सुख समृद्धि और आध्यात्मिकता का आधार है बुद्ध पूर्णिमा : डॉ. सुरेश मिश्रा

सुख समृद्धि और आध्यात्मिकता का आधार है बुद्ध पूर्णिमा : डॉ. सुरेश मिश्रा
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र : श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली (कुरुक्षेत्र) के पीठाधीश वास्तु व ज्योतिष आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि इसी तिथि पर भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन उन्हें बोधिगया में तपस्या के आधार पर आत्म ज्ञान प्राप्त हुआ था। इस बार बुद्ध पूर्णिमा 12 मई 2025 सोमवार को है। महात्मा बुद्ध भगवान विष्णु का नौवां अवतार हैं।इस दिन भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में सुख समृद्धि और आरोग्यता का वास होता है।
पूर्णिमा पूजन विधि :
पूर्णिमा तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्त्व माना गया है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन प्रात: काल में स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें और बहते जल में तिल प्रवाहित करें। प्रत्येक माह की पूर्णिमा जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन पीपल के वृक्ष को भी जल अर्पित करना चाहिए। रात्रि को चन्द्रमा दर्शन अवश्य करें।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्त्व :
बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से श्रीहरि का आशीर्वाद अपने भक्तों पर हमेशा बना रहता है। इस दिन स्नान दान का भी विशेष महत्व है, कहा जाता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान कर पात्र व्यक्ति या ब्राह्मण को दान करने से सभी पापों का नष्ट होता है और घर में सुख समृद्धि का वास होता है।
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार पूर्णमासी में तीर्थ स्नान और दान का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
सभी प्रकार के रोग दोष व दरिद्रता का नाश होता है। अपनी श्रद्धा अनुसार दूध ,चावल , सफ़ेद वस्त्र और धन का दान सुपात्र को प्रदान करें जिससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है I