गोबिंद सिंह ने सभी लोगों को मानवता का पाठ पढ़ाया।
    उच्च और निम्न जाति समुदायों के बीच के अंतर को खत्म करने का उपदेश दिया।
    बैसाखी के दिन महाराजा रणजीत सिंह को सिक्ख साम्राज्य का प्रभार सौंपा गया था, जिन्होंने एकीकृत राज्य की स्थापना की थी।
  3. मौसम के बदलाव का पर्व- इस दिन किसान पूरे साल हुए भरपूर फसल के लिए ईश्वर का आभार व्यक्त करते हैं और उन्हें अन्न धन्न अर्पित कर पूजा करते हैं। बैसाखी के दिन फसलों की पूजा विशेष रूप से की जाती है।बैसाखी के दिन जरुरतमंदों को फसल का थोड़ा सा हिस्सा दान करने, गरीबों में खीर, शरबत बांटें जाते हैं। जन सेवा करने से घर में बरकत बनी रहती है और दरिद्रता दूर होती है।
    ओशोधारा के भागीरथ प्यारें समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया जी कहते है कि सनातन धर्म में ही वैज्ञानिकता समाई हुई है। बैकुंठ धरती पर सनातन धर्म ही लाता है जो कि आत्मिक विकास धर्म के आधार पर और पदार्थ का विकास विज्ञान पर आधारित होता है ।

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