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दिव्या ज्योति जागृती संस्थान द्वारा दीपक शर्मा फार्म हाउस गुरु हर सहाय में श्रीमद् भागवत कथा का तृतीय दिवस कार्यक्रम का किया गया आयोजन

(पंजाब) फिरोजपुर 19 सितंबर [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]=
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा दीपक शर्मा फार्म हाउस गुरु हरसहाय में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस में दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्य कथव्यास साध्वी सुश्री भाग्यश्री भारती जी ने कथा के माध्यम से बताया कि शिशुपाल भगवान श्रीकृष्ण को पहचान ही नहीं पाया। भगवान के उसके सामने उपस्थित होने पर भी वह उनकी लीलाओं की चर्चा सुनने के बाद भी भगवान को समझ नहीं पाया। केवल शिशुपाल ही नहीं बल्कि उस समय के अनेकों राजा भी भगवान श्रीकृष्ण को पहचान नहीं पाए तो प्रश्न यह उठता है कि क्या यदि आज भगवान हमारे सामने आ जाते है तो हम भगवान को पहचान लेंगे? हमारे पास भगवान को पहचानने का क्या आधार होगा क्या उनकी बाहरी वेश भूषा या उनका ज्ञान ? यदि हम वेश भूषा से पहचानने की सोच रखते है तो इसका मतलब अभी तक हमने अपने धार्मिक ग्रंथों का सही ढंग से अध्ययन ही नहीं किया। क्योंकि बाहरी वेश भूषा तो संत की कोई भी धारण कर सकता है। इसलिए भगवान को पहचानने के लिए आवश्यकता है उस दिव्य दृष्टि की जो दिव्य दृष्टि भगवान श्रीकृष्ण जी ने युद्ध के मैदान में अर्जुन को प्रदान की थी।
भक्त प्रह्लाद प्रसंग सुनाते हुए साध्वी जी ने बताया कि भक्त प्रह्लाद के जीवन में अनेकों ही संकट आए लेकिन वह अपने भकि्त पथ से विचलित नहीं हुए, क्योंकि उनका अपने श्री हरि पर अपने नारायण पर पूर्ण विश्वास था। यदि हम भी चाहते हैं कि हमारा भी विश्वास भक्त प्रह्लाद की भांति हो तो हमें भी आवश्यकता है उस ईश्वर को जानने की। आगे कथा सुनाते हुए साध्वी जी ने बताया कि भक्त प्रह्लाद जी के भीतर जो अद्भुत भक्ती बल था उसके पीछे कही न कही उनकी मां के द्वारा दिए गए संस्कार थे , जिसने उन्हें राक्षस कुल में पैदा होने पर भी एक महान भक्त बना दिया। इसलिए यह एक मां पर ही निर्भर करता है कि वह अपनी संतान को किस सांचे में ढालना चाहती है, क्योंकि संस्कार देने का जो शुभ समय है वह बाल्यावस्था ही होती है इसलिए आप अपनी संतानों को श्रेष्ठ संस्कार दे, ताकि वह आगे चलकर एक श्रेष्ठ नागरिक बन सके।साध्वी सतिंदर भारती जी, साध्वी संदीप भारती जी, साध्वी पुण्य भारती जी, साध्वी पुष्पभद्रा भारती जी, साध्वी बबन भारती जी, साध्वी योगिनी भारती जी, स्वामी बिरजू जी और स्वामी कुलवीरानंद जी ने वाद्य यंत्रों के माध्यम से सुंदर ध्वनियों के साथ भजनों का गायन किया। देवों की हो अंश तुम्ही हो भारत की संतान जैसे भजनों से भक्तों की सुषुप्त पड़ी आत्मा को झकझोरा और होली खेलेंगे शाम संग खेलेंगे भजन पर भक्तों ने फूलों की होली खेली और खूब नाच कर आनंद प्राप्त किया।कथा में मुख्य यजमान और मेहमान शेर सिंह घुबाया मैंबर ऑफ पार्लियामेंट,डॉ श्यामसुंदर बांसल बांसल हॉस्पिटल,राकेश कुमार नरूला, सर्वजीत कम्बोज OSD रवनीत बीटू केंद्रीय मंत्री, राहुल खेड़ा, नन्दन मोंगा,प्रशांत खेड़ा, रमन शर्मा, राजेश कन्धारी,बिंदु भारद्वाज, शिवराम पंडित,नरेश शिकरी, गिरजा शंकर शुक्ला,पीयूष गहलोत्रा,सन्नी गहलोत्रा,प्रदीप गहलोत्रा,इकबाल गोयल, राजेन्द्र मनचंदा, बीटू प्रधान, राम नरूला,रमन पूगल, रोहित सोढ़ी, अभिलाष गर्ग,गगन मकड़,जगदीश बठिंडा, राजेंद्र शर्मा पटवारी, भगवतीचरण शर्मा, जीवन जोत, चरनजीत चन्ना इत्यादि विशेष रूप में पहुंचे। कथा के अंतिम क्षणों में स्वामी सुखदेवानंद जी ने विशिष्ट अतिथियों और सभी श्रद्धालुओं का अभिनन्दन किया और आगामी दिनों में भी कथा में आ कर प्रभु कृपा को प्राप्त करने का संदेश दिया। कथा का समापन प्रभु की पावन आरती से हुआ। अंत में सभी भक्तों ने प्रसाद रूप में प्रभु का लंगर प्राप्त किया।