प्रदेश सरकार पर भारी पड़ रहे झोलाछाप डॉक्टर फर्जी अस्पतालों की भरमार

प्रदेश सरकार पर भारी पड़ रहे झोलाछाप डॉक्टर फर्जी अस्पतालों की भरमार
आज़मगढ़ के लालगंज में मौत बाँट रहे बिना डिग्री वाले डॉक्टर, प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
आजमगढ़।उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहाँ स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है, वहीं आज़मगढ़ के लालगंज क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टर इन मंसूबों पर पानी फेरते नज़र आ रहे हैं। बिना डिग्री और मान्यता के सैकड़ों फर्जी डॉक्टर खुलेआम ‘अस्पताल’ चला रहे हैं और भोली-भाली जनता की ज़िंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। सूत्रों की मानें लालगंज में 100 से अधिक फर्जी डॉक्टरों की मौजूदगी का दावा है वहीं CM पोर्टल और मीडिया में कई बार की गई खबरो, फिर भी कार्रवाई नहीं हुई।स्थानीय प्रशासन और CMO की चुप्पी साधे हुए हैं प्रशासन के इस रवैए से जनता में आक्रोश है
फर्जी ऑपरेशन, गर्भस्थ शिशुओं की मौतें, लापरवाही चरम पर है।
प्रशासन द्वारा अस्पताल सील होने के बाद भी दोबारा खुलते हैं कैसे फर्जी नर्सिंग होम!
बरसाती मेंढ़कों की तरह फल फूल रहे हैं फर्जी अस्पताल।स्थानीय लोगों का आरोप है कि लालगंज क्षेत्र में फर्जी नर्सिंग होम और क्लीनिक बरसाती मेंढ़कों की तरह उग आए हैं। इनमें काम करने वाले कथित ‘डॉक्टरों’ के पास न तो कोई मेडिकल डिग्री है, और न ही कोई सरकारी मान्यता है। इसके बावजूद यह गंभीर बीमारियों का इलाज करने से लेकर गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी तक कर रहे है
CM पोर्टल से लेकर ट्विटर तक, फिर भी न कार्यवाही हुई न सुध लिया गया।क्षेत्रीय जनता का कहना है कि इस मामले की कई बार शिकायतें जिला प्रशासन, सीएम पोर्टल और यहां तक कि ट्विटर पर उच्च अधिकारियों किया गया। लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ती की जाती है। सूत्रों की मानें तो जिला CMO पर आरोप है कि वे मोटी रकम लेकर इन झोलाछाप डॉक्टरों को बचाते हैं।क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि जब किसी गर्भवती महिला या बीमार व्यक्ति की जान चली जाती है, तब जाकर प्रशासन जागता है और उस फर्जी अस्पताल को सील किया जाता है। लेकिन कुछ ही दिनों बाद वही अस्पताल फिर से खुल जाता है।सील अस्पताल किसके आदेश से खुलता है? यह सवाल आज भी अनुत्तरित है।
क्यों चुप हैं आजमगढ़ के अधिकारी?सवाल यह उठता है कि क्या CMO और प्रशासन की मिलीभगत के बिना यह संभव है? अगर प्रशासन ईमानदार होता तो अब तक सैकड़ों फर्जी क्लीनिक बंद हो चुके होते और दोषी सलाखों के पीछे होते। लेकिन अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है।
आक्रोशित जनता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीधा हस्तक्षेप करने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर शासन प्रशासन ने अब भी आँखें मूँदी रखीं, तो न जाने और कितनी जानें झोलाछापों की भेंट चढ़ेंगी।