श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत और संकीर्तन करने से भगवान् श्री कृष्ण की कृपा मिलती है : डॉ. सुरेश मिश्रा

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
कुरुक्षेत्र : हार्मनी ऑकल्ट वास्तु जोन, पिपली (कुरुक्षेत्र) के अध्यक्ष व श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली के पीठाधीश डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि श्री मार्तण्ड पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त 2025 को रात 11:50 बजे आरंभ होकर 16 अगस्त की रात 9:35 बजे तक रहेगी।
सूर्य उदय तिथि के अनुसार, 16 अगस्त 2025 को जन्माष्टमी होगी।
अतः श्री दुर्गा मंदिर पिपली में शुक्रवार 15 अगस्त 2025 को स्मार्त और गृहस्थ लोग पूजन करेंगे और श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाएंगे ।
जबकि शनिवार 16 अगस्त 2025 को वैष्णव संप्रदाय और ब्रजवासी श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पौराणिक महत्त्व : जब-जब भी असुरों के अत्याचार बढ़े हैं और धर्म का पतन हुआ है तब-तब भगवान ने पृथ्वी पर अवतार लेकर सत्य और धर्म की स्थापना की है। भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में भगवान कृष्ण ने अवतार लिया। भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे अतः इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी अथवा जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन स्त्री-पुरुष रात्रि बारह बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं और भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है।भगवान श्री कृष्ण सोलह कलाओं से संपन्न सम्पूर्ण अवतार है। जिन्होंने जीवन को एक लीला समझकर जीना सिखाया। पिता वसुदेव और माँ देवकी ने जन्म दिया I यशोदा और नन्द बाबा ने बचपन से माता पिता के रूप में पालना की I गोपालों के साथ अनेकों लीलाएं की I कर्मयोगी बनकर कर्म करना सिखाया I
सुख समृद्धि का विशेष उपाय : श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उपवास श्रद्धा से करें और उनका मानसिक जप तप और ध्यान करें I माखन और मिश्री का भोग लगाए I भगवान श्री कृष्ण को अर्पित की हुई बांसुरी अपने शयनकक्ष में सुख समृद्धि हेतु रखें I
भगवान श्री कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्ति के लिए शुभ मंत्र का जाप श्रद्धा भक्ति से करें :
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
- ॐ नारायणाय नमः
- ॐ अच्युताय नमः
- ॐ अनन्ताय नमः
- ॐ वासुदेवाय नमः
भगवान श्री कृष्ण का नाम संकीर्तन सभी भक्त अपनी श्रद्धा और भावना से कर सकते है उसका बहुत लाभ है। राधे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण,गोविंद, राधेश्याम आदि।