मध्य प्रदेश //रीवा// महापौर प्रत्यासी को लेकर बीजेपी, कांग्रेस में मचेगा घमासान,बगावत, गुटबाजी ड्रामा देखने को मिलेगा

मध्य प्रदेश //रीवा// महापौर प्रत्यासी को लेकर बीजेपी, कांग्रेस में मचेगा घमासान,बगावत, गुटबाजी ड्रामा देखने को मिलेगा

ब्यूरो चीफ //राहुल कुशवाहा रीवा मध्य प्रदेश..8889284934

रीवा। नगरी निकाय चुनाव की तारीखों का बिगुल अब किसी भी दिन बज सकता है विंध्य की सियासत में रीवा महापौर पद की सामान्य सीट होने के कारण नगरी निकाय चुनाव बड़ा दिलचस्प होने वाला है मुख्य रूप से कांग्रेस,और बीजेपी पार्टियों में आपसी गुटबाजी, ड्रामा,और वगावत देखने को मिलेगी यानी राजनीतिक दलों में घमासान मचने कि पूरी संभावना बनी हुई है।क्यों की दो बड़ी राजनैतिक पार्टियों में अभी से कुछ जुझारू कार्यकर्ताओ को नजर अंदाज किया जाने लगा जो आम जनता से सीधे जुड़े हुए है और लगभग छवि भी बेहतर है लेकिन पूर्व में भी मौका नहीं दिया गया था जिससे की अब ऐसे कार्यकर्ता बगावत कर सकते है।खैर
रीवा शहर के 45 वार्डो की जनता ऐसे किन चेहरो को चुनेगी जो शहर सरकार में हिस्सा बनेंगे यह तो आने वाला समय ही तय करेगा लेकिन अगर पुराना रिकॉर्ड देखा जाए तो पिछले दो दशकों से ज्यादा लगातार भारतीय जनता पार्टी का दबदबा रहा है। जिसमे महापौर की कुर्सी पर बैठने वालों में बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजेन्द्र ताम्रकार,कमलजीत सिंह डंग,आशा सिंह,वीरेंद्र गुप्ता,शिवेंद्र पटेल,और निवर्तमान महापौर ममता गुप्ता है।अब इसमें अगर शहर कि मूल भूत सुविधाओं की बात करे तो यह भी सत्य है की नगर निगम की सरकार तिजोरी भरने के साथ साथ कुछ कार्य भी जिम्मेदारी के साथ किए गए है। जो जनता को दिखाई दे भी रहा है।
अभी तक तो कांग्रेस और बीजेपी ने अपने अपने उम्मीदवार की घोषणा तो नहीं किए लेकिन सूत्रों की माने तो कांग्रेस से गुरमीत सिंह मंगु,अजय मिश्रा बाबा,विनोद शर्मा,कविता पांडेय,विभूति नयन मिश्रा,व्यंकटेश पांडेय ये खुद को उम्मीदवार समझ रहे है पर इनमे से 3 ही उम्मीदवार मैदान सक्रिय चल रहे है।अब इसमें से कांग्रेस के एक उम्मीदवार कविता पांडेय,विनोद शर्मा ऐसे है कि ये वास्तव में कई वर्षों से संघर्ष करते हुए जिम्मेदारी के साथ कांग्रेस पार्टी का हिस्सा बने हुए है। जबकि लगातार पिछले चुनावों में कविता पांडेय को पार्टी द्वारा अनदेखा किया गया फिर भी मैदान में डटकर जनता की समस्याओं और मुसीबतों में साथ खड़ी होकर कार्य करती रही है।
लेकिन अब अगर गुरमीत मंगु,अजय मिश्रा बाबा,की बात करे तो ये पर्दे के पीछे से आज भी अपराधियों को संरक्षण, शराब पैकारी का अवैध कारोबार में लिप्त है अजय मिश्रा बाबा को अगर माफिया कह दे तो गलत नहीं होगा और ये ऐसे जनप्रतिनिधि है जो कभी भी जनता के साथ नहीं दिखाई दिए ना ही चुनाव गुजरने के बाकी दिनों में सामाजिक कार्यों में ,पार्टी के कार्यक्रमों में दिखाई नहीं देते लेकिन हा जब चुनाव का समय आता है तो मैदान में कूद पड़ते है।लेकिन आम जनता इनके कारनामों से परिचित तो नहीं है।लेकिन समय आने पर इनके कारनामों पर जनता मोहर लगाकर शहर से उठाकर जरूर फेक देगी बस समय का इंतजार करे
तो ऐसा ही कुछ हाल भारतीय जनता पार्टी में भी है बीजेपी में गुटबाजी साफ तौर पर दिखाई देती है। महापौर उम्मीदवार की बात करे तो,बीजेपी के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय चंद्रमणि त्रिपाठी की बिटिया प्रज्ञा त्रिपाठी कई वर्षों से महिला मोर्चा की पदाधिकारी की जिम्मेदारी के साथ सक्रिय रही है।लेकिन इनके साथ भी पार्टी द्वारा सौतेला व्यवहार कर नजर अंदाज किया गया लेकिन फिर भी ये पार्टी के साथ चलती आ रही है । खैर अभी तो और कई महापौर उम्मीदवार बने हुए है जो अपने अपने स्तर पर मैदान में गुणा भाग करके दाव पेच लगाने में सक्रिय हो गए है।

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