बच्चे संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों के संवाहक होते हैं : डा. श्रीप्रकाश मिश्र

मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा राष्ट्र निर्माण में बाल संस्कार की भूमिका विषय पर परिचर्चा मातृभूमि सेवा मिशन के तत्वावधान में संपन्न।
कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक 19 अगस्त : बाल संस्कार राष्ट्र निर्माण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। बच्चों को सही संस्कार देकर, हम एक बेहतर और मजबूत राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। बाल संस्कार से राष्ट्र निर्माण का अर्थ है, बच्चों को सही संस्कार देकर, उन्हें एक जिम्मेदार और देशभक्त नागरिक बनाना, जो राष्ट्र के विकास में योगदान दे सके। हम उदगार मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा राष्ट्र निर्माण में बाल संस्कार की भूमिका विषय पर आयोजित परिचर्चा में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के बच्चों ने कविता एवं गीत प्रस्तुत किये।
मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा किसी राष्ट्र का विकास उसके बच्चों के पालन पोषण और सशक्तिकरण पर निर्भर करता है। उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और मूल्यों में निवेश करके, हम एक उज्जवल भविष्य में निवेश कर रहे हैं। बच्चे संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों के संवाहक होते हैं। वे राष्ट्र की विरासत को संरक्षित और आगे बढ़ाने में मदद करते हैं, जिससे उसकी पहचान की निरंतरता सुनिश्चित होती है। अपनी संस्कृति और इतिहास के बारे में लिखकर, बच्चों में अपने राष्ट्र के प्रति गर्व और ज़िम्मेदारी की भावना विकसित होती है। राष्ट्र निर्माण में बच्चों की सक्रिय भागीदारी यह सुनिश्चित करती है कि देश निरंतर और सामंजस्यपूर्ण ढंग से प्रगति करे और फले फूले। बाल संस्कार राष्ट्र निर्माण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। बच्चों को सही संस्कार देकर, हम एक बेहतर और मजबूत राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। परिचर्चा कार्यक्रम को समाजसेवी विजय सैनी ने बतौर अतिविशिष्ट अतिथि संबोधित करते हुए कहा मातृभूमि सेवा मिशन समाज के जरूरतमंद के सर्वांगीण कर उन्हे राष्ट्र निर्माण में सहभागी बनाने का श्रेष्ठ प्रयास कर रहा है। सभी अतिथियों को मातृभूमि सेवा मिशन की ओर अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि दीपक कुमार ने भी मातृभूमि सेवा मिशन के परमार्थ कार्यों की प्रशंसा की। कार्यक्रम का संचालन सुरेंद्र सिंह ने किया। कार्यक्रम में किरण, पवन पांडेय सहित आश्रम के विद्यार्थी, सदस्य आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन शांति पाठ से हुआ।




