आत्मनिर्भर भारत मिशन में प्राकृतिक खेती निभाएगी अहम भूमिका : डाॅ चहल।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण शिविर का विधिवत समापन, 425 केवीके वैज्ञानिकों ने ली ट्रेनिंग।
कुरुक्षेत्र, 17 दिसम्बर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत मिशन को सफल बनाने के लिए प्राकृतिक खेती अहम भूमिका निभाएगी क्योंकि प्राकृतिक खेती करके किसान आत्मनिर्भर बनेगा, उसे कर्ज से मुक्ति मिलेगी और खेत में पैदा हुई फसल व सब्जियों के अच्छे दाम मिलने से उसकी आर्थिक दशा में भी सुधार होगा। उक्त शब्द डीडीजी एग्रीकल्चर एक्सटेंसन डाॅ. वी. पी. चहल ने गुरुकुल कुरुक्षेत्र में चल रहे प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह में उपस्थित कृषि वैज्ञानिकों को सम्बोधित करते हुए कहे। डाॅ. चहल ने माना कि राज्यपाल आचार्य देवव्रत का प्राकृतिक कृषि माॅडल वाकई किसानों के लिए वरदान साबित होगा क्योंकि गुरुकुल कुरुक्षेत्र के प्राकृतिक कृषि फार्म पर पिछले 10 वर्षों से न केवल प्राकृतिक खेती की जा रही है बल्कि दूसरे किसानों के मुकाबले गेंहू, चावल, गन्ना व हरी सब्जियां की पैदावार भी अधिक ली जा रही है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती हेतु सरकार ने प्रत्येक केवीके को 11 लाख की राशि आवंटित की है ताकि खेती की इस तकनीक का ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार हो। उन्होंने सभी कृषि वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे किसानों के बीच जाकर प्राकृतिक खेती को अधिक से अधिक प्रमोट करें, किसानों को प्राकृतिक खेती की खूबियों से परिचित कराएं और प्राकृतिक खेती को लेकर अनुसंधान भी करें। इस अवसर पर प्राकृतिक खेती के स्टेट एडवाइजर डाॅ. हरिओम, सीनियर माइक्रोबाॅयोलाॅजिस्ट डाॅ. बलजीत सिंह सहारण, डीडीए डाॅ. प्रदीप मील, डाॅ. विनोद कुमार, डाॅ. विजय, डाॅ. दिनेश कुमार, डाॅ. रामगोपाल शर्मा आदि भी मौजूद रहे।
डाॅ. हरिओम ने बताया कि आईसीएआर, गुरुकुल कुरुक्षेत्र, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा द्वारा 5 से 16 दिसम्बर तक देश के 425 कृषि विभान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिकों हेतु 2-2 दिन के 4 विशेष ट्रेनिंग कैम्प लगाए गये जिसमें देशभर के वैज्ञानिकों ने भाग लिया। गुरुकुल कुरुक्षेत्र के व्यवस्थापक रामनिवास आर्य ने गुरुकुल प्रबंधन समिति की ओर से आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। गुरुकुल के फार्म मैनेजर गुरदीप आर्य व डाॅ. विनोद ने जहां वैज्ञानिकों को गुरुकुल फार्म का दौरा करवाया और फसलों से संबंधित विभिन्न जानकारी दी वहीं डाॅ. दिनेश कुमार ने जीवामृत, घनजीवामृत सहित अनेक घटकों के बनाने और प्रयोग करने की विधि को समझाया। ट्रेंनिंग के दौरान डाॅ. हरिओम ने कृषि वैज्ञानिकों से अपने अनुभव सांझा किये और प्राकृतिक खेती से संबंधित विभिन्न शंकाओं को शांत किया। वहीं चैधरी चरण सिंह एग्रीकल्चर यूनिविर्सिटी से पधारे डाॅ. बलजीत सिंह सहारण ने जीवाणुओं और मित्र कीटों द्वारा खेत में की जाने वाली क्रियाओं के वैज्ञानिक पक्ष को बड़ी सरल भाषा में समझाया। ट्रेंनिंग में आए सभी कृषि वैज्ञानिकों ने एक स्वर में प्राकृतिक खेती को प्रमोट करने का संकल्प लिया।
अंत डीडीजी डाॅ. चहल ने प्राकृतिक खेती को देशभर में प्रचारित करने के लिए राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत का आभार व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने इस विशेष ट्रेनिंग के लिए गुरुकुल कुरुक्षेत्र की प्रबंधन समिति का भी धन्यवाद किया। उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले कृषि वैज्ञानिको को प्रमाण पत्र भी वितरित किये।