हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्याल में असाध्य रोगों से ग्रस्त रोगी हो रहे ठीक।
मिल रहा नया जीवनदान।
कुरुक्षेत्र :- बीस साल से सोरायसिस (चर्म रोग) से ग्रसित प्रो. राजबीर सिंह पन्नू को नया जीवनदान मिला है। राजबीर को सर्दी के मौसम में पूरे शरीर पर लाल रंग के चकते उभर आते थे। जो दवा के सेवन से दब तो जाते। मगर बीमारी जड़ से खत्म नहीं हो पा रही थी। बड़े – बड़े डॉक्टरों ने भी हार मान ली थी। ऐसी गंभीर स्थिति में जीवन जीने की निराशा को आशा में बदल दिया आयुर्वेदिक इलाज ने। लगातार तीन महीने चले इलाज से प्रो. पन्नू अब बिल्कुल ठीक हैं। इलाज अभी भी जारी है।
कुरुक्षेत्र न्यू गीता कॉलोनी निवासी प्रो. राजबीर ने जून 2021 में श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. बलदेव कुमार से किसी परिचित के माध्यम से संपर्क साधा। उस वक्त तक रोग काफी बढ़ चुका था। कई बड़े-बड़े अस्पतालों से इलाज चला। लगातार दवा के सेवन के बावजूद रोग से निजात नहीं मिल पा रही थी। सोरायसी की वजह से प्लेटलेट लगातार गिरते जा रहे थे। चलते चलते चक्कर आना और शरीर में खराश रहने लगी। प्रो. डॉ. बलदेव कुमार ने तीन महीने आयुर्वेदिक इलाज के साथ पंचकर्म थेरेपी से उपचार किया। एक सप्ताह के भीतर शरीर से खारीश बंद हो गई और सोरायसिस की वजह से शरीर पर जो पापड़ी उभर आती थी वह भी दब गई।
दोबारा मिला जीवन- प्रो. राजबीर सिंह पन्नू
न्यू गीता कॉलोनी वासी प्रो. राजबीर सिंह पन्नू ने बताया कि मुझे सोरायसिस रोग पिछले 20 सालों से था। स्किन के कई बड़े डॉक्टरों को दिखाया। मगर महंगी-महंगी दवा खाने के बाद भी कोई फर्क नहीं पड़ा। सर्दी आते ही ये बीमारी फिर उभर जाती थी। हालांकि दवा लेने से दब जाती, लेकिन साल 2021 में तो दवाई का भी असर खत्म हो गया। शरीर एकदम बेजान बन गया। सोरायसिस के कारण शरीर की प्लेटलेट्स गिरने लगी। चक्कर आना और शरीर में खारिश होने लगी। उन्होंने बताया कि एक बार तो ऐसा लगा की मृत्यु नजदीक है। लेकिन कुलपति प्रो. डॉ. बलदेव कुमार द्वारा किये आयुर्वेदिक उपचार के बाद अब बिल्कुल स्वस्थ हूं। मुझे दोबारा नया जीवन मिला है। सबसे ज्यादा हौसला बढ़ाया डॉ. नेहा ने। उन्होंने दिन के चार-चार घंटे उपचार में लगाए। जो लोग कहते हैं कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से देरी से रोग जाता है। वे भ्रम फैलाते हैं। मेरे साथ पूरे परिवार का आयुर्वेद में विश्वास ज्यादा दृढ़ बना है।
कुलपति प्रो. डॉ. बलदेव कुमार ने कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति प्राकृतिक सिद्धांतों पर आधारित होने के साथ-साथ विज्ञान सम्मत है। जो वैज्ञानिक एवं तर्क संगत ढंग से चिकित्सा करता है। आज से तीन सौ साल पहले तक आयुर्वेदिक पद्धति के माध्यम से बड़े-बड़े रोगों का निदान किया गया। यह लक्षण पहचान कर त्वरित आराम देती है। इसलिए आयुर्वेद को वर्तमान समय में स्थापित करने की जरूरत है। देश व प्रदेश की सरकार द्वारा लगातार इस दिशा में काम किया जा रहा है।