लोकतन्त्र सेनानी सत्यपाल गुप्ता (डॉ. एस पी गुप्ता सेवानिवृत्त आईएएस ) द्वारा संघर्ष से राष्ट्रसेवा तक का सफर

लोकतन्त्र सेनानी सत्यपाल गुप्ता (डॉ. एस पी गुप्ता सेवानिवृत्त आईएएस ) द्वारा संघर्ष से राष्ट्रसेवा तक का सफर
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
तावडू 9 जुलाई : लोकतन्त्र सेनानी सत्यपाल गुप्ता (डॉ.एस पी गुप्ता सेवानिवृत्त आईएएस) सुपुत्र स्व.श्री मातूराम गुप्ता जी (किठानिया) आप मूलतः कैथल जिले के किठाना गाँव से हैं। गाँव के राजकीय विद्यालय में सातवीं कक्षा तक पढाई करने के बाद आपने आगे की पढ़ाई हिन्दू विद्यालय कैथल से जारी रखी। कैथल स्कूल से ही आप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे।
स्कूली शिक्षा के बाद आपने डी.ए.वी कॉलेज चण्डीगढ़ में प्री-मेडिकल में दाखिला लिया तथा बक्शीचन्द टेकचन्द हॉस्टल में रहने लगे। वहाँ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सक्रिय रूप से भाग लिया। उस समय आपके मुख्य शिक्षक डॉ. अशोक गर्ग एवं माननीय इन्द्रेश जी थे।
1970 से 1972 तक आप कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में बी.एस.सी मेडिकल के छात्र थे और कबड्डी तथा हॉकी का खिलाड़ी थे । यहाँ संघ में सक्रिय होने के साथ-साथ आप अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के प्रमुख कार्यकर्ता भी थे। स्वर्गीय प्रो. प्रेमचन्द जी जैन (हेड ऑफ इकोनॉमिक्स डिपार्टमेन्ट) आपके इंचार्ज एवं मार्गदर्शक थे एवं भारतेन्दु गुप्ता (जींद निवासी) मुख्य शिक्षक थे।
1972 से 1975 तक आपने चण्ड़ीगढ़ से लॉ डिपार्टमेन्ट में पढ़ाई की तथा वहाँ शुरू से ही संघ तथा विद्यार्थी परिषद् का कार्य किया। वहाँ स्व. पी.सी.पाण्डेय (हेड ऑफ एंशियेन्ट हिस्ट्री, पंजाब विश्वविद्यालय) विद्यार्थी परिषद् के इंचार्ज एवं मार्गदर्शक थे।
आपातकाल के समय आप अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से चण्डीगढ़ प्रान्त के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के नाते जे.पी. मूवमेन्ट में सक्रिय थे। उस समय आपने पंजाब विश्वविद्यालय से एल.एल.बी की पढ़ाई पूर्ण कर ली थी लेकिन क्योंकि आप जे.पी. मूवमेन्ट में सक्रिय रूप से कार्यरत थे इसलिए वहाँ रहने के लिए आपने घरवालों को कहा कि आप सिविल सर्विसेज़ की परीक्षा तैयारी के लिए वहाँ रह रहे हैं। जे.पी. मूवमेन्ट में आपने पंजाब विश्वविद्यालय के छात्रों की माँगों के लिए कई बार गिरफ्तारी दी तथा कुलपति, चण्डीगढ़ विश्वविद्यालय तथा चण्डीगढ़ प्रशासन के सभी लोगों को आपकी गतिविधियों की जानकारी थी। जिस दिन आपातकाल की घोषणा हुई, तब आपने तथा रामलाल जी एडवोकेट, जो कि आपके सहपाठी तथा विद्यार्थी परिषद् के संगठन मन्त्री थे, ने मिलकर यह निर्णय लिया कि आप उचित समय पर उच्चाधिकारियों के निर्देशानुसार पी.जी.आई चण्डीगढ़ पर सत्याग्रह करेंगे। जेल में जाने से पूर्व आप पंजाब तथा हरियाणा हाई कोर्ट से अपना एल.एल.बी प्रैक्टिस का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए गए। जैसे ही आप रजिस्ट्रेशन के कागज़ लेकर बाहर निकलकर ऑटो में बैठने लगे तभी वहाँ पुलिस की गाड़ी खड़ी थी जिन्होंने आपको ऑटो से उतारकर बुरी तरह मारा तथा अपने साथ सैक्टर 11, चण्डीगढ़ ले गए। उन्होंने वहाँ डी.आई.