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जयराम विद्यापीठ में चौथे दिन की भागवत कथा, धरती पर जब भी आसुरी शक्ति हावी हुई, परमात्मा ने अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की : आचार्य श्याम भाई ठाकर।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
जयराम विद्यापीठ में भागवत कथा के चौथे दिन धूमधाम से मनाया भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव।
आचार्य श्याम भाई ठाकर ने भगवान कृष्ण जन्म की कथा सुना कर श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया।
कथा में कृष्ण जन्म पर लगे कान्हा के जयकारे।
कुरुक्षेत्र, 1 दिसम्बर : देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के सान्निध्य में जयराम विद्यापीठ में गीता जयंती महोत्सव 2022 के अवसर पर चल रही भागवत पुराण की कथा के चौथे दिन व्यासपीठ से भागवत भास्कर आचार्य श्याम भाई ठाकर ने कहा कि जब-जब भी धरती पर आसुरी शक्ति हावी हुई, परमात्मा ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की। उन्होंने कथा में बताया कि मथुरा में राजा कंस के अत्याचारों से व्यथित होकर धरती की करुण पुकार सुनकर भगवान श्री नारायण ने भगवान श्री कृष्ण के रुप में माता देवकी के अष्टम पुत्र के रूप में जन्म लिया और धर्म और प्रजा की रक्षा कर कंस का अंत किया। चौथे दिन की कथा में महंत बंसी पुरी, महंत जगन्नाथ पुरी, महंत सर्वेश्वरी गिरि,महंत रोशन पुरी, महंत गुरुभगत सिंह श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा कुरुक्षेत्र इत्यादि संत महापुरुष पहुंचे और व्यासपीठ को नमन किया। भागवत के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करते हुए आचार्य ठाकर ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय की परिस्थितियों का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जीवन में भागवत कथा सुनने का सौभाग्य मिलना बड़ा दुर्लभ है। जब भी हमें यह सुअवसर मिले, इसका सदुपयोग करना चाहिए। कथा सुनते हुए उसी के अनुसार कार्य करें। कथा का सुनना तभी सार्थक होगा। जब उसके बताए हुए मार्ग पर चलकर परमार्थ का काम करें। आचार्य श्याम भाई ठाकर ने कथा में कृष्ण जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि कंस अपनी बहन को रथ पर बैठाकर घर लेकर जाता है। तभी आकाशवाणी होती है कि हे कंस जिस बहन को तू विदा कराकर ले जा रहा है। उसी बहन की 8 वीं संतान तेरी मौत का कारण बनेगी। कंस यह सुनकर दंग रह जाता है और बहन देवकी व बहनोई वासुदेव को मथुरा कारागार में बंद कर देता है। देवकी की सभी संतानों को एक एक कर मार देता है। कथा में आचार्य श्याम भाई ठाकर बताते हैं, तभी श्रीकृष्ण का जन्म होता है और कारागार के द्वार खुल जाते हैं। वासुदेव कृष्ण को लेकर गोकुल जाते हैं। यमुना पार कर वह बाल कन्हैया को यशोदा के पास सुला देते हैं और यशोदा की पुत्री को लेकर रात्रि में ही कारागार लौट आते हैं। सुबह को पहरेदार कंस को सूचना देते हैं कि देवकी ने आठवीं संतान को भी जन्म दिया है। यह सुनकर कंस दौड़ा हुआ कारागार पहुंच जाता है और देवकी की आठवीं संतान को उसकी गोद से छीनकर मारने की प्रयास करता है। तभी कन्या कंस के हाथ से छूटकर आकाश में चली जाती है और आकाशवाणी होती है, हे कंस तुझे मारने वाला धरती पर पैदा हो चुका है। कथा में भगवान श्री कृष्ण जन्म का वर्णन होने पर पूरा पंडाल खुशी से झूम उठा। मौजूद श्रद्धालु भगवान कृष्ण के जय जयकार के साथ झूमकर कृष्ण जन्म की खुशियां मनाई। कथा में सेवानिवृत्त आयुक्त टी के शर्मा, जयराम शिक्षण संस्थान के निदेशक एस.एन. गुप्ता, राजेंद्र सिंघल, के.के. कौशिक, श्रवण गुप्ता, विनय गुप्ता, कुलवंत सैनी, टेक सिंह लोहार माजरा, पवन गर्ग, खरैती लाल सिंगला, के सी रंगा, हरि सिंह, कपिल मित्तल, राजेश सिंगला, डी.के. गुप्ता, ईश्वर गुप्ता, सुरेंद्र गुप्ता, राजेश्वर गोयल, अश्वनी जिंदल, सुनील गर्ग, विपिन गर्ग, संजीव गर्ग, राजेश सिंगला, सुनील गौरी, जयपाल शर्मा, महिला मंडल की संगीता शर्मा व संतोष यादव, रणबीर भारद्वाज, आचार्य राजेश लेखवार, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक इत्यादि भी मौजूद थे।
जयराम विद्यापीठ में भागवत कथा में श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी एवं कथावाचक भागवत भास्कर आचार्य श्याम भाई ठाकर। कथा में श्रद्धालुओं की उपस्तिथि कथा में पहुंचे संत महापुरुष।