पूर्णियाँ || 01 जुन 2021(मंगलवार)
किसान संघर्ष समन्वय समिति, पूर्णियाँ
सरकार मक्के की न्यूनतम समर्थन मुल्य 1850/- रुपये पर कब खरिदारी करेगी? तब जब बिचौलियों के माध्यम से सस्ते दामों में सारा का सारा मक्का बड़े पूंजीपति अपने गोदामों में भर लेंगे?
बिहार संवाददाता-एम एन बादल
किसान संघर्ष समन्वय समिति, पूर्णियाँ के संयोजक नियाज अहमद ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि आस तूफान और बेमौसम भारी बारिश ने सीमांचल सहित पूरे राज्य के किसानों की समस्याओं को बढ़ाने का काम किया है इस तुफान से मक्के की फसलें बर्बाद हो गईं इन किसानों के पास भंडारण की सुविधा है नहीं इसलिए किसान बेबस और मजबूर हैं इनके ज्यादातर मकई नष्ट हो चुके हैं और जो बची खुची हैं उसे औने-पौन दाम पर ये बेचने को मजबूर हो रहे हैं आखिर सरकार मक्के की न्यूनतम समर्थन मुल्य 1850/- रुपये पर कब खरिदारी करेगी? तब जब बिचौलियों के माध्यम से सस्ते दामों में सारा का सारा मक्का बड़े पूंजीपति अपने गोदामों में भर लेंगे? क्या इस बार भी हर वर्ष की भांति सरकार इन पूंजीपतियों से मक्का खरीद कर अपना पीठ थप थपाएगी और किसान खून की आंसू रोता रहेगा।
किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक ने कहा कि इस बार तो सीमांचल के हिस्से में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग का मंत्रालय भी है माननीय मंत्री लेसी सिंह पूर्णियाँ से हीं हैं तो क्या उन्हें भी किसानों पर आयी ये आफत नहीं दिखती पूर्णियाँ सहित पूरे राज्य के किसान सरकार की तरफ आस लगाए देख रहे है कि जिस सरकार और उनके मंत्री को हमने अपना प्रतिनिधि बनाया था वो कम से कम इस विनाशकारी आपदा के समय तो हमारे साथ खड़े होगी मगर न तो सरकार न ही स्थानीय मंत्री किसी को भी इसकी सुध नहीं है।
बिहार की गिनती देश के शीर्ष मक्का उत्पादक राज्यों में होती है. वहीं, रबी मौसम के दौरान पूरे देश में कुल मक्का उत्पादन में बिहार की हिस्सेदारी अकेले 80 फीसदी है.राज्य के 38 में से 24 जिलों में ऐसे हैं, जहां प्रति हेक्टेयर 30 क्विंटल से अधिक की पैदावार होती है. इनमें अधिकांश कोसी-सीमांचल क्षेत्र के जिले हैं और आस तुफान ने सबसे ज्यादा प्रवाभित भी इन्हीं इलाकों को किया है।
किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक नियाज अहमद सरकार से मक्के की न्यूनतम समर्थन मुल्य 1850/- रूपये की दर पर खरिदारी जल्द से जल्द सुनिश्चित करने की मांग की उन्होंने कहा कि कोसी क्षेत्र में नगदी फसल के रुप में लगाए जाने वाले मक्का फसल का बाजार भाव इस बार नहीं रहने के कारण किसानों में हताशा है। किसानों को लागत निकालना भी मुश्किल लग रहा है। मक्का की खेती में जहां हर वर्ष लागत अधिक आ रही है। वहीं मक्का का भाव कम होता जा रहा है। पिछले वर्ष कोरोना व लॉकडाउन के कारण तैयार फसल को किसान भूसे से भी कम भाव में मक्का बेचने को मजबूर रहे। इस वर्ष भी मक्का सरकार द्वारा निर्धारित न्युनतम समर्थन मुल्य से कम किमतों मे किसान बेचने को मजबूर है। मक्का से किसानों को बहुत आस रहती है। बच्चों की पढ़ाई, बेटी की शादी जरूरी काम भी मक्का पर ही निर्भर है।
अतः किसान संघर्ष समन्वय समिति, पूर्णियाँ सरकार से आग्रह करती है कि मक्के की खरीद न्यूनतम समर्थन मुल्य पर सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक कदम उठाए राज्य सरकार सरकारी दर पर खरीद शुरू करें और जो भी बिचौलिया इसे कम दामों पर खरीद रहा है उस पर कठोर करवाई करें।