कन्नौज:आलू बीज उत्पादन पर रोजगार परक दिवस प्रशिक्षण का आयोजन

आलू बीज उत्पादन पर रोजगार परक दिवस प्रशिक्षण का आयोजन

✍️ कन्नौज रिपोर्टर प्रशांत त्रिवेदी के साथ मतीउल्लाह

कन्नौज । कृषि विज्ञान केंद्र कन्नौज द्वारा केन्द्र पर बेरोजगार युवकों हेतु आलू बीज उत्पादन विषय पर 7 दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया । जिसमें केंद्र के अध्यक्ष डॉ वी0के0 कनौजिया ने बेरोजगार नव युवको को आलू बीज उत्पादन पर बताया । कि नव युवक प्रशिक्षण लेकर बीज तैयार कर स्व रोजगार करे।इसी क्रम में केन्द्र के उद्यान वैज्ञानिक डॉ अमर सिंह ने आलू बीज उत्पादन तकनीक विषय पर जानकारी देते हुए कहा कि आलू की प्रमुख प्रजातियाँ कु0ख्याति, कु0 अरुण,कु0 गरिमा ,कु0अशोका,कु0 पुखराज ,कु0 चिप्सोना -1,3,कु0 फ्राई सोना, कु0 मोहन, कु0 पुष्कर, कु0 सिन्दूरी, कु0 बादशाह, कु0 आनंद इत्यादि का बीज उत्पादन कर रहे हैं l आलू की बुवाई का समय 15 अक्तूबर से 30 अक्तूबर के बीच उचित होता है।जिसकी बुवाई हो चुकी है।खाद एवं उर्वरक प्रबंधन में पहले मिट्टी का परीक्षण कराये हो तो उसके हिसाब से ही प्रयोग करे यदि मृदा परीक्षण नहीँ करा पाये थे तो आलू बीज उत्पादन हेतु संतुलित खाद एवं उर्वरक ही प्रयोग करे जो प्रति हेक्टेयर 150 किलो ग्राम नाइट्रोजन, 80 कि0ग्रा0 फास्फोरस,80 कि0 ग्रा0 पोटाश,25 किलोग्राम जिंक सल्फेट,25 किलोग्राम सल्फर, 35 से 40 किलोग्राम फेरस सल्फेट ,18 किलोग्राम बोरेक्स ,10 से 12 किलोग्राम रीजेंट आलू में घुघीया(सूड़ी) कीट के नियंत्रण हेतु प्रति हेक्टर प्रयोग करें।प्रति बीघा उर्वरक के रूप में देना हो तो हेतु 15 से 18 किलो डीएपी, 21 किलो यूरिया, 13 किलोग्राम पोटाश 2 किलोग्राम जिंक सल्फेट, 2 किलोग्राम सल्फर, किलोग्राम 1•5 किलोग्राम बोरेक्स 4 किलो फेरस सल्फेट जिसमें यूरिया को छोड़कर शेष सभी उर्वरकों की संपूर्ण मात्रा अंतिम जुताई के समय प्रयोग करें बची हुई नाइट्रोजन (यूरिया)को बलुई मिट्टी में तीन भागों में 15 दिन ,25 दिन ,35 दिन में प्रयोग करें l डॉ सिंहक ने बताया कि खड़ी फसल मैं रोगिग करें 3 वार क्रमशः 20,40,60 दिन बाद करे जिसमें रोगिल पौधे, खरपतवार तथा दूसरी प्रजाति के पौधों को खेत से निकाले तथा एक प्रजाति से एक प्रजाति से दुसरी प्रजाति के बीच की दूरी 3 मीटर रखे यदि यह संभव न हो 3 मीटर आलू की खुदाई कर अलग कर दे 90 दिन में फसल तैयार हो जाती है अर्थात 15 जनवरी तक बेल की कटाई अवश्य कर ले जिस से बीज का साईज भी ठीक हो जाता है तथा कीटों/रोगों (सफेदमक्खी इत्यादि) से सुरक्षा हो जाती है।बेल कटाई के बाद आलू के बीज को 10 से 15 दिन तक खेत मैं पकाने ने की सलाह दी उसके बाद आलू के बीज को ग्रेडिंग कर 2 प्रतिशत बोरिंक एसिड उपचारित कर ही कोल्ड स्टोरेज भेजे।इसी क्रम में केन्द्र के वैज्ञानिक सुशील कुमार,डॉ बिनोद कुमार,डॉ चंद्र कला यादव, एवं फार्म अधीक्षक प्रदीप कटियार ने अपने विचार व्यक्त किए।इस प्रशिक्षण में 15 नव युवको ने भाग लिया।

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