आर में गिरफ्तार करके आपको बडै़ल जेल चण्डीगढ़ में भेज दिया जहाँ पहले से पंजाब, हरियाणा तथा चण्ड़ीगढ़ के कई लोकतन्त्र सेनानी थे। तीन महीने तक तो आपके परिवारजनों को गिरफ्तारी की जानकारी ही नहीं हुई। एक दिन जब आपको सैक्टर 17 बस स्टैंड के पास कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया तो वहाँ आपके हाथों में हथकड़ी लगी हुई थी। तभी वहाँ आपके बड़े भाई रामकुमार गुप्ता, जो चण्ड़ीगढ़ से कैथल जा रहे थे, की नज़र आप पर पड़ी और आपकी उस हालत में देखकर वो बडे़ दुखी और स्तब्ध हुए। जब उन्होंने उस समय आपसे मिलना चाहा तो पुलिसवालों ने उन्हें आपसे मिलने नहीं दिया। उस समय माननीय राजेन्द्र मित्तल एडवोकेट, जो आप सबका केस लड़ रहे थे, उनसे आपके परिजन मिले तो उन्होंने परिवार को समझाया कि इस समय हम कोई मदद नहीं कर सकेंगे। आपने उस समय आई.ए.एस की परीक्षा के लिए आवेदन किया हुआ था और उसका केन्द्र उस समय पटियाला था लेकिन आपके तथा राजेन्द्र मित्तल एडवोकेट के बार-बार आग्रह करने के बाद भी जेल प्रशासन ने आपको पटियाला जाकर परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी जोकि आपका परीक्षा देने का पहला तथा अंतिम मौका था। एच.सी.एस की परीक्षा का केन्द्र चण्डीगढ़ में ही था जिसके लिए उन्होंने आपको अनुमति दे दी। आपने वो परीक्षा पास कर ली। बड़ी कठिनाई तथा कोर्ट के दखल के बाद आपको हरियाणा सिविल सर्विस में नियुक्त किया गया और फिर प्रमोशन के बाद आप आई.ए.एस बने।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने के कारण संघ के संस्कार तथा विद्यार्थी परिषद् में सक्रिय रूप से काम करने के कारण आप इस मुकाम पर पहुँचे तथा सफलतापूर्वक अपनी सेवाएँ राष्ट्र को दीं और शायद आप भारतवर्ष में पहले स्वयंसेवक थे जो जेल में रहने के बावज़ूद भी आई.ए.एस बने।
यहाँ यह बताना उचित होगा कि आपका विवाह जेल में ही निर्धारित किया गया था। आपके ससुर श्री रामेश्वर दास जी (जींद निवासी) जो 1936 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे, कई बार आंदोलन में जेल गए। वे भारतीय जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के शुरू से ही सदस्य रहे तथा 20 वर्षों से अधिक हरियाणा प्रान्त के कोषाध्यक्ष रहे। उनके जींद आवास पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भारतीय जनसंघ तथा भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता जैसे स्व. यज्ञदत्त शर्मा, स्व. कृष्णलाल शर्मा, स्व. अटल बिहारी वाजपेयी, स्व. डॉ. मंगल सेन, लालकृष्ण आडवाणी, नरेन्द्र मोदी, मनोहर लाल खट्टर, गणेशी लाल, रामविलास शर्मा इत्यादि का प्रायः घर आना- जाना होता रहता था। उन्हें आपातकाल में डी.आई.आर के अन्तर्गत गिरफ्तार करके 19 महीने से अधिक रोहतक जेल में रखा गया। वहाँ रामलाल जी जो पंजाब में आपके सहपाठी तथा विद्यार्थी परिषद् चण्डीगढ़ के संगठन मन्त्री थे तथा बाबूजी को जानते थे, ने उन्हें आपके विषय में जेल में ही अवगत कराया जिससे बाद में ये संबन्ध बने।
आपकी धर्मपत्नी शशि गुप्ता भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की सक्रिय कार्यकर्त्री रहीं।
सेवानिवृत्ति के बाद आप और आपकी धर्मपत्नी प्रभु तथा गोमाता की अपार कृपा से मेवात में कामधेनु गोधाम एवं आरोग्य वैलनेस संस्थान को पिछले 12 वर्षों से यहीं रहकर संचालित कर रहे हैं। और संघर्ष से राष्ट्र सेवा तक का सफर बहुत ही उत्कृष्ट रहा है।




