बिहार: तीन दिवसीय इंद्रधनुषीय ‘माटी के रंग’ का रंगारंग उद्धाटन

तीन दिवसीय इंद्रधनुषीय ‘माटी के रंग’ का रंगारंग उद्धाटन

हाजीपुर(वैशाली)उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र,प्रयागराज,संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा कला, संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार सरकार के संयुक्त तत्वावधान में कुशवाहा आश्रम,हाजीपुर में जिला प्रशासन वैशाली के सहयोग से तीन दिवसीय माटी के रंग कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।माटी के रंग तीन दिवसीय इंद्रधनुषीय श्रृंखला कार्यक्रम की परिकल्पना उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक प्रोफेसर सुरेश शर्मा की है।माटी के रंग कार्यक्रम का उद्घाटन जिलाधिकारी वैशाली श्री यशपाल मीणा,उपविकास आयुक्त श्री चित्रगुप्त कुमार,अपर समहर्ता श्री विनोद कुमार सिंह,अनुमंडल पदाधिकारी हाजीपुर श्री अरुण कुमार एवं केंद्र के प्रतिनिधि अजय गुप्ता के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।कार्यक्रम में मिनी भारत की झलक दिखी।देश के विभिन्न अंचलों की माटी से आए कलाकारों ने मधुर गीत एवं आकर्षक नृत्य प्रस्तुत कर अपने-अपने क्षेत्र की लोक कला का प्रदर्शन किया।सर्वप्रथम मध्य प्रदेश से आए प्रह्लाद कुर्मी एवं दल द्वारा राई नृत्य की प्रस्तुति दी गई।यह नृत्य जन्म,विवाह एवं मनौतीपूर्ण होने के अवसर पर किया जाता है।इस नृत्य में नगरिया,झूला,बांसुरी,मृदंग,मंजीरा आदि वाद्य यंत्र बजाए गए।दूसरी प्रस्तुति अभय सिन्हा एवं दल,पटना द्वारा चौमासा झूमर एवंअगले क्रम में झिझिया नृत्य की हुई।तीसरी प्रस्तुति राजस्थान से आए हीराराम एवं दल द्वारा घूमर नृत्य की रही अगले क्रम में चरी और भवई नृत्य की प्रस्तुति दी गई,जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।भवई कलाकार को दृशकों के तालियों का साथ मिला।चौथी प्रस्तुति देवभूमि उत्तराखंड से आये प्रकाश बिष्ट एवं दल द्वारा पनिहारी नृत्य की हुई।पनिहारी नृत्य में महिलाएं पहाड़ों से पानी लाते समय कैसे गीत गाते हुए मनोरंजन कर रास्ता तय करती हैं यह नृत्य के माध्यम से दिखाया गया। घसियारी में महिलाएं पशुओं के चारा लाने जाती हैं तो समूह में एक दूसरे का दुख-दर्द बांटती हैं और घास काटते हुए गीत गाकर अपना मनोरंजन करती हैं,जिसका बहुत ही सुंदर वर्णन इस नृत्य में किया गया है। पांचवी प्रस्तुति त्रिपुरा राज्य से आये मीनंदा एवं दल द्वारा होजागिरि नृत्य की हुई।बिहार का जोड़ी राज्य त्रिपुरा से आये दल द्वारा अत्यंत मनोरम प्रस्तुति दी गई।इसे घड़ों के ऊपर खड़े होकर हाथों में पूजा की थाली लेकर सिर के ऊपर बोतल रखकर अत्यंत संतुलन बनाते हुए प्रदर्शित किया गया।इस नृत्य में मधुर बांसुरी,ढोल आदि वाद्य यंत्र का प्रयोग किया गया।इस नृत्य को देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए और भरपूर तालियों से कलाकारों का हौसला बढ़ाये।कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश से आए धर्मेंद्र कुमार एवं दल द्वारा राई और सैरा नृत्य की हुई।सुंदर परिधान पहने महिलाओं द्वारा अत्यंत खूबसूरत व ऊर्जावान प्रस्तुति दी गई। इस नृत्य में महिलाओं द्वारा गोलाकार घेरों में एक हाथ में डंडा और दूसरे हाथ में मयूरपंख लेकर प्रस्तुति को किया गया।इंद्रधनुषीय माटी के रंग कार्यक्रम अनेकता में एकता का प्रतीक है जिसे देख दर्शकों ने बहुत सराहा।हाजीपुर के दर्शकों को एक भारत श्रेष्ठ भारत की झलक कुशवाहा आश्रम में देखने को मिली।माटी के रंग कार्यक्रम का मंच संचालन कार्यक्रम के प्रभारी अजय गुप्ता द्वारा की गई ।उन्होंने बहुत ही विस्तार से माटी के रंग कार्यक्रम की पूर्ण जानकारी दर्शकों को दी।किस राज्य में कौन सा नृत्य किया जाता है किस अवसर पर किया जाता है बखूबी बयां किया।इसी कार्यक्रम के अंतर्गत वैशाली जिले के महनार में दिनांक 13 नवंबर 2022 एवं 14 नवंबर 2022 को महुआ में लोक कलाकारों द्वारा अपने कला का प्रदर्शन किया जायेगा।कार्यक्रम का संयोजन केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक मनोज कुमार द्वारा किया गया।
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